Jaipur : राजस्थान हाईकोर्ट ने टोंक रोड पर कैपस्टन मीटर को औद्योगिक उद्देश्य के लिए दी गई जमीन की लीज शर्तों की अवहेलना करने के बाद भी राज्य सरकार की ओर से जमीन वापस नहीं लेने पर प्रमुख यूडीएच सचिव और जेडीए आयुक्त सहित केन्द्र सरकार व अन्य से जवाब तलब किया है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश डॉ. जय नारायण त्रिवेदी की जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने पूछा है कि क्यों ना मामले की जांच सीबीआई या अन्य किसी निष्पक्ष जांच एजेंसी से कराई जाए.


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याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने वर्ष 1965 में गोपालपुरा पुलिया के पास स्थित इस 205 बीघा भूमि को कैपस्टन मीटर प्रा. लि. को औद्योगिक उद्देश्य के लिए लीज पर दिया था. लीज में यह शर्त थी कि जिस उद्देश्य के लिए जमीन लीज पर दी गई है. वहीं उद्देश्य पूरा नहीं होता है तो जमीन स्वत: ही राज्य सरकार में निहित हो जाएगी. इसके अलावा लीज दस्तावेजों से स्पष्ट है कि यह भूमि आवंटी न तो किसी अन्य उपयोग में लेगा और ना ही हस्तांतरित कर सकेगा. 



याचिका में कहा गया कि इसके बावजूद भी जमीन के कुछ हिस्से को मैसर्स जय डिंक्स प्रा. लि. को सब-लीज पर दे दी गई. दोनों कंपनियों के निदेशक भी एक ही जयपुरिया परिवार से संबंध रखते हैं. वहीं इस भूमि के एक हिस्से में उच्च अधिकारियों और राजनेताओं की शह पर ज्वैल्स ऑफ इंडिया नाम से रिहायशी फ्लैट्स की बहुमंजिला इमारत बना दी गई. याचिका में यह भी कहा गया कि बिल्डर के दबाव में इस जमीन के व्यावसायिक उपयोग की भी अनुमति दे दी गई. 


जेडीए के तत्कालीन विधि निदेशक दिनेश गुप्ता ने अपनी विस्तृत टिप्पणी में इस कृत्य को भ्रष्टाचार की संज्ञा देते हुए मामले की जांच निष्पक्ष जांच एजेंसी से करने की विधिक राय दी, लेकिन उनका निदेशक पद से तबादला कर दिया गया. याचिका में गुहार की गई की मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए और जमीन को राज्य सरकार वापस अपने स्वामित्व में ले. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.


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