Jaipur: राजस्थान (Rajasthan) में अभिभावकों के आर-पार की लडाई अब सदन तक पहुंच रही है. विधानसभा (Assembly) का मानसून सत्र शुरू होते ही अभिभावकों ने सरकार की घेराबंदी शुरू कर दी है. 13 सितंबर को प्रदेशभर के पैरेट्स विधानसभा का घेराव करेंगे लेकिन इसके पीछे भी अब सरकार की कोरोना गाइडलाइन (Corona guideline) आड़े आ रही है.


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अभिभावकों का आंदोलन अब सड़क से सदन तक पहुंच रहा है. आर-पार की लडाई के मूड में अभिभावकों ने विधानसभा का घेराव करने की चेतावनी दे दी. 13 सितंबर को प्रदेशभर के अभिभावक विधानसभा का घेराव करेंगे.


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खास बात यह है कि अबकी बार अधिक ताकत दिखाने के लिए अभिभावकों के सभी संगठन एक प्लेटफॉर्म पर दिखाई देंगे. आंदोलन को और मजबूत करने के लिए अभिभावक विपक्ष के नेताओं को भी जोड़ना शुरू कर दिया है. अभिभावक संघ ने किरोड़ीलाल मीणा (Kirodilal Meena), सतीश पूनिया (Satish Poonia) समेत कई विपक्षी नेताओं के मुलाकात कर सदन में इस मुद्दे को उठाने की गुहार लगाई.


अभिभावकों की ये हैं प्रमुख मांगें
अभिभावक संघ से जुडे संगठन चाहते हैं कि जब तक सभी बच्चों को कोरोना का टीका न लग जाये तब तक स्कूल ना खोले जाएं. राज्य सरकार और केन्द्र सरकार, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को पुख्ता करने के लिए, जिनकी दो बेटी हैं, उनकी पूरी शिक्षा शुल्क माफ करने का आदेश लाकर इसे लागू करे. राज्य सरकार अध्यादेश लाकर, कोरोना काल की विभीषिका को देखते हुए और ऑनलाईन क्लासेज का शुल्क वार्षिक शिक्षा शुल्क का 15% तुरंत लागू करे. राज्य सरकार ऑनलाइन शिक्षा के लिए जरूरतमंद बच्चो को लैपटॉप या स्मार्ट फोन उपलब्ध कराए. शिक्षा शुल्क न जमा करा पाने की स्थिति में ऑनलाइन शिक्षा सुचारू रूप से चलनी चाहिये. इसके लिए राज्य सरकार स्कूलों को पाबंद करे तथा इसकी गंभीरता को समझते हुए इसमें हस्तक्षेप कर ठोस कार्यवाही सुनिश्चित करे.


निजी स्कूलों को सूचना के अधिकार के अंतर्गत लाए
राज्य सरकार सुनिश्चित करें कि निजी स्कूलों के द्वारा लिया गया साल भर का शुल्क आयकर स्लैब में आना चाहिए. राज्य सरकार सभी निजी स्कूलों को सूचना के अधिकार के अंतर्गत लाए और केन्द्रीय एजेंसी के द्वारा खातों की ऑडिट करवाये और उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक करे. इसके साथ राज्य सरकार स्कूल में प्रवेश के लिए टीसी की अनिवार्यता समाप्त करे. अभिभावक द्वारा टीसी मांगने पर बिना किसी प्रकार के उत्पीड़न के उन्हें टीसी उपलब्ध करवा कर न्याय करें.