Kanwar Yatra nameplate controversy: सावन के महीने में महादेव के भक्त कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) लेकर जाते हैं और भगवान शिव को कांवड़ में भरा गया जल अर्पित करते हैं.  ये कांवड़ यात्रा विभिन्न दुकानों और मार्गों से गुजरती है.  शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में  कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानों और भोजनालयों के लिए नेमप्लेट विवाद पर सुनवाई हुई. 


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कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा कि, ''हमें शिव भक्त कांवड़ियों के भोजन की पसंद का भी सम्मान करना चाहिए.'' इस मामले की सुनवाई जस्टिस हृषिकेश रॉय और एसवी एन भट्टी की बेंच कर रही है.



सुप्रीम कोर्ट का कहना है,'' अगर कोई दुकान के बाहर अपनी मर्जी से अपना नाम लिखना चाहता है तो हमने उसे रोका नहीं है. हमारा आदेश था कि नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.''



यूपी सरकार के कांवड़ यात्रा रूट की दुकानों पर अनिवार्य रूप से नेमप्लेट लगाने के आदेश पर कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी थी, शुक्रवार को भी इसे जारी रखा गया. इस मामले में अगली सुनवाई सोमवार को होगी. 



गौरतलब है कि राजस्थान में इन दिनों बाबाओं को लेकर भी विधानसभा में हलचल मची हुई है.  गुरुवार को विधानसभा में कार्यवाही के दौरान जमकर हंगामा देखने को मिला. सहकारिता विभाग की अनुदान मांगों पर विधायक श्रवण कुमार बोलने के लिए खड़े हुए.श्रवण कुमार के बोलने के दौरान बाबा बालक नाथ ने विरोध दर्ज करवाया.


बाबा बालक नाथ ने कहा कि जब तक संतों के अपमान पर माफी नहीं मांगी जाएगी उन्हें बोलने नहीं दिया जाएगा. इस दौरान बाबा बालक नाथ के साथ महंत प्रताप पुरी और विधायक बालमुकुंद आचार्य सहित मंत्री और विधायक खड़े हो गए. दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ विधायक राजेंद्र पारीक सहित अन्य विधायक खड़े हो गए.


क्या है मामला


गौरतलब है कि बुधवार को सदन की कार्यवाही के दौरान टोकाटाकी पर कांग्रेस विधायक श्रवण कुमार ने बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि चारों तरफ सदन में बाबा ही बाबा हैं. ये बयान देकर उन्होंने बाबा बालक नाथ और महंत प्रताप पुरी पर निशाना साधा. जब विधानसभा में कांग्रेस विधायक श्रवण कुमार के बोलने पर दो महंतों ने टोका तो श्रवण कुमार ने कहा कि बाबाजी मेरा समय ले रहे हैं.विधायक श्रवण कुमार ने कहा कि चारों तरफ बाबा ही बाबा हैं. इस पर सदन में जमकर ठहाका लगा.