जयपुर के इन जगहों पर घूमने का करें प्लान, दिल-दिमाग को मिलेगी शांति
Travel story: गुलाबी शहर के नाम से मशहूर जयपुर राजस्थान की राजधानी है और अपने विभिन्न आकर्षणों के लिए जाना जाता है. जयपुर में आमेर का किला, हवा महल, जंतर मंतर, गलताजी मंदिर, बिड़ला मंदिर और नाहरगढ़ किला इन जगहों पर जाकर आपको अच्छा महसूस होगा.
जयपुर
गुलाबी शहर के नाम से मशहूर जयपुर राजस्थान की राजधानी है और अपने विभिन्न आकर्षणों के लिए जाना जाता है. जयपुर में आमेर का किला, हवा महल, जंतर मंतर, गलताजी मंदिर, बिड़ला मंदिर और नाहरगढ़ किला इन जगहों पर जाकर आपको अच्छा महसूस होगा.
आमेर का किला
आमेर किला एक चट्टानी पहाड़ी पर स्थित है, राजसी आमेर किला जयपुर का एक दर्शनीय पर्यटन स्थल है. आमेर का किला को महाराजा मान सिंह द्वारा 1592 ई में लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से बनाया गया था. यह राजस्थान के शाही परिवार का निवास था. किले से डूबते सूरज का नजारा मनमोहक होता है.
हवा महल
खूबसूरत नक्काशीदार झरोखों वाली यह इमारत बलुआ पत्थर से बनाई गई है. छत्ते के आकार में बना हवा महल जयपुर के एक मील का पत्थर है. हवा महल को "हवाओं का महल" के रूप में भी जाना जाता है. यह पांच मंजिला इमारत 1799 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह द्वारा शाही महिलाओं के लिए सड़क पर रोजमर्रा की जिंदगी और समारोहों को देखने के लिए बनाई गई थी.
जंतर मंतर
जयपुर में जंतर मंतर दर्शनीय पर्यटन स्थल हैं, क्योंकि इसमें 27 मीटर की ऊंचाई के साथ दुनिया का सबसे बड़ा पत्थर धूपघड़ी यानी सनडायल है. इस स्थान का निर्माण पुराने समय में खगोलीय गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किया गया था. पुराने समय में जब घड़ियां और कंपास नहीं होते थे, तब उस समय जंतर मंतर में बने यह यंत्र बहुत ज्यादा उपयोग में लाए जाते थे.
गलताजी मंदिर
गलताजी मंदिर सूर्य देव, हनुमान और बालाजी को समर्पित है. गलताजी मंदिर के परिसर में तीर्थस्थल, पवित्र तालाब, मंडप और प्राकृतिक झरने शामिल हैं. नक्काशी से डिजाइन की गई दीवारों पर सजी कलात्मक पेंटिंग्स मंदिर को भव्य हवेली जैसा रूप देती है. गलताजी मंदिर एक बड़ा मंदिर परिसर है, जिसमें अनेकों अन्य मंदिर भी हैं.
बिड़ला मंदिर
बिड़ला मंदिर को लक्ष्मी नारायणन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर सफेद संगमरमर से बनाया गया है. इस मंदिर में देवी लक्ष्मी, भगवान विष्णु और अन्य हिंदू देवी-देवताओं की सुंदर रूप से गढ़ी गई मूर्तियां हैं, जो नक्काशी का अनूठा नमूना है. गीता और उपनिषदों के प्राचीन उद्धरण इसकी दीवारों को सुशोभित करते हैं. यह आकर्षक मंदिर मोती डूंगरी पहाड़ी के तल पर एक ऊंचे मैदान पर स्थित है.
नाहरगढ़ किला
नाहरगढ़ किला को 1734 में सवाई राजा जयसिंह द्वारा बनाया गया था. इस किले के निर्माण का मुख्य उद्देश्य आमेर की सुरक्षा सुनिश्चित करना था. आज भी पर्यटक जब यहां पर आते हैं, तो किले में इस्तेमाल की गई वास्तुकला उन्हें बहुत ज्यादा आकर्षित करती है. नाहरगढ़ किले के ऐतिहासिक खंड के अंदर स्थित नाहरगढ़ जैविक उद्यान बच्चों और वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक जरूरी जगह है.