Rajasthan Roadways: राजस्थान रोडवेज में जल्द ही नई बसों की खेप आएगी. इनमें से कुछ बसें अनुबंध पर तो कुछ खरीद कर लाई जाएंगी. रोडवेज प्रशासन ने अपने बेड़े में नई बसें शामिल करने के लिए प्रक्रिया तेज कर दी है. 


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राजस्थान रोडवेज में लम्बे समय से नई बसें नहीं खरीदी जा सकी हैं और पिछले 8 माह से अनुबंध पर भी बसें नहीं ली जा सकी हैं. लेकिन अब राेडवेज प्रशासन ने नई बसें लेने के लिए कवायद तेज कर दी है. दरअसल दिल्ली में केवल बीएस-6 बसों के संचालन की अनुमति का नया आदेश आने के बाद रोडवेज प्रशासन के सामने दिक्कत ज्यादा हो रही है. इससे पहले 400 बसें अनुबंध पर मई 2023 में ली गई थी. इसके बाद रोडवेज प्रशासन 590 नई बसें खरीदने के लिए कवायद कर रहा है. हालांकि यह कोशिश अब तक सफल नहीं हो सकी है. पूर्व में बस निर्माता कम्पनियों की तरफ से रेट कम नहीं करने के चलते रोडवेज प्रशासन को बसें नहीं मिल सकी थी. 


वहीं आचार संहिता लगने के बाद रोडवेज में बस खरीद अटक गई थी. लेकिन पिछले दिनों डिप्टी सीएम डॉक्टर प्रेमचंद बैरवा की ओर से अनुमति दिए जाने के बाद रोडवेज प्रशासन ने बसें अनुबंध पर लेने और नई बसें खरीदने के लिए प्रक्रिया तेज कर दी है. इसमें एक तरफ जहां 2 चरण में एक्सप्रेस और लग्जरी बसें अनुबंध पर ली जा रही हैं. वहीं करीब 350 नई बसें खरीदने के लिए भी निजी कम्पिनयों से वार्ता जारी है. बस खरीद के लिए बॉडी बनाने का टेंडर 8 फरवरी को खोला जाएगा.


रोडवेज में बसें लाने की क्या है प्रगति ?


- रोडवेज के बेड़े में अभी करीब 2800 बसें हैं, लेकिन इनमें 1500 बसें कबाड़
- यानी ये 1500 बसें अपनी 8 साल उम्र पूरी कर चुकी हैं


- लेकिन बेहतर रिपेयरिंग-सर्विसिंग के जरिए इन्हें अभी तक चलाया जा रहा


- 130 नई बसें अनुबंध पर लेने की एलओआई पिछले माह जारी कर दी गई


- 400 बसें अनुबंध पर लेने का टेंडर सितंबर में जारी हुआ था


- इनमें से 40 बसें अनुबंध पर लेने के लिए एलओआई जारी किया गया


- हालांकि राहत यह कि ये 40 बसें अधिकतम 11.50 रुपए प्रति किमी की दर से ली जाएंगी


- इससे अधिक दर पर रोडवेज में कोई बस अनुबंध पर नहीं ली जाएगी


- रोडवेज प्रशासन को इसी दर पर करीब 70 और बसें मिलने का है अनुमान


- 76 लग्जरी बसें भी अनुबंध पर लेने के लिए रोडवेज प्रशासन प्रयासरत


- इनमें से 70 लग्जरी बसें लेने के लिए प्रशासन ने एलओआई जारी की


रोडवेज में बसें अनुबंध पर लेने पर अक्सर पारदर्शिता नहीं रखने की बात सामने आती है, लेकिन इस बार प्रबंध निदेशक नथमल डिडेल ने इन सब सवालों पर विराम लगा दिया है. दरअसल रोडवेज में ये बसें जब अनुबंध पर ली जाती हैं तो प्रत्येक डिपो की स्थिति के हिसाब से दर बदल जाती है. कुछ निजी बस कंपनियां दूरस्थ जिलों में बसें चलाने के लिए अधिक रेट कोट करती हैं. लेकिन अब रोडवेज प्रशासन ने तय किया है कि कम्पनियों को अधिकतम साढ़े ग्यारह रुपए प्रति किमी की दर से ही भुगतान किया जाएगा. ऐसे में अब निजी कम्पनियों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाकर कम दरों पर बसें लेने के लिए कवायद की जा रही है. चूंकि बीएस-6 बसों की कमी के चलते अभी दिल्ली रूट पर रोडवेज बसों का संचालन आंशिक रूप से प्रभावित हो रहा है, ऐसे में रोडवेज प्रशासन का प्रयास है कि जल्द ही नई बसों को लेने की प्रक्रिया पूरी की जाए, जिससे अगले 4 माह में सभी बसें मिल सकें और यात्रियों को यात्रा के लिए विकल्प दिया जा सके.