आपने वो गाना तो सुना ही होगा ' फूलों की लाशों पर ताजगी चाहता है...आदमी हुतिया है कुछ भी चाहता है....'' सॉन्ग को लिखा है राहगीर ने. यानी राजस्थान के रहने वाले सुनिल गुर्जर ने. सुनील ने जी राजस्थान से विशेष बातचीत की और अपने बारे में जानकारी साझा की.


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इंजीनियरिंग में नहीं लगा मन


राहगीर ने बताया कि उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. इसके बाद उन्होंने पुणे में डेढ़ साल जॉब की. वह 2016 में पुणे गए. उनको शुरू से ही लिखने का शौका था. साथ ही वह कविताएं भी सुनने लगे. राहगीर ने बताया कि  उनको उनके पहले शो में डर नहीं लगा वह स्कूल टाइम में 15 अगस्त और 26 जनवरी के दिन गाना गाया करते थे.  


हालांकि राहगीर ने बताया कि कई बार उनकी गाने को लेकर घरवालों से नोकझोंक हो जाती थी. उनके पिता आर्मी में थे. जॉब छोड़ने के बात उन्होंने सबसे पहले अपने दोस्तों को बताई. उनके ग्रुप में पांच दोस्त थे. ग्रुप का नाम उन्होंने 'पंच प्यारे' दिया था. उन्होंने बताया कि उनका जॉब  करने में मन नहीं लगा.


राहगीर बताते हैं, '' मुझे लगा लोग सुनेंगे. गिटार सीख लेता हूं. बैंड ज्वाइन कर लूंगा. गाना गाने का इरादा नहीं था, सोचा अभी कौन सा बैंड मिलेगा. इसके बाद मैंने खुद से कोशिश की. मजा आने लगा. पुणे में ओपन माइक का शो हुआ. मुझे 10 से 12 मिनट गाना गाने के मिलते थे. जिसमें मैं दो ही गाने गा पाता था. लोगों ने तारीफ की और आगे बढ़ता चला गया. इसके बाद मैंने चाय की थड़ी पर ही पुणे में महफिल लगाकर गाना गाने की शुरूआत की. इसके बाद टूर पर निकलने का सोचा. मैंने सोचा रोज नए नए लोग मिलेंगे उनके सामने जी खोलकर गाऊंगा.''


कैसे आई आदमी हुतिया है गाना लिखने की प्रेरणा


राहगीर सुनिल गुर्जर ने बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने ये गाना रिलीज करने के लिए नहीं लिखा था. बस छोटी शायरी के लिए दो लाइने लिखी थी. उस समय वैलेन टाइन डे का टाइम था और वह पुणे में थे. इस दौरान फूल बेचने के ढेले वाले के पास एक शख्स आता है और फूल खरीदता है जब वह फूल खरीदता है तब वह इस गाने की दो लाइने लिख देते हैं...बाद में उन्होंने जब कुछ और लाइन्स लिखीं जिसमें ये पक्तियां आती हैं 'काट के झाड़ वाड़ मकान बना लिया खेत में' तब उन्होंने सोचा कि आदमी हुतिया है गाने को मैं 'काट के झाड़ वाड़ मकान बना लिया खेत में' से जोड़ दूं और इसके बाद उन्होंने आदमी हुतिया है गाने को लिखा.


गाना लिखने के 6 महीने तक नहीं कर पाए रिलीज


राहगीर बताते हैं कि उन्होंने गाना तो लिख लिया था लेकिन वह इस गाने को 6 महीने तक रिलीज नहीं कर पाए. पहले उन्होंने इस गाने को आदमी बावला है लिखकर सोचा रिलीज करूं लेकिन बाद में उन्होंने इस गाने को आदमी हुतिया है से ही रिलीज किया. इस दौरान उन्होंने हरिशंकर और मंटो की किताबें भी पढ़ीं. राहगीर का जन्म 18 मई 1993 को हुआ. वह अब तक लगभग 40 गाने गा चुके हैं. 


राहगीर से जब पूछा गया कि आपके हर गाने में अर्थ छुपा होता है चाहे वह कोई भी गाना हो कैसे लिखते हैं गानों को घर पर या कोई विशेष जगह है तब राहगीर बताते हैं, '' जगह से लेना देना नहीं है. कहीं पर भी लिख लेता हूं. बस में, ट्रेन में बुक पढ़ते हुए. कहीं पर भी लिख लेता हूं.  ट्रेवल के दौरान लोगों को ऑब्जर्व करता हूं.'' राहगीर के अब तक 200 से ज्यादा कॉन्सर्ट्स हो चुके हैं साथ ही वह 200 से ज्यादा बाद लाइव परफॉर्मेंस दे चुके हैं.


लॉन्च करने वाले हैं म्यूजिकल वेब सीरीज


राहगीर बताते हैं कि वह म्यूजिकल वेब सीरीज लिखने जा रहे हैं. जिसमें 10 गाने होंगे. वह इन गानों को यूट्यब के अलावा किसी और बड़े प्लेटफॉर्म पर रिलीज कर सकते हैं.