Naga Sadhus : पिछले कुछ सालों में नागा साधुओं की तादात बढ़ी है. खासतौर पर नागा महिला साध्वियों की. एक लंबी प्रक्रिया के बाद ही कोई नागा साधु या साध्वी बन सकता है. कुछ महिला साध्वियां निर्वस्त्र ही रहती हैं और जगंलों में तपस्या करती है और कुंभ के दौरान ये दर्शन देती हैं.


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नागा साध्वी को लंबी ब्रह्मचर्य तपस्या से गुजरना पड़ता है. शुरुआत में 12 साल तक महिला को अपने घर आने जाने की छूट होती है, लेकिन धीरे धीरे मोह छोड़ना होता है. फिर आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करने का संकल्प लेकर कुंभ के दौरान नागा महिला साध्वियों को अखाड़े में प्रवेश मिलता है.


गुरु महिला साध्वी को 5 मीटर का भगवा कपड़ा देता है जिसे वो गर्दन के पास गांठ बांध लेती है. यही कपड़ा अब उसका वस्त्र होता है. साथ ही गुरु, शिष्या को जनेऊ और एक गुरु मंत्र भी देता है.


नागा महिला साध्वी के 16 संस्कार होते हैं. महिला को एक दिन उपवास रहना होता है. गोबर, दही,दूध, हल्दी, भभूत और चंदन से नहलाया जाता है. मुंडन के बाद साध्वी को गोमूत्र पिलाया जाता है.108 बार गंगा में डुबकी लगाने के बाद. मंत्र और हवन का दौर चलता है 


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इसके बाद  आग के सामने बैठाया जाता है. अगले दिन धूप में बिठाया जाता है. और महिला खुद अपना पिंडदान करती है. और एक साधारण महिला, अब नागा साध्वी हो जाती है.जिसका परिवार से कोई संबंध नहीं होता है वो कभी भी अपने घर में नहीं जा सकती है.


इधर पुरुष नागा साधु का लिंग संस्कार होता है और आजीवन ब्रह्मचर्य का सकंल्प लिया जाता है. नागा पुरुष हमेशा बिना कपड़ो के रहते हैं लेकिन नागा महिला साध्वी भगवा चोला पहनती है. कुछ बिना वस्त्र के जंगलों और गुफाओं में रहती है और कुंभ के दौरान ही दर्शन देती है.