Mughal : मुगलों के हरम जहां औरतों को ठूंस-ठूंसकर पर्दे में रखा जा रहा था. वहीं एक मुगल बादशाह ऐसा भी था जो खुद पर्दे में रहना पसंद करता था. बादशाह के शौक भी निराले थे और ये खुद में ही एक अलग किरदार था.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


मुगल बादशाह वहीं करता था जो ज्योतिष उसे बताते थे, दरअसल उसने बचपन में अपने पिता को भी ज्योतिषियों की बात बनाते हुए देखा था. इसी परंपरा को वो मानता था.


इस मुगल बादशाह के हर दिन लिबास और लिबास के रंग पहले से तय थे. ग्रहों की स्थिति को देखकर कपड़े बदलने वाले इस मुगल बादशाह के दरबार में एंट्री से पहले कुछ नियमों का पालन जरूरी था. जैसे नई नवेशी दुल्हन के लिए घर में प्रवेश रखने के लिए दाएं पैर से एंट्री लेना अनिवार्य हैं. वैसे ही इस मुगल बादशाह के दरबार में भी एंट्री होती थी.


अगर को भूलसे बाएं पैर की बजाय दाएं पैर को पहले दरबार में रखें तो उसको बैंरग लौटा दिया जाता था. कदमों को देखकर मुगल बादशाह ये तय करता था कि वो मुलाकात करनेगा भी या नहीं. मुगल काल में ज्योतिष में नजूमी कहा जाता था. जिसके कहें अनुसार ये बादशाह काम करता था.


ये बादशाह कोई और नहीं बल्कि हुमायूं था. पिता की मौत के बाद हुमांयू ने 23 साल की उम्र में सत्ता संभाली थी. और पर्दा करता था ये उसकी सुरक्षा की दृष्टि से उठाया या कदम था. पर्दे के बिना वो सिर्फ कुछ ही लोगों से मिलता था. हुमांयु का हाथ अंगूठियों से भरा रहता था. 


जो अलग अलग ग्रहों से जुड़ी थी. हुमांयु का जन्म 6 मार्च 1508 को हुआ था. बाबर ने उसका नाम हुमांयू नसीरुद्दीन रखा, जिसे बाद में हुमांयू कहा जाने लगा. जिसका मतलब होता है सौभाग्यशाली. बाबर भी ये मानता था कि हुमायूं के जन्म के बाद ही उसके दिन बदल गये थे. इसलिए उसने महज 12 साल की उम्र में हुमायूं को सूबेदार का पद दिया था. फिर बाद में हुमांयू ने 18 साल की आयु में हामिद खां को हराया और बाबर की मौत के बाद 23 साल की उम्र में उसको सत्ता मिली.