Rajasthan Politics:लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद भी राजस्थान में फिर चुनावी माहौल बरकरार रहने वाला है. इसका कारण राज्यसभा की एक और विधानसभा की पांच सीटों पर उप चुनाव होना है. राज्यसभा सीट पर राजस्थान कोटे से चुने गए कांग्रेस के वेणुगोपाल लोकसभा चुनाव जीत गए हैं, ऐसे में अब उनकी जगह भरी जाएगी, वहीं पांच विधायक भी सांसद बन गए हैं, जिससे छह महीने में उनकी सीटों पर भी चुनाव होना है. ऐसे में प्रदेश में चुनावी माहौल की झलक मिलती रहेगी.


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कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री और राजस्थान से राज्यसभा सांसद केसी वेणुगोपाल राजस्थान कोटे से वर्ष 2020 में राज्यसभा के सांसद चुने गए और उनका कार्यकाल जून 2026 तक है. अब हाल ही केरल की अलाप्पुझा लोकसभा सीट से सांसद चुने गए हैं. 



लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद उन्हें राज्यसभा सांसद पद से इस्तीफा देना होगा, जिससे राजस्थान की एक राज्यसभा सीट खाली हो जाएगी. राज्यसभा सीट खाली होने के बाद छह महीने के भीतर राज्यसभा सीट के लिए उपचुनाव कराए जाएंगे. 



ऐसे में राज्यसभा सीट के लिए कांग्रेस और भाजपा एक बार फिर आमने सामने होने वाले है .कांग्रेस और सहयोगी दलों के खातें मौजूदा पांच सीटों पर होने वाले उपचुनाव सत्तारूढ भाजपा के लिए अग्नि परीक्षा साबित होने वाले हैं.


कांग्रेस की सीट जाएगी बीजेपी के खाते में 
राज्यसभा चुनाव में तो संख्या बल के लिहाज से देखा जाए तो सत्तारूढ़ भाजपा का पलड़ा भारी रहेगा. प्रदेश में भाजपा के 115 विधायक हैं जबकि कांग्रेस और गठबंधन विधायकों की मौजूदा संख्या 74 हैं. इनमें कांग्रेस के 69, रालोपा एक, भारत आदिवासी पार्टी के 4 विधायक हैं. ऐसे में ये कहा जा सकता है कि कोई ज्यादा उलटफेर नहीं हुआ तो कांग्रेस के खाते की इस राज्यसभा सीट पर इस बार भाजपा अपना कब्ज़ा कर सकती है. 



अभी राजस्थान की 10 राज्यसभा सीटों में से 6 पर कांग्रेस और 4 सीटों पर भाजपा काबिज है. सोनिया गांधी, केसी वेणुगोपाल, नीरज डांगी, प्रमोद तिवारी, रणदीप सिंह सुरजेवाला और मुकुल वासनिक यहां से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद हैं, इनमें नीरज डांगी को छोड़कर बाकी सभी नेता दूसरे प्रदेशों से हैं. वहीं भाजपा से घनश्याम तिवाड़ी, राजेंद्र गहलोत, चुन्नीलाल गरासिया और मदन राठौर चुने गए हैं. 


इधर कांग्रेस के सांसद केसी वेणुगोपाल के सांसद चुने जाने के बाद अब उनकी राज्यसभा सीट खाली हो गई है. इस सीट पर जून 2026 तक का कार्यकाल बाकी है. ऐसे में निर्वाचन आयोग की गाइड लाइन के अनुसार अगले 6 के भीतर इस सीट पर उपचुनाव होंगे.


किसके लिए खुलेंगी राज्यसभा की राह
स्पष्ट है कि राजस्थान से राज्यसभा सीट भाजपा के खाते में जाएगी, लेकिन यह सीट किसके राज्यसभा के द्वार खोलेगी यह चर्चा का विषय बना हुआ है. राजस्थान में विधानसभा चुनाव हारे दिग्गज नेता, या जिन्हें विधानसभा टिकट नहीं मिल पाया. या फिर संगठन से जुड़े किसी नेता का नाम होगा या फिर जातीय समीकरण साधने के लिए समाज से जुड़े नेता को उम्मीदवार बनाया जाएगा. पार्टी में कार्यकर्ताओं के बीच इसी प्रकार की चर्चाएं शुरू हो गई है. वहीं दूसरी ओर नेताओं ने भी दावेदारी के लिए लॉबिंग शुरू कर दी है.


इन पांच सीटों पर होगा उपचुनाव


इधर कांग्रेस विधायक मुरारी लाल मीणा, बृजेंद्र ओला, हरीश मीणा के अलावा गठबंधन के सहयोगी हनुमान बेनीवाल और राजकुमार रौत के भी लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद पाचं विधानसभा सीटें रिक्त हुई है. इन में से 3 कांग्रेस और एक आरएलपी और एक बाप के खाते में है. ऐसे में माना जा रहा है उप चुनाव में भी लोकसभा तर्ज पर कांग्रेस गठबंधन कर चुनाव में उतर सकती है.



ऐसा होता है तो देवली - उनियारा,झुंझुनू,दौसा विधानसभा सीट पर कांग्रेस अपने उम्मीदवार उतार सकती है जबकि चौरासी और खींवसर,सीट पर आरएलपी और बाप के साथ गठबंधन कर सकती है. कांग्रेस पर इन सीटों को बरकरार रखने का जोर होगा, वहीं सत्तारूढ़ भाजपा को इन पांच विधानसभा की सीटों पर विपक्ष की चुनौती से पार पाने की कड़ी परीक्षा होगी.


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