Meghalaya के राज्यपाल Satyapal Malik का केंद्र सरकार पर बड़ा हमला, दिया बड़ा बयान
लखीमपुर खीरी मामले में उन्होंने कहा कि विडंबना है कि आज दिन तक केंद्रीय मंत्री का इस्तीफा नहीं लिया गया. वहीं मेरठ में तो बीजेपी नेताओं को गांव में घुसने नहीं दिया जा रहा है.
Jhunjhunu: झुंझुनूं आए मेघालय (Meghalaya) के राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satyapal Malik) ने एक बार फिर किसानों की तरफदारी करते हुए केंद्र सरकार पर हमला बोला है.
ज़ी राजस्थान न्यूज (ZEE Rajasthan News) से खास बातचीत में सत्यपाल मलिक ने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो वे किसानों के लिए राज्यपाल का पद भी छोड़ देंगे. वैसे भी वे किसानों के लिए प्रधानमंत्री, गृह मंत्री जैसे नेताओं से लड़ाई कर चुके हैं.
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उन्होंने इस मौके पर कहा कि यदि किसानों की बात यह सरकार नहीं मानती है तो इस सरकार का वापिस आना मुमकिन नहीं है. मलिक यहीं पर नहीं रूके. उन्होंने कहा कि सरकार का मिजाज आसमान पर है. जब तक सत्यानाश नहीं होगा तब तक घमंड नहीं जाएगा. सरकार को केवल एमएसपी की गारंटी देनी है. वे किसानों से बात कर सारा मसला सुलझा लेंगे.
लखीमपुर खीरी पर भी दिया बयान
लखीमपुर खीरी मामले में उन्होंने कहा कि विडंबना है कि आज दिन तक केंद्रीय मंत्री का इस्तीफा नहीं लिया गया. वहीं मेरठ में तो बीजेपी नेताओं को गांव में घुसने नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने कश्मीर मामले में भी कहा कि जब तक वे वहां पर राज्यपाल थे. टेरेरिस्ट श्रीनगर में घुस नहीं पाते थे. लेकिन अब तो श्रीनगर में घुसकर हत्याएं की जा रही है. जो दर्दनाक है.
सतपाल मलिक ने कहा....
— मेरे रहते हुए कोई टेरेरिस्ट श्रीनगर के 100—50 किलोमीटर दायरे में घुस नहीं सकता था.
— अब तो श्रीनगर शहर में मार रहे है लोगों को और गरीब लोगों को मार रहे है.
— मैं इसका विश्लेषण नहीं कर सकता, लेकिन यह बहुत ही दर्दनाक और तकलीफ देय बात है.
— मैं तो अब भी खड़ा हूं किसानों के साथ.
— ये किसानों के साथ ज्यादती हो रही है. वो लोग 10 महीने से पड़े हैं. घर—बार छोड़कर पड़े हैं. फसल बोने का टाइम है. अभी यहां पड़े हैं तो उनकी सुनवाई करनी चाहिए सरकार को.
— मैं तो खड़ा ही हूं उनके साथ. पद छोड़ने की इसमें कोई जरूरत नहीं है. जरूरत पड़ी तो वो भी छोड़ दूंगा लेकिन मैं उनके साथ हूं. उनके लिए मैं प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, सबसे झगड़ा कर चुका हूं. सबको कह चुका हूं कि यह गलत कर रहे हो. ये मत करो.
— बिल्कुल गलत है ये, उसी दिन होना चाहिए था. वो मंत्री तो वैसे ही मतलब, मंत्री होने लायक नहीं है.
— पब्लिकली नहीं, मैं मिलकर अपने विचार रखूंगा, चाहे वो कश्मीर पर हो या फिर किसी भी चीज पर हो.
— देखो, सरकारें जो होती है, उनका मिजाज थोड़ा आसमान पर हो जाता है. उनको तकलीफ दिखती नहीं. लेकिन वक्त आता है. तब उन्हें रोकना भी पड़ता है, सुनना भी पड़ता है. यही इस सरकार का हाल है. अगर किसानों की मांगें नहीं मानी गई तो ये सरकार दुबारा नहीं आएगी.
— यूपी वाले बताएं कि पड़ेगा या नहीं, मैं तो मेरठ से हूं. मेरठ में कोई बीजेपी का लीडर किसी गांव में नहीं घुस सकता. मेरठ में, मुजफ्फरनगर में, बागपत में, घुस नहीं सकते है.
— जिसकी सरकार होती है. उसे बहुत घमंड होता है. वो नहीं समझते कभी भी, जब तक पूरा सत्यानाश ना हो जाए.
— वो नहीं, जो उन्हें सलाह देते हैं, जो उनके ईर्द गिर्द है. वो लोग उन्हें गलत सलाह दे रहे हैं.
— कोई मुझे कह तो, कि तू मध्यस्थत कर. मैं तो कर लूंगा मध्यस्थता. किसानों ने तो कह दिया कि हम मानने को तैयार हैं. एक चीज है, जिससे हल हो जाएगा. आप एमएसपी की गारंटी कर दो. तीनों कानूनों के मामले में मैं किसानों को मना लूंगा. तीनों कानून लंबित है. छोड़ दो इसको.
Reporter- Sandeep Kedia