Kotputli: ग्रामीण क्षेत्र में सड़कों की हालत खराब, गंभीर मरीजों हो रही परेशानी
मोहनपुरा से चौलाई मोड़ तक सड़क मार्ग पर रहने वाले सभी ग्रामीण आज बहुत ही मुशिकल से अपना जीवन बसर कर पा रहे हैं.
Kotputli: पानी बिजली व सड़कों की सुविधा करवाना सरकार का पहला कर्तव्य है. सरकार भले चाहे विकास के बड़े बड़े दावे करे लेकिन हकीकत तस्वीर कुछ और ही बयां करती है. कोटपूतली के चौलाई मोड से मोहनपुरा सड़क मार्ग की सड़क नहीं है बल्कि दरिया है. इस दरिया के बीच से बड़ी मुश्किल से वाहन पार हो पाते हैं. अधिकतर तो रास्ते में वाहन खड़े हो जाते हैं. दोपहिया वाहन आये दिन दुर्घटना का शिकार होते हैं. इस मार्ग पर करीब एक दर्जन से अधिक गांव पड़ते हैं जिनका रास्ता बिल्कुल बन्द हो चुका है लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है. मोहनपुरा में बिरला सीमेंट का एशिया का सबसे बड़ा सीमेंट प्लांट है बावजूद इसके के ना तो सरकार इनकी सुन पा रही है और ना ही उधोगपति.
कोटपूतली सीकर स्टेट हाइवे से जैसे ही चौलाई मोड़ से टर्न करंगे तो सड़क की जगह पानी का दरिया दिखाई देगा. मोहनपुरा से चौलाई मोड़ तक सड़क मार्ग पर रहने वाले सभी ग्रामीण आज बहुत ही मुशिकल से अपना जीवन बसर कर पा रहे हैं. आवागमन के सभी साधन इस मार्ग पर बन्द हो गये. जिनके पास निजी साधन है जैसे तैसे साधनों से कोटपूतली पहुंच पाते हैं. सबसे बड़ी समस्या तो उन छात्र छात्राओं को हो गई जिनकी स्कूल की बसों ने यहां का रूट ही बन्द कर दिया. साथ ही अगर कोई दोपहिया वाहनों से जाते हैं तो अभिभावकों सहित बच्चे आये दिन दुर्घटना का शिकार होते हैं. जब ग्रामीणों के बीच जी मीडिया की टीम पहुंची तो उनका दर्द छलक पड़ा. ग्रामीणों का कहना है कि आखिर हम जाये तो आखिर कहां जायें हमारी सुनने वाला कोई नहीं है.
गांव हिरोड़ा में ऐसे परिवार हैं जिनके परिवार में गंभीर बीमारियों के मरीज हैं जिनका रोजना अस्पताल में जाना जरूरी है नही तो इलाज के अभाव में कभी भी कुछ हो सकता है. एक बच्चा है परिवार में जिसके थलिसमिया की बीमारी है जिसको हर महीने ब्लड बदलवाना पड़ता है लेकिन बिना साधन के परिजन बहुत परेशान होते हैं. कई बार बच्चे के साथ रास्ते मे गिरकर दुर्घटना ग्रस्त हो जाते हैं ना तो एम्बुलेंस आती है और ना ही निजी साधन. वहीं सड़क मार्ग पर बनी दुकानों पर बैठे व्यापारी रोजना लोगों का दंश झलते हैं उनके सामने आये दिन दुर्घटनाएं होती हैं लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है.
इसी मार्ग पर ग्राम कांसली में दिव्यांग व्यक्ति इतने परेशान हैं जो खुद दुसरों के पराधीन हैं. जैसे तैसे करके व्हील चेयर का सहारा लेकर बाहर निकलकर अपना काम खुद करना चाहते है लेकिन जब घर से बाहर निकलते है तो हालत बहुत बुरे नजर आते हैं. दिव्यांग खुद मूलचंद प्रसाशनिक अधिकारियों व जनप्रतिनीधियों के आगे गुहार लगा चुके हैं लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है. वहीं ग्रामीणों का कहना है गांव में पीने का पानी नहीं है लेकिन गड्डों में इतना पानी भरा है. पीने का पानी कैम्पर तक नहीं मंगवा सकते हैं. कोई भी संसाधन यहां नहीं आ सकता है.
इस मार्ग पर दर्जनों गांव पड़ते है और यहां के बच्चे सरकारी व निजी स्कूलों में पढ़ते हैं जो बच्चे पैदल स्कूल जाते हैं वो सही सलामत स्कूल नहीं पहुंच पाते. आये दिन गिरकर चोटिल होते हैं या फिर बच्चों की यूनिफॉर्म खराब हो जाती है. साथ ही बच्चों व अभिभावकों की स्थिति को देखते हुये स्कूल की बसे चालू कर रखी है लेकिन इन साधनों से आने वाले बच्चों की जान हलक में अटकी रहती है और चालक बड़ी मुश्किल से इन रास्तों से वाहन को निकाल पाते हैं. अक्सर गाड़ी बीच रास्ते मे खराब हो जाती है जिससे बच्चे स्कूल व घर आने जाने में बहुत लेट हो जाते हैं. जो अभिभावक अपने बच्चों को खुद स्कूल लाने व ले जाने के लिये रिजर्व रहते हैं कोई काम धंधे पर नहीं जा सकते हैं.
सड़क पानी बिजली को लेकर जहां जनप्रतिनिधि लोगों की समस्या नहीं सुन पा रहे हैं तो फिर ऐसा लोकतंत्र किस काम है. लोग चक्कर लगा कर थक चुके हैं लेकिन जहां भी जाये उन्हें एक ही जवाब मिलता है सड़क का कार्य केंद्र सरकार करेगी. केंद्र में मिलते हैं तो कहते है राज्य सरकार का मेटर है. मोहनपुरा गांव में बिरला अल्ट्राटेक का एशिया का दूसरे नम्बर का प्लांट है लेकिन इन ग्रामीणों की उधोगपति भी नहीं सुन पा रहे हैं.
Reporter-Amit Yadav
ये भी पढ़ें- खुशखबरी: महाराष्ट्र के बाद राजस्थान के किसानों को तोहफा, जल्द खुद कर सकेंगे गिरदावरी
अपने जिले की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें