Jaipur: राजस्थान के शाही अंदाज को शाही सफ़र के ज़रिए बयां करने वाली ट्रेन पैलेस ऑन व्हील्स एक बार फिर से राजस्थान की रेल पटरियों पर दौड़ती नजर आने वाली है. पैलेस ऑन व्हील राजस्थान पर्यटन विकास निगम की तैयारिया अपने अंतिम दौर में है. इस उम्मीद कि सबसे बड़ी वजह ये है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंशा है कि राजस्थान में पर्यटकों की पहली पसंद रही इस शाही ट्रेन को किसी भी तौर पर फिर से शुरू किया जाए. इसके लिए तमाम अड़चनों और बाधाओं को दूर करने की दिशा में हरसंभव कदम उठाए गए हैं.


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देश दुनिया से राजस्थान आने वाले प्रत्येक पर्यटक का ख़्वाब रही पैलेस ऑन व्हील्स अब फिर से शाही इस सफ़र पर एक बार फिर नजर आएगी. RTDC और रेलवे के बीच बनी सहमति के बाद अब गहलोत सरकार इस ट्रेन को फिर से शुरू करने की दिशा में अंतिम निर्णय लेने वाली है, माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में होने वाली अगली कैबिनेट बैठक में इस संबंध में प्रस्ताव पर मोहर लग जाएगी. दरअसल कोरोना महामारी के कारण बंद हुई शाही ट्रेन पैलेस ऑन व्हील्स को जल्द भारतीय रेल और राजस्थान पर्यटन विकास निगम के साझा प्रयास अब पूरे होने की कगार पर है. आरटीडीसी और रेलवे के अधिकारियों की बैठकें हो चुकी है. 


इसमें रेलवे और आरटीडीसी के मध्य हुए एग्रीमेंट को रिव्यू करने, कमली घाट से मारवाड़ जंक्शन तक रेलवे के घाट सेक्शन में मीटर गेज ट्रेनी कोच के संचालन, ईको ट्रेन सफारी चलाने के तौर-तरीको सहित अन्य बिन्दुओं पर सहमति बन गयी है. आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक मुख्यमंत्री की ओर से राज्य बजट में पर्यटन विकास कोष के लिए 1 हजार करोड़ रुपये मंजूर करने से विभाग के सुनहरे दिन फिर से लौटने की उम्मीद जगी है. हालांकि शाही ट्रेन को शुरू करने का काम आसान नहीं है. 


कोरोना काल के चलते शाही ट्रेन 2 साल से बंद थी. रेलवे के करीब 30 करोड़ की मूल राशि बकाया थी. एक दूसरी ट्रेन रेलवे को वापस दी गई थी, जिसकी वैल्यू 20 करोड़ थी. उसमें से 10 करोड़ भी आरटीडीसी की ओर से रेलवे को देने के बाद पैलेस ऑन व्हील्स के करीब 20 करोड़ बकाया है, जिसे किश्तों में देना तय हो गया है.



क्या है पैलेस ऑन व्हील्स
पैलेस ऑन व्हील्स भारत की पहली लग्जरी ट्रेन है. इसे 26 जनवरी 1982 को शुरू किया गया था. यह राजस्थान की सबसे नामी ट्रेन है जो दिल्ली से चलकर यात्रियों को राजस्थान के अलग-अलग किले और महलों वाले स्थान की सैर कराती है. इस ट्रेन में 39 डिलक्स केबिन और 2 सुपर डिलक्स केबिन हैं. इन डिलक्स केबिन में 82 यात्रियों को जगह दी जाती है. हर केबिन के साथ अटैच्ड वॉशरूम है. हर केबिन का नामकरण राजस्थान के महल और किले पर रखा गया है.


इस ट्रेन की खूबसूरती भी बेहद खास है. ट्रेन के हर कोच को अंदर से फिरोजा, माणिक और मोती के रंगों से सजाया गया है. दो रेस्त्रां भी बनाए गए हैं, जिसमें रॉयल फूड का जायका मेहमानों के लिए रहता है. शाही ट्रेन हर अत्याधुनिक सुख सुविधाओं से लैस होती है. यह शाही ट्रेन सैलानियों को एक सप्ताह तक यात्रा करवाती है. ट्रेन के हर डिब्बे को बाहर-भीतर से ऐसे सजाया गया है कि देखने वाला टकटकी लगाए देखता रह जाए.


 धर्मेन्द्र राठौड़, चेयरमैन आरटीडीसी ने कहा कि भारत में जितनी भी लक्जरी ट्रेन हैं, उनमें इसे सिरमौर माना जाता है. लक्जरी ट्रेनों में यह सबसे पहले शुरू भी हुई है. इस ट्रेन में ऐसे कोच लगे हैं जिसका इस्तेमाल कभी हैदराबाद के निजाम, राजपुताना राजवाड़े के शासक और ब्रिटिश वाइसरॉय किया करते थे. इस ट्रेन के कोचों को कुछ उसी शान-ओ-शौकत के अंदाज से सजाया गया है. दुनिया की बात करें तो लक्जरी ट्रेनों की सूची में यह ट्रेन चौथे स्थान पर शुमार है.



शाही ट्रेन का सफर
यह ट्रेन दिल्ली से राजस्थान के लिए रवाना होती है. राजस्थान में जितने भी खूबसूरत जगह और पड़ाव हैं, उनका मनोहारी दर्शन यह ट्रेन कराती है. यह ट्रेन दिल्ली से जयपुर, जयपुर से सवाई माधोपुर, सवाई माधोपुर से चितौड़गढ़, चितौड़गढ़ से उदयपुर, उदयपुर से जोधपुर, जोधपुर से जैसलमेर, जैसलमेर से भरतपुर, भरतपुर से आगरा और अंत में आगरा से दिल्ली तक का सफर तय करती है.


शाही ट्रेन से आप कहां क्या देख सकते हैं


  • * दिल्ली- इंडिया गेट, कुतुब मीनार, हुमायूं का मकबरा, लोटस टेंपल

  • * जयपुर- अंबर फोर्ट, हवा महल, राजस्थली, जंतर-मंतर, सिटी पैलेस

  • * सवाई माधोपुर और चितौड़गढ़- चितौड़गढ़ किला, रणथंबौर राष्ट्रीय पार्क

  • * उदयपुर- पिछोला झील, जग निवास

  • * जैसलमेर- येलो सैंडस्टोन फोर्ट, एंशियंट मैंसन

  • * जोधपुर- ग्रांड पैलेसेस, मेहरानगढ़ किला, जोधपुर में शॉपिग टूर

  • * भरतपुर- केवलादेव घना राष्ट्रीय पार्क

  • * आगरा- ताजमहल, फतेहपुर सिकरी


धर्मेंद्र राठौड़ ने कहा कि पैलेस ऑन व्हील्स का देश-दुनिया में नाम है. भारत आने वाले प्रत्येक पर्यटक का सपना है कि वह इसमें यात्रा करें. हम इसी सपने को पूरा करने की दिशा में मारवाड़ जंक्शन से कामली घाट के बीच हेरीटेज रेल नेटवर्क विकसित करने के भी प्रयास कर रहे है. राजस्थान में शाही ट्रेन के शुरू होने की एक बड़ी वजह ये भी लग रही है कि इस बार राजस्थान में टूरिस्ट बूम की संभावना जतायी जा रही है। राज्य सरकार भी बजट में पर्यटन को उद्योग का दर्जा दे चुकी है.


ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि राजस्थान में आने वाले सैलानियों के ख्वाबों को पूरा करने वाली शाही ट्रेन फिर से पटरियों पर दौड़ती हुई नज़र आएगी तो इससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि प्रदेश मे निवेश और रोजगार के व्यापक अवसर भी उपलब्ध होंगे.


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