India news : उस दिन भारतीय सेना की दो टुकड़ियों ने दिल्ली की ओर कूच किया था. एक उत्तर प्रदेश के आगरा से. दूसरी हरियाणा के हिसार से. उसी दिन उस समय के थल सेना अध्यक्ष जनरल वीके सिंह जन्मतिथि विवाद में भारत सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. ये भारतीय इतिहास में पहली बार हुआ था जब सुप्रीम कोर्ट में सेना और सरकार आमने सामने हो गए थे. क्या सेना भारत सरकार का तख्तापलट करने वाली थी. सरकार और सेना के बीच के रिश्ते शक की निगाह से क्यों देखे जाने लगे. क्या हुआ था 16 जनवरी 2012 की रात को.


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जगह- दिल्ली. तारीख- 16 जनवरी 2012. समय- शाम करीब 6 बजे. इंटेलीजेंस इनपुट के जरिए रक्षा मंत्रालय तक इस आर्मी मूवमेंट की खबर पहुंचती है. रक्षा मंत्री एके एंटनी सीधे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलने पहुंचते है. पीएम को बताया जाता है कि आर्मी की दो यूनिट बिना किसी सूचना के आगरा और हिसार से दिल्ली की ओर बढ़ रही है.


भारत सरकार का आतंकी अलर्ट


प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रक्षा मंत्री एके एंटनी को निर्देश दिए कि पूरी जानकारी जुटाई जाए. इधर सरकार ने आर्मी यूनिट की रफ्तार को रोकने के लिए दिल्ली में आतंकी अलर्ट जारी किया. इसके लिए हरियाणा और उत्तर प्रदेश के रास्ते दिल्ली में एंट्री करने वाले सभी वाहनों की सख्ती से जांच होने लगी. मकसद ये था कि एक एक वाहन की जांच की जाएगी. आगरा दिल्ली और हिसार से दिल्ली आने वाले रास्तों पर चलने वाले वाहनों की रफ्तार धीमी होगी.


मलेशिया दौरा छोड़ लौटे रक्षा सचिव


उस समय के रक्षा सचिव शशि कांत शर्मा उस दिन मलेशिया के दौरे पर थे. आधी रात को फोन कर उनको बीच दौरे के वापिस बुलाया गया. 17 जनवरी की सुबह करीब 5 बजे शशि कांत शर्मा ने DGMO एके चौधरी को बुलाया जाता है. एके चौधरी से शशिकांत शर्मा ने आर्मी मूवमेंट की जानकारी मांगी. सवाल किया कि आखिर इस बारे में सूचित क्यों नहीं किया गया. चौधरी ने जवाब किया कि उनको इस बारे में पता था. ये आर्मी की रुटीन एक्सरसाइज है.


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एके चौधरी ने विस्तृत रिपोर्ट देते हुए बताया कि आर्मी एक ड्रिल करना चाहती थी. जिसमें ये देखना था कि अगर कभी इमरजैंसी हो. तो आगरा और हिसार से आर्मी यूनिट को सड़क मार्ग से पूरे लाव लश्कर के साथ दिल्ली के हिंडन एयरपोर्ट पहुंचने में कितना समय लगता है. जनवरी के महीने में काफी धुंध होती है. ऐसे में धुंध के बीच रियल टाइम टेस्ट करने के लिए ये दोनों यूनिट दिल्ली की ओर बढ़ रही है. हिसार से यूनिट पश्चिम की ओर पाकिस्तान की सीमा है इसलिए फिरोजपुर एयरबेस की तरफ नहीं बढ़ सकते. और आगरा यूनिट ने तीन महीने पहले मीडिया ब्रिफिंग भी दिया था.


बीच रास्ते से लौटाई सैन्य टुकड़ियां


रक्षा सचिव के जरिए सरकार ने DGMO को निर्देश दिए गए कि तुरंत एक आदेश जारी कर इन दोनों टुकड़ियों को रोका जाए. दोनों टुकड़ी वापिस आगरा और हिसार चली जाए. इधर सरकार ने आईबी समेत दूसरी एजेंसियों के जरिए DGMO के तर्कों पर जानकारी जुटाई. पहली बात तो सही निकली कि 17 जनवरी के दिन काफी धुंध था. उसमें आर्मी मॉक ड्रिल करना चाहती थी. दूसरी बात कि आर्मी यूनिट हिंडन एयरबेस आने वाली थी. वहां पर C1-30 Hercules विमान पहले से तैनात थे. लेकिन जांच में सामने आया कि उस समय हिंडन एयरबेस पर C1-30 Hercules विमान थे ही नहीं.


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दिल्ली में चला ये पूरा मामला उसी रात शांत हो गया था. देश में किसी को भारत सरकार और इंडियन आर्मी के बीच हुई खींचतान की खबर नहीं लगी. लेकिन करीब 6 सप्ताह बाद इंडियन एक्सप्रेस ने इस पर रिपोर्ट छापी. जिसके बाद पूरे देश को पता चला. उस समय के आर्मी चीफ जनरल वीके सिंह बाद में 2014 के लोकसभा चुनाव बीजेपी के टिकट पर लड़े. 1 मार्च 2014 को बीजेपी में शामिल हुए थे. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वो मंत्री भी रहे. वे उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद से सांसद है.