International Day of Yoga: योग के रंग में रंगा गुलाबी शहर, स्वस्थ रहने का दिया संदेश
Jaipur News: अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस पर जयपुरराइट्स ने सुहानी सुबह में योगाभ्यास किया. अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर सेहत संवारने के लिए गांव से लेकर शहर तक लोग योगासन पर रहे. साथ ही स्वस्थ रहने के लिए दिनचर्या में योग का शामिल करने का संकल्प लिया. योगा फॉर सेल्फ एंड सोसाइटी थीम पर राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की ओर से आयोजित योग कार्यक्रम में जंतर-मंतर पर सुबह-सुबह की ठंडी बयार के बीच योगाभ्यास कर आमजन को योग के माध्यम से निरोग रहने का संदेश दिया.
भोर की प्रथम किरणों के साथ शुरू हुए योग कार्यक्रम में योग के रंग बिखरे
डॉक्टर्स, आयुर्वेद की स्टडी कर रहे विदेशी स्टूडेंट्स, छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग और आम से लेकर खास ने अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस पर योग क्रियाएं, आसन, प्राणायाम कर योग के रंग में रंगे हुए नजर आए. राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की ओर से जंतर-मंतर पर आयोजित योगा फॉर सेल्फ एंड सोसाइटी थीम पर पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर योग कार्यक्रम आयोजित हुआ. प्रकृति के सानिध्य में भोर की प्रथम किरणों के साथ शुरू हुए योग कार्यक्रम में योग के रंग बिखरे. कहीं संगीतमय माहौल में वायलिन की धुन पर योग हुआ तो कहीं योग के नारे लगे.
योग का मतलब सिर्फ शरीर को मोड़ना, घुमाना या सांस लेना-छोड़ना नहीं
सुहाने मौसम में सुबह-सुबह की ठंडी बयार के बीच योगाभ्यास कर आमजन को योग के माध्यम से निरोग रहने का संदेश दिया. इस योग में आयुर्वेद की पढाई कर रहे विदेशी स्टूडेंट्स ने भी योगा किया. राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के निदेशक डॉक्टर संजीव शर्मा ने कहा की जब आप योग शब्द सुनते हैं तो आपके मन में क्या ख्याल आता है. प्राणायाम, व्यायाम या लचीला शरीर लेकिन योग सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है. ये इससे कई गुना ज्यादा है.
योगा दिवस पर अलग-अलग मुद्राओं में योग
राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में 16 देशों के करीब आयुर्वेद की पढ़ाई कर रहे 70 स्टूडेंट्स ने भी अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस पर अलग अलग मुद्राओं में योग किया. ईरान से जयपुर में पढाई करने आई डॉक्टर फातिमा मोहजामी ने कहा की योग और आयुर्वेद हमारी प्राचीन विदाएं हैं. कुदरत ने हमारे अंदर रोगों से लड़ने का एक तंत्र विकसित किया है लेकिन आज के इस भागदौड़ वाली जिंदगी में मनुष्य तनावों से ग्रस्त है इसकी वजह से हमारा रोग रोधी तंत्र गड़बड़ा जाता हैं. यदि हम योग को अपनाएं तो कोई कारण नहीं कि कोई भी बीमारी हमारे नजदीक भी सके.
दुनियाभर में योग के लिए सबसे पहले भारत का नाम लिया जाता
योग का मतलब सिर्फ शरीर को मोड़ना, घुमाना या सांस लेना-छोड़ना नहीं है. यह आपको ऐसी अवस्था में लाने का एक तरीका है, जहां आप वास्तविकता को वैसे ही देखते और अनुभव करते हैं, जैसी वह है. योग-अध्यात्म भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख अंग है. दुनियाभर में योग के लिए सबसे पहले भारत का नाम लिया जाता है. जब दुनिया योग का अर्थ नहीं जानती थी, उससे हजारों साल पहले भी भारत के ऋषि मुनी योग और तप के जरिए ज्ञान प्राप्त करते थे. योग हमारे शरीर के साथ-साथ दिमाग को भी स्वस्थ रखता है. यह खूबसूरत कला कई शताब्दियों में विकसित हुई है और आज ये विश्व भर में फैल चुकी है.
योग को विश्व के दूसरे देश भी स्वीकार करने लगे
वेस्ट इंडीज से जयपुर राष्ट्रीय आयुर्वेद की पढाई कर रहे डॉक्टर अवनीश नारायण ने कहा कि जिन्दगी में योग का विशेष महत्व है. पिछले कुछ सालों से योग को विश्व के दूसरे देश भी स्वीकार करने लगे हैं, जिससे अब कई देशों में योग की नियमित कक्षाएं भी लगने लगी है. तन और मन स्वस्थ रखने के लिए नियमित रूप से योग-प्राणायाम करना जरुरी है. नियमित योग करने से शरीर स्वस्थ रहता है और व्यक्ति को कई तरह के रोगों से और तनाव से मुक्ति मिलती है. अफगानिस्तान की डॉक्टर बसीरा और ईरान की डॉक्टर परिसा ने इंटरनेशनल योग डे पर कहा की शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक सुख और आध्यात्मिक प्रगति के लिए योग महत्वपूर्ण है. योग से बीमारियों को दूरकर खुद को स्वस्थ रख सकते हैं. योग से नैतिकता का विकास होता है.
नकारात्मकता को सकारात्मकता में योग के माध्यम से परिवर्तित कर सकते
बहरहाल, प्राचीन काल से हमारी सेहत का अहम सूत्र योग अब हमारी दिनचर्या में पूरी तरह से समा चुका है. फिटनेस हमारी जिंदगी में बहुत बड़ा रोल निभाती है. अगर हम फिट रहेंगे, तभी अपने सारे काम बेहतर ढंग से कर सकते हैं.यदि शरीर और मन को स्वस्थ रखना है तो हमें योग की शरण में जाना होगा. योग से आत्म शुद्धि होती है. हमारे अंदर की नकारात्मकता को सकारात्मकता में योग के माध्यम से परिवर्तित कर सकते हैं. हम योग को जाने पहचाने और उसका प्रयोग अपने जीवन में कर अपने जीवन को सफल बना सकते हैं.