Jan Aakrosh Rally : राजस्थान में राजनीतिक गतिविधियां बढ़ने लगी हैं. कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा निकालने जाने की तैयारी हो रही है तो दूसरी तरफ़ राजस्थान बीजेपी की जन आक्रोश यात्रा भी अपनी राह निकल पड़ी है. दरअसल इन यात्राओं के जरिये कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां जनता से अपना जुड़ाव बढ़ाने की कवायद में जुटती दिख रही हैं. जहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी देश के सुदूर दक्षिणी हिस्से से आ रहे हैं तो बीजेपी राजस्थान के हर विधानसभा क्षेत्र और गांव स्तर तक जा रही है. इस यात्रा के दौरान बीजेपी भी जनता से उनकी शिकायत और सुझाव जुटाएगी. लेकिन पार्टी की इस कवायद को देखकर राजनीति से जुड़े लोगों के साथ ही आम जन के मन में भी यह सवाल तो आता ही है कि आखिर बीजेपी इन शिकायतों का क्या करेगी?


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राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं. अबसे ठीक एक साल बाद प्रदेश में आचार संहिता लग चुकी होगी और या तो वोटिंग हो रही होगी या उसके लिए तैयारी हो रही होगी. लेकिन एक साल बाद की वोटिंग की तैयारियां राजनीतिक दलों की तरफ़ से तो अभी से शुरू हो चुकी हैं. एक तरफ़ कांग्रेस पार्टी राजस्थान में अपनी सरकार के चार साल का जश्न मनाने में जुटी है और साथ ही भारत जोड़ो यात्रा के जरिये भी हाड़ौती समेत प्रदेश के पूर्वी हिस्से में बड़ी हलचल मचाने को तैयार दिख रही है.


उधर सत्ताधारी पार्टी के चार सालाना जश्न के रंग में भंग करने के लिए बीजेपी भी उतावली दिख रही है. विपक्षी पार्टी ने पूरे लाव लश्कर के साथ राजस्थान सरकार और सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ़ जन आक्रोश यात्रा शुरू कर दी है. सभी विधानसभाओं पर रथ पहुंच रहे हैं और इन रथों के जरिये आम जनता से उनकी शिकायत और सुझाव भी जुटाये जा रहे हैं. लेकिन जब सवाल आया कि पार्टी इन शिकायतों का क्या करेगी? तो बीजेपी के राष्ट्रीय महामन्त्री और प्रदेश प्रभारी ने बड़ा रोचक जवाब दिया. अरुण सिंह कहते हैं कि पार्टी इन सभी शिकायतों को ट्रक में भरकर सिविल लाइन ले जाएगी, जहां 8, सिविल लाइन्स पर जनता की पीड़ा मुख्यमन्त्री के हवाले करके उनके समाधान की मांग करेंगे. अरुण सिंह कहते हैं कि अगर मौजूदा सरकार ने इन शिकायतों का समाधान नहीं किया तो चुनाव बाद बीजेपी सत्ता में आने पर जन समस्याओं का समाधान करेगी.


बीजेपी ने जनता से समस्याएं जुटाने और उनके समाधान की कवायद करने की बात तो कही है, लेकिन इस काम में पार्टी के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं. जब तक यह शिकायतें राज्य सरकार या कांग्रेस विधायकों के खिलाफ़ होंगी, वहां तक तो सब ठीक है, लेकिन यह शिकायतें बीजेपी या उससे जुड़े लोगों के खिलाफ़ आई तो पार्टी क्या करेगी? इसके साथ ही सवाल यह भी कि क्या बीजेपी अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और सरकार में बैठे लोगों को इतना भला मानती है कि वे समस्या समाधान की मांग करेंगे और यह सब आसानी से हो भी जाएगा?


अब जनता में जिज्ञासा इस बात की है कि आखिर बीजेपी प्रदेश में आम जन से शिकायतों का यह कलेक्शन उनके समाधान के लिए कर रही है या सरकार को घेरने के लिए? साथ ही सवाल यह भी कि क्या जन आक्रोश यात्रा में आने वाली शिकायतों का समाधान करने की बात बीजेपी अपने चुनावी घोषणा पत्र में करेगी? सवाल यह भी कि, क्या इस अभियान के जरिये बीजेपी आगामी चुनाव के लिए बड़े मुद्दे और सरकार से नाराज़ लोगों का बड़ा डेटा बेस तैयार करके हल्ला बोलेगी?


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