Sivcharan Mathur and Ashok gehlot story : महाराष्ट्र में शिवसेना में फूट के बाद एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने और देवेंद्र फड़नवीस को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है. बीजेपी की यहां 106 विधानसभा सीटें है. लेकिन फिर भी अमित शाह से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जेपी नड्डा के हस्तक्षेप के बाद देवेंद्र फड़नवीस को उपमुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए राजी होना पड़ा. 


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24 साल पहले राजस्थान में भी ऐसा ही हुआ था. जब दो बार के मुख्यमंत्री को उपमुख्यमंत्री बनने का ऑफर दिया गया. लेकिन उस नेता ने ये ऑफर ठुकरा दिया था. साल 1998 में जब राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी. 1998 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 153 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी. सोनिया गांधी के निर्देशों पर सीनियर कांग्रेसी नेता माधवराव सिंधिया को राजस्थान भेजा गया. सिंधिया उस वक्त राजस्थान के प्रभारी थे.


1 दिसंबर 1998 के दिन उस वक्त के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक गहलोत मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले थे. सुबह 11 बजे के लगभग राजस्थान के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके शिवचरण माथुर के पास कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी माधवराव सिंधिया का फोन गया. सिंधिया ने माथुर से उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का कहा. लेकिन माथुर ने इसके लिए मना कर दिया.



शिवचरण माथुर और माधवराव सिंधिया के बीच गहरी दोस्ती थी. इसकी वजह ये थी कि सिंधिया का संबंध मध्यप्रदेश से था. और शिवचरण माथुर को जन्म भी मध्यप्रदेश में ही हुआ था. सिंधिया ने माथुर को मनाने की काफी कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुए. माथुर ने बड़ी विनम्रता से ये पद लेने से इनकार कर दिया. 


चूंकि शिवचरण माथुर राजस्थान के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके थे. ऐसे में अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनने पर इस सीनियर नेता को सम्मानजनक पद देना भी जरुरी था. ऐसे में ये फैसला लिया गया कि शिवचरण माथुर को राजस्थान विधानसभा का अध्यक्ष बनाया जाएगा. इधर दिग्गज जाट नेता परसराम मदेरणा और उनके समर्थक मदेरणा को मुख्यमंत्री नहीं बनाने से असंतुष्ट चल रहे थे. ऐसे में आखिर मौके पर विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी भी मदेरणा के हिस्से में गई.


आखिर में शिवचरण माथुर को राजस्थान प्रशासनिक सुधार आयोग का अध्यक्ष बनाया गया और कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया. उस वक्य शायद ये सियासी संतुलन बिठाए रखने के लिए जरुरी भी था. लेकिन 1998 में मुख्यमंत्री बने अशोक गहलोत साल 2008 में दूसरी बार और 2018 में तीसरी बार मुख्यमंत्री बने और अब तीसरा कार्यकाल भी पूरा कर रहे है. शिवचरण माथुर अब इस संसार में नहीं है. 25 जून 2009 को उनका निधन हो गया. 


मुख्यमंत्री बनने के बाद किसी को भी उपमुख्यमंत्री का ताज सौंपना उसके लिए काफी मुश्किल भरा होता है. देवेंद्र फड़नवीस भी उपमुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए आसानी से नहीं माने थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को इस मामले में दखल देना पड़ा. तब जाकर वो इस पद के लिए राजी हुए.


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