Navratri 2024: राजस्थान में नवरात्रि के पहले दिन मंदिरों से लेकर घरों में मां भगवती के पहले रूप शैलपुत्री की आराधना की. मन में मां दुर्गा की झलक पाने की होड़ और जय मां अंबे, शेरावाली का जयकारे लगाते भक्त नौ देवियों की आराधना के महापर्व शारदीय नवरात्र की पहले दिन ऐसा ही नजारा देखने को मिला.


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मंदिरों से लेकर घरों में घंटे घड़ियालों के बीच सुबह शुभ मुहूर्त में घट स्थापना के साथ ही भक्तों ने पहले दिन मां भगवती के पहले रूप शैलपुत्री की आराधना की. आमेर स्थित शिला माता, कालक्या माता मंदिर, राजापार्क स्थित माता वैष्णो मंदिर सहित माता के अन्य मंदिरों में घट स्थापना के साथ दुर्गा सप्तशती और रामचरित मानस के पाठ शुरू हुए. मां के अलग-अलग रूपों की आराधना कर भक्त व्रत आदि रखकर अपने आत्मबल को मजबूत करेंगे.


 



इस बार तृतीया तिथि में वृद्धि से भक्त 10 दिन तक मां भगवती की साधना करेंगे. आमेर शिला माता मंदिर में सुबह 6:35 बजे घट स्थापना के बाद दर्शन खुले. लाइनों में लगकर माता के दर्शनों के लिए भक्तों का उत्साह देखने लायक रहा. पुजारी बनवारी शर्मा ने बताया कि माता को जयपुर के पूर्व राजपरिवार से आई आरी तारी और स्वर्ण रंग की विशेष पोशाक धारण करवाई गई.



राजस्थान की ये ऐसी शक्तिपीठ है, जहां तांत्रिक और वैदिक दोनों पद्धति से माता रानी की पूजा होती है. मंदिर में दर्शन सुबह रोजाना 6 बजे से दोपहर 12:30 और शाम 4 बजे से लेकर रात 8:30 बजे तक होंगे. उधर दुर्गापुरा स्थित दुर्गामाता मंदिर में महंत महेन्द्र भट्टाचार्य के सानिध्य में सुबह 7 बजे घटस्थापना हुई. दुर्गा सप्तशती का पाठ के बाद माता का ऋतु पुष्पों से विशेष शृंगार किया. 


 



आरी-तारी और गोटे के काम वाली चुनरी की पोशाक धारण करवाई गई. राजापार्क पंचवटी सर्कल स्थित माता वैष्णों में सुबह 6:30 बजे घट स्थापना हुई. नवरात्रि में माता रानी की दिनभर में 9 बार पोशाक बदली जाएगी. नवरात्र के दौरान मंदिर सुबह 6:30 से दोपहर 12 बजे तक और शाम 5:30 से रात 10 बजे तक खुला रहेगा. 


 



गौरतलब है कि इस बार मां दुर्गा का आगमन पालकी पर हुआ है और प्रस्थान हाथी पर होगा. ऐसे में देश की साख मजबूत होगी, लेकिन कुछ जगहों पर प्रजा को परेशानी होगी. पालकी डोली पर माता के आगमन से प्राकृतिक आपदा की भी आशंका है. सामान्यतया उन्नति और सौहार्द का वातावरण रहेगा.