ये कैसी रिहाई, सलाखों से नहीं, सिर्फ कागजों में छूटे कैदी, क्या आ रही हैं अड़चनें?
आजादी के अमृत महोत्सव उपलक्ष्य में स्वतंत्रता दिवस पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भले कैदियों के रिहाई के निर्देश दिए, लेकिन वास्तव में कैदियों को इसका फायदा नहीं मिला. राज्य में 51 कैदियों को छोड़ने की घोषणा की गई, लेकिन जेल की सलाखों से कुछ ही कैदी बाहर आ पाए.
जयपुर: आजादी के अमृत महोत्सव उपलक्ष्य में स्वतंत्रता दिवस पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भले कैदियों के रिहाई के निर्देश दिए, लेकिन वास्तव में कैदियों को इसका फायदा नहीं मिला. राज्य में 51 कैदियों को छोड़ने की घोषणा की गई, लेकिन जेल की सलाखों से कुछ ही कैदी बाहर आ पाए. कहने का मतलब कैदियों को सलाखों से नहीं सिर्फ कागजों में छूट मिली.
भारत सरकार आजादी की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में ''आजादी का अमृत महोत्सव'' मना रही है. महोत्सव के तहत कैदियों की कुछ श्रेणियों को विशेष माफी देकर रिहा करने के आदेश दिए गए थे. गृहमंत्रालय के अनुसार माफी योजना का उद्देश्य कैदियों में जेल अनुशासन और सदाचरण सुनिश्चित करना है. साथ ही प्रोत्साहन के रूप में जेल से जल्दी रिहाई का अवसर भी देना है, लेकिन मंत्रालय की यह मंशा पूरी नहीं हो पाई.
राजस्थान में रिहा किए जाने वाले बंदी तीन श्रेणियों के दायरे में आए
- इसमें 60 वर्ष से अधिक आयु के कैदी, दो तिहाई सजा पूरी कर चुके कैदी तथा जुर्माना जमा नहीं करा पाने वाले कैदी शामिल किए गए
- इसके आधार पर जेल प्रशासन ने 51 कैदियों की सूची राज्य सरकार को सौंपी
- मुख्यमंत्री ने 51 कैदियों की रिहाई की घोषणा की तथा राज्यपाल ने इनका अनुमोदन किया
- दूसरी ओर हकीकत में दायरे में आने के बाद भी अधिकांश कैदी सलाखों से बाहर नहीं आ पाए
- जेल प्रशासन का कहना है कि तकनीकी कारणों से ये बंदी सीखचों से बाहर नहीं आ पाए
- इनमें एक से ज्यादा केस चलने वाले कैदी एक केस में 2 तिहाई सजा पूरी करने पर छूट के दायरे में आए गए, लेकिन दूसरे केस या अंडर ट्रायल मामले में जेल में बंद रह गए
- ऐसे में किसी मामले में सजा पूरी हो गई, लेकिन जुर्माना जमा नहीं करा पाए तो जेल से बाहर नहीं आए
- यही कारण है कि जयपुर सेंट्रल जेल से 17 कैदी सूची में शामिल थे, जिनमें तीन को ही छोड़ा गया
- इनमें भी एक पहले से जेल से बाहर था, दूसरा कोर्ट के आदेश से छूट चुका वहीं तीसरा लक्ष्मण उर्फ लच्छू टोंक जेल शिफ्ट हो गया
- ऐसा अन्य जेलों में हुआ, जहां एक केस में कागजों में बंदियों की रिहाई हो गई, लेकिन दूसरे केस में बंद गए
- 60 साल से अधिक उम्र के पांच कैदी भरतपुर जेल से 78 वर्षीय रामधन गुर्जर, 65 वर्षीय महेंद्र सिंह, बीकानेर जेल से 69 वर्षीय गोपीराम माली, 65 वर्षीय बनवारीलाल माली तथा श्यालावास जेल से 62 वर्षीय श्याम लाल को रिहा किया गया.
- जेलों में 36 कैदी दो तिहाई सजा पूरी करने वाले दायरे में तथा 10 कैदी अकिंचन कैदी हैं, जिनकी सजा पूरी हो गई, लेकिन जुर्माना जमा नहीं करा पाए
- इनमें दूसरे केसो में जुर्माना जमा होने पर उन्हें रिहा किया जा सकेगा.