Jal Jeevan Mission Scheme, Jaipur News: जल जीवन मिशन में लापरवाह फर्मों पर 1000 करोड़ के प्रोजेक्ट्स छिनने की तलवार लटकी पड़ी है. जेजेएम में 487 योजनाओं में 8 फर्मों की लापरवाही मिशन पर भारी पड रही है. हालांकि दो फर्मों से पीएचईडी ने काम छीन लिए है,लेकिन अब दूसरी फर्मों से करोडों के प्राजेक्ट्स वापस लिए जाएंगे.


फिसड्डी फर्मों की सुस्त चाल


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राजस्थान के जल जीवन मिशन में पिछड़ने की सबसे बड़ी वजह फर्मों की कछुवा चाल है. देश में राज्य का मिशन सबसे पिछडे प्रदेशों में इसलिए शामिल है ,क्योकि कंपनियों ने तय समय पर काम पूरा नहीं किया. जिसमें सबसे ज्यादा 8 फर्मों की प्रगति सबसे धीमी रही.एक-एक कर बताते है कि किस फर्म कहां-कहां लापरवाही बरती.


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1. मेसर्स देवेद्र कंस्ट्रक्शन कंपनी- जयपुर में 64.82 करोड़ रूपए लागत की 41 ओटीएमपी और जोधपुर में 15.54 करोड़ रूपए लागत की 6 लघु परियोजनाओं पर लापरवाही की.
2. मेसर्स शिवभंडार कंस्ट्रक्शन कंपनी- हनुमानगढ़ में 270 करोड़ रूपए लागत की 17 ओटीएमपी पर कार्यरत शिवभंडार फर्म की स्लो प्रोगेस है.
3.गणपति ट्यूबवैल कंपनी- जयपुर में 274 करोड़ रूपए लागत की 221 ओटीएमपी एवं अलवर में 140 करोड़ लागत की 103 योजनाओं में लापरवाही.
4.बिहानी कंस्ट्रक्शन कंपनी- करौली में 42.13 करोड़ रूपए लागत की 12 ओटीएमपी, भरतपुर में 25.40 करोड़ लागत की एक योजना में काम मे गति बहुत कम रही.
5.एलएनए इंफ्रा प्रोजेक्ट्स- धौलपुर में 52.13 करोड़ रूपए लागत की 45 योजनाओं पर लापरवाही.
6.माहेश्वरी कॉन्ट्रेक्टर-हनुमानगढ़ में 55 करोड़ रूपए लागत की 3 योजनाओं पर कार्यरत मै. माहेश्वरी कॉन्ट्रेक्टर ने लापरवाही की
7.बानको कन्स्ट्रकशन- धौलपुर में 46.64 करोड़ रूपए लागत की 34 ओटीएमपी पर कार्यरत मै. बानको कन्स्ट्रक्शन प्रा. लि. (ग्वालियर) की सुस्त चाल.
8.मालविका टेक्नीकल सर्विसेज- अलवर में 7.59 करोड़ रूपए लागत की 5 योजनाओं पर कार्यरत मै. मालविका टेक्नीकल सर्विसेज की धीमी प्रगति पर अतिरिक्त मुख्य सचिव ने नाराजगी जताई सभी कार्य पूरे करने के लिए सितम्बर तक की अंतिम समय सीमा तय कर दी. अब आखिरी मौके के बाद इन फर्मो को 3 साल तक डिबार करने की तैयारी कर रही है.