Jaipur: प्रदेश में वन क्षेत्र की भूमि पर बसे लोगों को अपने आशियाने का पट्टा नहीं मिल सकेगा. सरकार ने स्पष्ट किया कि वन भूमि के डायवर्जन का कोई प्रावधान नहीं है, ऐसे में प्रदेश की लाखों बाशिंदों को कोई राहत नहीं मिल सकेगी.


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वन क्षेत्रों की भूमि पर अतिक्रमण का मामला
राज्य विधानसभा में गुरुवार को प्रश्नकाल के दौरान विधायक बाबूलाल नागर ने प्रदेश के वन क्षेत्रों की भूमि पर अतिक्रमण का मामला उठाया. जवाब में वन मंत्री हेमाराम चौधरी ने कहा कि वन भूमि पर लोगों के बसावट को लेकर पूरे प्रदेश भर से मामले सामने आते हैं, लेकिन वन भूमि के अन्य उपयोग को लेकर डायवर्जन का कोई नियम नहीं है. नागर ने कहा कि वन क्षेत्र की भूमि पर काफी समय से लोग मकान बनाकर रह रहे हैं, सरकारी भवन बने हुए है. लोगों को सरकार किस तरह से राहत या पुनर्वास किया जाए, उस पर सरकार की क्या कार्य योजना है?


वन क्षेत्र में किए गए अवैध अतिक्रमणों को हटाने के लिए भू-राजस्‍व अधिनियम 1956 की धारा 91 या वन्‍यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धारा 34 ए के प्रावधानों अनुसार नियमानुसार सुनवाई कर प्रकरणों में निर्णय अनुसार अतिक्रमणों को हटाया जाता है.


40 साल से मैं भी लगा हूं: स्पीकर जोशी
स्पीकर सीपी जोशी सवाल पर हस्तक्षेप करते हुए कहा कि वन विभाग और राजस्व विभाग मामले को बैठकर सुलझाए, कि किस तरह से लोगों को राहत दी जा सकती है. मेरे विधानसभा क्षेत्र नाथद्वारा में भी इसी तरह की समस्या है, मैं जब से राजनीति में आया हूं तब से इस मसले को लेकर जूझ रहा हूं, लेकिन सरकार में किसी भी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं होती है.


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प्रदेश में वन भूमि पर 25908 अतिक्रमण चिन्हित
वन विभाग के अनुसार प्रदेश भर में वन भूमि पर सर्वे कराकर अतिक्रमण को चिन्हित किया गया है इन अतिक्रमण की संख्या 25,908 प्रदेश के सभी जिलों में यह अतिक्रमण चिह्नित किए गए.