जानें कितनी गहरी है पं. धीरेंद्र शास्त्री और डॉ. शेख मुबारक की दोस्ती,आप भी पेश करेंगे मिसाल
Pt Dhirendra Shastri and Dr Sheikh Mubarak: पं. धीरेंद्र शास्त्री , बागेश्वर धाम सरकार, बागेश्वर महाराज ये नाम आप सबने खूब सुना है, लेकिन क्या कभी डॉ. शेख मुबारक का नाम भी सुना है? शेख मुबारक पं. धीरेंद्र शास्त्री के बहुत ही खास बचपन के मित्र हैं, इनकी दोस्ती की कहानी एक मिसाल पेश कर रही है.
Pt Dhirendra Shastri and Dr Sheikh Mubarak friendship : पं. धीरेंद्र शास्त्री और डॉ. शेख मुबारक की दोस्ती की कहानी पढ़ेंगे, तो आप भी मिसाल पेश करेंगे. क्योंकि आज देशभर में बागेश्वर धाम सरकार के पं. धीरेंद्र शास्त्री किसी परिचय के मोहताज नहीं है, उनका नाम खुद एक परिचय बन चुका है.लेकिन जब पं. धीरेंद्र शास्त्री अपने संघर्ष काल से गुजर रहे थे, उस वक्त ये वही डॉ. शेख मुबारक थे जो धीरेंद्र शास्त्री की मदद के लिए हर वक्त खड़े रहते थे.
अपनी और शेख मुबारक की दोस्ती की बातें बताते हुए मंच से पं. धीरेंद्र शास्त्री खुद भावुक हो गए. पं. धीरेंद्र शास्त्री कहते हैं कि शेख मुबारक जैसे दोस्त भगवान सबको दे. हम जब भी बीमार पड़ते थे, तब ये हमारी दवा करते थे.हर संकट में सहायता भी करते थे.
हमारी दोस्ती के 12 साल हुए पूरे
पं. धीरेंद्र शास्त्री कहते हैं कि शेख मुबारक हमारे बचपन के मित्र हैं, ये हमें काफी करीब से जानते हैं.हमारी दोस्ती के 12 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं. शेख मुबारक जी अपने पैसे से हमारी तीन कथाएं कराई हैं, अपने गांव में, जब हम कथा वाचन का कार्य शुरू कर रहे थे, बड़ी बात ये है कि जब यहां बागेश्वर धाम में कोई नहीं आता था, तब ये यहां आते थे. लाइट भी नहीं रहती थी. मोबाइल की टॉर्च से जलाकर ये यहां सुंदरकांड का पाठ पढ़ते थे. उस वक्त यहां कोई नहीं आता था. तब ये हमारे पास आते थे. इतना ही नहीं ये हमें चाय भी पिलाते थे. बाइक से गंज जाकर हमारे लिए दूध लाते थे, फिर चाय बनाते थे.
बहन के विवाह में की थी बड़ी मदद
पं. धीरेंद्र शास्त्री कहते हैं कि मेरी बहन की शादी के लिए घर में हमारे पास पैसे नहीं थे. माता-पिता से रोजाना विवाह को लेकर चर्चा करते थे, कई तरह की परेशानियां थी, उधारी लेने का प्रयास किए पर उधारी भी कहीं नहीं मिली थी. उस वक्त हम पुरोहित कर्म कांड और पूजा पाठ करते थे. इस विषय पर जब हमने डॉ. शेख मुबारक से बात की, उनको सारी समस्याएं बताई.तो शेख मुबारक बिना विचार किए हमें 20 हजार रुपए दिए बिना मांगे हुए. इसके आलावा विवाह का पूरा समान भी इन्होंने बिना मांगे हमारे घर पहुंचा दिया. ऐसा लग रहा था जैसे इनकी बहन का विवाह हो.
जब मेरे साथ कोई नहीं था तब शेख मुबाकर थे
पं. धीरेंद्र शास्त्री कहते हैं, कि उस समय जब हमें कोई नहीं जानता था तब हमारी मदद डॉ. शेख मुबारक करते थे. बात 20 हजार रुपए की नहीं बात उनके सहयोग की है. तब से हमने संकल्प लिया था कि जब भी बागेश्वर धाम की कृपा बनेंगी तो हम अपने मित्र का जरूर साथ देंगे.डॉ. शेख मुबारक मेरे माता-पिता जी की पूरी दवाई भी करते हैं, उनका ख्याल रखते हैं,इनके घर वाले भी हमें बहुत स्नेह करते हैं.
शेख मुबारक जैसा एक-एक मित्र भगवान सबको दे..
पं. धीरेंद्र शास्त्री अपनी और शेख मुबारक की दोस्ती की कहानी बताते हुए कहते हैं कि बाला जी भगवान शेख मुबारक जैसा एक-एक मित्र सबको पकड़ा दे. क्योंकि शेख मुबारक ने कभी-भी हमारा साथ नहीं छोड़ा है, साथ ही पं. धीरेंद्र शास्त्री कहते हैं कि धन कमाकर किसी जरूरत मंद को देना ये सबसे बड़ी बात है, क्योंकि धन तो नाचने वाली भी कमा लेती है. इसलिए आप सब शेख मुबाकर जैसे जरूरत मंदों की मदद करें.
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