16 सोमवार के पूजन के समय रखें इन बातों का रखें खास ध्यान, तभी मिलेंगे मनचाहे परिणाम
सोलह सोमवार व्रत श्रावण मास के पहले सोमवार से शुरू होता है और 16 सप्ताह तक चलता है. भक्त अन्य उपवासों की तरह इसमें भी पूजा करते हैं, अनुष्ठान करते हैं और सोलह सोमवार व्रत कथा दोहराते हैं.
सोलह सोमवार व्रत श्रावण मास के पहले सोमवार से शुरू होता
सोलह सोमवार व्रत श्रावण मास के पहले सोमवार से शुरू होता है और 16 सप्ताह तक चलता है. भक्त अन्य उपवासों की तरह इसमें भी पूजा करते हैं, अनुष्ठान करते हैं और सोलह सोमवार व्रत कथा दोहराते हैं. कई बार लोग अधूरी जानकारी के चलते इसे ठीक से नहीं करते हैं. तो 16 सोमवार व्रत कैसे करें, क्या हैं इनके नियम, इन सबके बारे में ज्योतिष परिषद एवं शोध संस्थान अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने जानकारी दी है. नियमों का ध्यान रखने से आपको व्रत का पूर्ण फल मिलता है.
सोलह सोमवार व्रत का पालन करना आसान
16 सोमवार तक पवित्र मन और समर्पण के साथ व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए. व्रत की शुरुआत स्नान और सुबह जल्दी उठने के साथ होती है. पूजा सामग्री और पूजा की वस्तुओं को व्यवस्थित करने का कार्य किया जाता है.
घर में भी कर सकते पूजा
शिव मंदिर जाकर पूजा-अर्चना कर सकते हैं या फिर घर में पूजा कर सकते हैं. शुरू करने के लिए, मूर्ति पर पानी डालकर मूर्ति को शुद्ध करें. इसके बाद फोटो को फूलों से सजाएं और दिए से आरती उतारें.
सावन महीने की पूजा की विधि
सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें. घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. सभी देवी देवताओं को गंगा जल से अभिषेक करें. शिवलिंग में गंगा जल और दूध चढ़ाएं.
सात्विक चीजों का भोग ही लगाएं
इसके बाद भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें. भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें. भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं. ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है.
सावन में रखें ये सावधानियां
सावन में तामसिक भोजन ना करें. मांसाहार भोजन, मदिरापान, हरी सब्जियां, बैंगन, लहसुन, प्याज का त्याग करें. सावन के पूरे महीने शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाता है, ऐसे में दूध का सेवन ना करें. मान्यता है कि श्रावण माह में शरीर पर तेल भी नहीं लगाना चाहिए.
न दुखाएं किसी का दिल
शिव भक्ति के लिए एक समय ही सोएं बाकी का पूरा दिन शिव भक्ति में लीन रहें. जो व्यक्ति सच्चे मन से शिव जी पूजा करता है, उसके सभी संकट दूर हो जाते हैं. ईश्वर की भक्ति का फल तभी मिलता है, जब विचारों में सकारात्मकता हो. सावन में किसी का अपमान ना करें, कोई अधार्मिक काम ना करें.