सर्व समाज के लोग कर रहे पितृ तर्पण, नि:शुल्क हो रहा आयोजन, यज्ञ में कर रहे विशेष आहुतियां अर्पित
Pitru paksha amavasya 2023: सर्व पितृ अमावस्या पर दिवंगत परिजनों को श्रद्धा व्यक्त करने और उनकी आत्मा की शांति, तृप्ति के लिए जगह जगह श्राद्ध तर्पण किया गया. अखिल विश्व गायत्री परिवार की ओर से पांच स्थानों पर निशुल्क श्राद्ध-तर्पण के कार्यक्रम हुए.
Pitru Amavasya: राजस्थान की राजधानी जयपुर में सर्व पितृ अमावस्या पर दिवंगत परिजनों को श्रद्धा व्यक्त करने और उनकी आत्मा की शांति, तृप्ति के लिए जगह जगह श्राद्ध तर्पण किया गया . अखिल विश्व गायत्री परिवार की ओर से पांच स्थानों पर निशुल्क श्राद्ध-तर्पण के कार्यक्रम हुए. क़रीब दो हजार लोगों ने इनमें भागीदारी की. इसके बाद पितरों के निमित्त हवन में विशिष्ट मंत्रों के साथ पितरों को आहुतियां अर्पित की गई . इसी कड़ी में ब्रह्मपुरी स्थित गायत्री शक्ति पीठ में श्रद्धालुओ ने जौ के आटे से पिंड बनाकर तिल, दूध, गंगाजल, पुष्प मिले जल से तर्पण किया.
पितृ तर्पण से पूर्व देव तर्पण, ऋषि तर्पण और महामानव तर्पण करवाए गए. इसके बाद सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों के निमित्त तर्पण करवाया गया. व्यास पीठ से गायत्री प्रसाद ने कहा कि हमारे ऊपर देवताओं, ऋषियों, महा मानव और पितरों का ऋण है . इस ऋण से मुक्त होने के लिए तर्पण किया जाता है. हमें अपने ज्ञान, धन, प्रतिभा का एक अंश समाज सेवा में लगाते रहना चाहिए तभी हम वास्तविक रूप से इस ऋण से मुक्त होंगे. गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी के व्यवस्थापक सोहन लाल शर्मा ने बताया कि तर्पण-पिंडदान कार्यक्रम के तुरंत बाद यज्ञ में आहुतियां अर्पित की गई.
पितरों के स्मृति में पौधे लगाने का संकल्प
सांगानेर के वाटिका स्थित गायत्री शक्तिपीठ में सर्व पितृ अमावस्या पर सामूहिक श्राद्ध तर्पण किया गया. शक्तिपीठ के व्यवस्थापक रणवीर सिंह चौधरी ने बताया कि सुबह श्राद्ध-तृपण गायत्री यज्ञ हुआ. गायत्री शक्तिपीठ कालवाड़ और गायत्री चेतना केन्द्र मुरलीपुरा की ओर से विकासनगर-ए बाईपास के निकट राधा कृष्ण शिव मंदिर में श्राद्ध-तर्पण और पंच कुंडीय गायत्री महायज्ञ हुआ. किरण पथ मानसरोवर स्थित श्री वेद माता गायत्री वेदना निवारण केंद्र और जनता कॉलोनी स्थित गायत्री चेतना केंद्र में भी श्राद्ध तर्पण और हवन का कार्यक्रम हुआ. पितृ तर्पण का जल पेड़ पौधों में अर्पित किया गया. देव दक्षिना के रूप में के रूप में श्रद्धालुओं में पितरों के स्मृति में पौधे लगाने का संकल्प लिया.