Motivational: 10 हजार से ज्यादा महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर के प्रति अब जागरूक कर चुकी डॉ. वीना आचार्य
Dr Veena Acharya: ऐसी एक महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर वीना आचार्य, जो महिलाओं में तेजी से बढ़ रहे सर्वाइकल कैंसर को लेकर महिलाओं और बच्चियों को जागरूक करने का काम कर रही हैं.
Dr Veena Acharya: 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस है. यह बीमारी भारत ही नहीं विश्व भर में हर साल हजारों महिलाओं को अपनों से दूर कर देती है. वहीं अपनों से दूर न हो इसके लिए सर्वाइकल कैंसर के प्रति जागरूक कर इस जानलेवा बीमारी से लगतार 10 हजार से ज्यादा महिलाओं की बचाने का काम कर रही हैं.
ऐसी ही एक महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर वीना आचार्य, जो महिलाओं में तेजी से बढ़ रहे सर्वाइकल कैंसर को लेकर महिलाओं और बच्चियों को जागरूक करने का काम कर रही हैं. वह जनाना अस्पताल ओर महिला चिकित्सालय में भी अपनी सेवाएं दे चुकी हैं.
सर्वाइलक कैंसर क्या है
डॉ. वीना आचार्य ने बताया कि, सर्वाइकल कैंसर महिला गर्भाशय के प्रवेश द्वार पर होने वाला कैंसर है. इसमें गर्भाशय ग्रीवा की परत में असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि होती है. सबसे आम सर्वाइकल कैंसर स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा है, जो 70% मामलों में होता है. एडेनोकार्सिनोमा कम आम है, जो लगभग 25% मामलों में होता है. इसका निदान करना अधिक कठिन है क्योंकि यह गर्भाशय ग्रीवा में उच्चतर शुरू होता है.
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण
डॉ आचार्य ने बताया कि, गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में कैंसर पूर्व परिवर्तन शायद ही कभी लक्षण पैदा करते हैं. यह जानने का एकमात्र तरीका है कि क्या असामान्य कोशिकाएं हैं जो कैंसर में विकसित हो सकती हैं, सर्वाइकल स्क्रीनिंग टेस्ट कराना है. यदि प्रारंभिक कोशिका परिवर्तन गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर में विकसित होते हैं, तो सबसे आम लक्षणों में शामिल हैं.
सर्वाइकल कैंसर के महिलाओं में लक्षण
मासिक धर्म के बीच योनि से रक्तस्राव
मासिक धर्म में रक्तस्राव, जो सामान्य से अधिक लंबा या भारी हो
संभोग के दौरान दर्द
संभोग के बाद रक्तस्राव
पेडू में दर्द
आपके योनि स्राव में परिवर्तन जैसे अधिक स्राव या इसमें तेज या असामान्य रंग या गंध हो सकती है
रजोनिवृत्ति के बाद योनि से रक्तस्राव.
सर्वाइकल कैंसर का इलाज
टीका है बचाव का तरीका
डॉ. वीना आचार्य ने बताया कि सवाईकल कैंसर के लिए एचपीवी टीका लगाया जाता है. ये एकमात्र कैंसर है, जिसका टीके से इलाज संभव है. इसके लिए 9 से 14 साल की उम्र में लड़के और लड़कियों को 6 महीने के अंतराल में टीके की दो खुराक लगवानी चाहिए. 15-26 साल या उससे अधिक आयु के लोगों को टीके की 3 खुराक की आवश्यकता है. 26 से 45 साल की महिलाएं भी ये टीका लगवा सकती है लेकिन टीके का उतना असर नहीं होता जितना किशोरअवस्था में लगावाए टीके से होता है.
10 हजा से ज्यादा महिला-बच्चियों का कर चुकी जागरूक
डॉ वीना आचार्य ने बताया कि महिला ओर बच्चियों को इस कैंसर की जानकारी देने के लिए जगह जगह अवेयर कार्यक्रम चलाए जाते हैं. उनको टीके के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. इस टीके की दो खुराक 4 हजार रूपए के करीब पड़ती है. सरकार की ओर से टीके को निशुल्क किया जाए तो निश्चित रूप से इस रोग पर काबू पाया जा सकता है.