Jaipur News: जोधपुर में गैस सिलेंडर ब्लास्ट के बाद 7 लोगों की मौत के बाद खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने तेल-गैस कंपनियों, गैस डिस्टिब्यूटर्स की बैठक बुलाई. इस तरह की घटनाओं पर किस तरीके से लगाम लगाई जाए, इसको लेकर मंथन और चिंतन तो हुआ लेकिन फिर से लकीर पीटने का काम हुआ.


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वही ढाक के तीन पात.. एक्शन होगा. जिम्मेदारी तय होगी. गाइडलाइन बनेगी..लेकिन कब? ब्यावर में 17 फरवरी 2018 को इसी तरह के हादसे में 19 लोग जमीन में जमींजोद हो गए. उस समय भी मामले को लेकर जांच कमेटी बनी लेकिन पांच साल बाद फिर उसी तरह का हादसा हुआ और 7 लोगों की मौत हो गई लेकिन अभी तक सरकार के मंत्री और अधिकारी यह तय नहीं कर पाए कि इस दर्दनाक हादसे का जिम्मेदार कौन है?


घर में शादी का माहौल...धूम धड़ाका...और इसी बीच सिलेंडर के ब्लास्ट के बाद मची चीख-पुकार...कुछ तरह का मंजर नजर आया जोधपुर के शेरगढ़ क्षेत्र में, जहां गैस सिलेंडर ब्लास्ट के 7 लोगों की मौत हो गई. विदाई के आंसू की जगह मातम के आंसू आखों से बह रहे थे. इस दर्दनाक हादसे के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जोधपुर पहुंचे. अस्पताल में घायलों से कुशलक्षेम पूछी. अफसरों से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली और उसके बाद तत्काल सीएम से मिली डायरेक्शन के बाद खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने तेल-गैस कंपनियों, गैस डिस्टिब्यूटर्स की बैठक बुलाई. 


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गैस एजेंसी संचालकों ने रोया दुखड़ा
इस बैठक में गैस एजेंसी संचालक अपनी पीड़ा बताते रहे. तेल कंपनियों के प्रतिनिधि सुनते रहे. बैठक में मंत्री खाचरियावास ने तेल कंपनियों के प्रतिनिधियों को फटकार लगाई. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि अगर कही भी रसोई गैस सिलेंडर लीकेज होता है तो उसके लिए कंपनियां ही जिम्मेदार होंगी क्योंकि कंपनियों से ही रसोई गैस रिफिल होकर एजेंसियों और घरों तक पहुंचता है. बीपीसीएल, एचपीसीएल और आईओसीएल कंपनियों के अधिकारियों संग बैठक करते हुए मंत्री प्रताप सिंह ने उनसे पूछा कि लोगों को रसोई गैस संबंधित किसी भी तरह की परेशानी होने पर उसे दूर करने के लिए कौन जिम्मेदार है. आज लोगों को ये नहीं पता कि रसोई गैस सिलेंडर लीक होने पर कहां शिकायत करें. इसके लिए कंपनियों ने टोल फ्री नंबर तो जारी कर रखा है लेकिन उसका कोई प्रचार-प्रसार नहीं किया गया है, जिससे लोगों को ये नहीं पता कि वे कहां शिकायत करें.


हादसे की जांच जारी
प्रताप सिंह ने कहा कि जोधपुर में जो हादसा हुआ है, उसकी जांच करवाई जा रही है. उसमें ये पता लगाया जा रहा है कि ये रसोई गैस सिलेंडर किस एजेंसी और किस रिफलिंग स्टेशन से आए हैं. उन्होंने कहा कि कुछ कंपनियों ने प्राइवेट एजेंसियों को रिफलिंग का काम दे रखा है, जिसकी जांच के लिए हमने टीमें बनाई है और टीम वहां जांच करेगी कि कहां-कहां क्या-क्या खामियां हैं?


बैठक में शामिल हुए ये लोग
बैठक में गैस डिस्टीब्यूटर्स और डीलरों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए. उन्होंने मंत्री से कंपनियों की शिकायत की कि कंपनियां अपने टारगेट को पूरा करने के लिए जबरदस्ती सिलेंडर की आपूर्ति हमें कर रही हैं, जबकि हमारे गोदामों में इन सिलेंडर को रखने की जगह नहीं होती. डिमांड 14.2 किलोग्राम वाले सिलेंडर की होती है और जबरदस्ती 5 किलो वाला सिलेंडर भेज देते हैं. इस कारण गोदामों से बाहर गाड़ियों और खुले स्थानों पर सिलेण्डरों को रखना पड़ता है.


खाचरियावास ने बताया कि अभी तेल कंपनियां अपने बाटलिंग प्लांट से जब सिलेंडर निकलता है तो उन पर लेवल नहीं लगाती है. जबकि नियमो के मुताबिक सिलेंडरों पर लेबल लगाना अनिवार्य है. प्रत्येक सिलेंडर पर गैस के नाम और उस व्यक्ति के नाम तथा पते का, जिसके द्वारा सिलेंडर में गैस भरी गई उसका नाम लिखना जरूरी है. खाचरियावास ने कहा कि ऑयल कम्पनियों के गैस सिलेंडर रिफिलिंग प्लांट का निरीक्षण के लिए एक्शन प्लान बनाया जा रहा है. जिसमें जिला रसद अधिकारी, विस्फोटक एक्सपर्ट और विधिक माप विज्ञान विभाग के उप नियंत्रक को शामिल किया जायेगा. उन्होंने कहा कि ऑयल कम्पनियों के गैस बोटलिंग प्लांट में कमी पाये जाने पर सख्त कार्यवाही की जायेगी. वही मैरिज पैलेस होटल संचालक, सामाजिक अनुष्ठानों के साथ अन्य कार्यक्रमों में गैस एजेंसी से प्राप्त किए गए कॉमर्शियल सिलेंडरों की कनेक्शन डायरी, एजेंसी का बिल होना अनिवार्य कर दिया है. बिना कनेक्शन या बिल के मौके पर कॉमर्शियल सिलेंडर पाए जाने पर उस संबंधित प्रतिष्ठान पर कार्रवाई की जाएगी. साथ ही सिलेंडरों को जब्त कर लिया जाएगा. इसके लिए रसद विभाग ने मैरिज प्लेस के संचालकों, होटल, रेस्टोरेंट के साथ अन्य सामाजिक प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी किए गए हैं. शादी समारोह में खलल नहीं पड़े इसलिए बिल रखना जरूरी है. कॉमर्शियल एवं घरेलू गैस सिलेंडरों की जांच के लिए रसद विभाग ने प्रवर्तन निरीक्षकों, प्रवर्तन अधिकारियों के निर्देशन में टीमें बनाई जाएंगी . टीमें कभी भी मैरिज प्लेस, होटल, रेस्टोरेंट के साथ अन्य सामाजिक प्रतिष्ठानों में जाकर जांच कर सकती है. शादी समारोह, मैरिज प्लेस, होटल संचालकों के साथ अन्य व्यावसायिक कार्य में घरेलू गैस सिलेंडर का उपयोग दंडनीय अपराध है.


गैस के उपयोग में यह रखें सावधानी
- गैस सिलेंडर हमेशा सीधा खड़ा रखें.
- गैर चूल्हा, सिलेंडर से कम से कम 6 इंच ऊपर किसी समतल स्थल पर रखें.
- गैस पर खाना आदि खड़े रहकर बनाएं.
- चूल्हें को ऐसी जगह रखें, जहां बाहर से सीधी हवा न लगे.
- रसोई में गैस सिलेंडर के अलावा किसी अन्य ज्वलनशील वस्तुओं का प्रयोग न करें.
- चूल्हा जलाते समय पहले माचिस की तीली जलाएं, उसके बाद गैस ऑन करें
- भोजन पकाते समय कोई अन्य कार्य न करें, बल्कि चूल्हे के पास मौजूद रहे.
- हमेशा सूती वस्त्र/ एप्रेन पहनकर खाना बनाए.
- भोजन पकाते समय चूल्हे पर रखे गर्म बर्तन को पल्लू से नहीं, हमेशा पक्कड़ से पकड़ें.
- रात को सोते समय या बाहर जाते समय रेगुलेटर को अवश्य बंद कर दें.
- गैस की गंध आने पर बिजली का स्विच, लाइटर, माचिस ने जलाएं. खिड़की दरवाजे खोल दें.
- गैस रिफलिंग (भरने) का प्रयास नहीं करना चाहिए.
- वाहनों को एलपीजी गैस से नहीं चलाना चाहिए.

गैस की दुर्गंध आने पर यह करें ऐसा
- सिलेंडर से रिसाव महसूस होने पर रेगुलेटर को हटाकर सेफ्टी कैप लगाएं और खुले में रखकर वितरक को सूचित करें.
- हेल्पलाइन नम्बर 1906 पर सम्पर्क करें.
- प्रत्येक पांच वर्ष में अपना सुरक्षा होज अवश्य बदलें.
- गैस सिलेंडर-चूल्हे में किसी भी मरम्मत की कोशिश आप ने करें.


नहीं लौट पाएंगे बुझे चिराग
प्रदेश में अवैध रिफिलिंग और सड़कों पर अवैध डंपिंग साथ में आबादी के बीच गैस गोदाम और तेल कंपनियों की मनमर्जी के साथ अफसरों की ढिलाई के कारण परिवारों के चिराग बुझ गए. मंत्री से लेकर अफसर और जिम्मेदार घटनाओं पर अफसोस तो जता रहे हैं लेकिन क्या इस अफसोस से किस घर में चिराग बुझ गए वापस लौट आएगा.