Bharat Jodo Yatra in Rajasthan : राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा अगले कुछ दिनों में राजस्थान में प्रवेश करने वाली है. लेकिन उससे पहले सचिन पायलट और अशोक गहलोत गुट के बीच बयानबाजी बढ़ गई है तो वहीं गुर्जर नेता विजय बैंसला ने भी इस यात्रा के विरोध में कई बयान दिए है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी झालावाड़ से कोटा, बूंदी, दौसा, सवाई माधोपुर जिलों से होते हुए अलवर तक पहुंचने वाली भारत जोड़ो यात्रा को कैसे कामयाब बनाएगी और उसके सामने कौनसी प्रमुख चुनौतियां है.


अशोक गहलोत सचिन पायलट का विवाद


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मुख्यमंत्री गहलोत और सचिन पायलट के बीच खुलकर विवाद सामने आ गया है. हालात ऐसे बने की कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस मामले में सफाई देनी पड़ी. जयराम रमेश ने कहा कि गहलोत अनुभवी है तो पायलट युवा. ऐसे में दोनों के बीच जो भी मतभेद है. उसका समाधान निकाला जाएगा. फैसला वो लिया जाएगा जिससे पार्टी को मजबूती मिले. हालांकि इस समय तो सबकी ये जिम्मेदारी है कि भारत जोड़ो यात्रा को मजबूत बनाया जाएं. 


जयराम रमेश ने कहा कि सचिन पायलट युवा है, ऊर्जावान है. करिश्माई नेता और लोकप्रिय भी है. राजस्थान को लेकर कांग्रेस लीडरशिप को जो भी हल निकालना है वो निकालेंगे लेकिन संगठन सर्वोपरि रहेगा. व्यक्ति आते है और जाते है लेकिन संगठन को मजबूत करना है. 


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ऐसे में कांग्रेस के लिए भारत जोड़ो यात्रा, जो दक्षिण भारत में बिना किसी विवाद के सफल तरीके से आगे बढ़ रही है उसके लिए राजस्थान में पहली चुनौती तो यही है कि दोनों गुटों के बीच की खाई को खत्म कर कैसे पार्टी को एकजुट दिखाया जाए. 


गुर्जर नेताओं का विरोध


भारत जोड़ो यात्रा की राजस्थान में एंट्री से पहले गुर्जर नेता विजय बैंसला ने कहा कि गुर्जर आरक्षण समिति के साथ सरकार ने जो समझौता किया था उसे लागू नहीं किया गया है. ऐसे में वो इस यात्रा का यहां विरोध करेंगे. बाद में बैंसला ने ये भी कहा कि 2018 में सचिन पायलट के नाम पर गुर्जरों ने वोट दिए थे. इसी बीच एक जगह बैंसला का भी कुछ लोगों ने विरोध करते हुए नारेबाजी की थी. ऐसे में गुर्जर नेताओं को यात्रा से पहले साधना भी कांग्रेस पार्टी के सामने बड़ी चुनौती होगी. 


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यात्रा में प्रभाव की लड़ाई


भारत जोड़ो यात्रा का राजस्थान में जो रूट है. वो ज्यादातर ऐसे इलाके है जहां सचिन पायलट का प्रभाव वाला इलाका है. लेकिन प्रदेश में यात्रा का मैनेजमेंट पूरी तरह से अशोक गहलोत के हाथ में है. इलाका पायलट का, कमान गहलोत के हाथ. जाहिर है दोनों के बीच अपना अपना प्रभाव दिखाने की लड़ाई भी होगी. इस मुद्दे पर भी दोनों गुटों के बीच टकराव हो सकता है.


सचिन पायलट के लिए चुनौती


पायलट के सामने दो प्रमुख बातें है. उनके प्रभाव वाला इलाका है ऐसे में भारत जोड़ो यात्रा को भव्य बनाने की कोशिश भी करेंगे ताकि आलाकमान की नजर में उनका प्रभाव जम सके. वो ज्यादा से ज्यादा लोगों को यात्रा में जुटाने की कोशिश भी करेंगे. लेकिन उनके सामने चुनौती ये भी है कि अगर यात्रा के बीच समर्थकों ने किसी भी तरह का विवाद खड़ा कर दिया. किसी किस्म की नारेबाजी या टकराव जिससे यात्रा का कार्यक्रम असहज हो. तो भी सचिन पायलट के लिए मुश्किल हो सकती है. ऐसे में शांतिपूर्ण माहौल के बीच अपने प्रभाव को दिखाना पायलट के सामने बड़ी चुनौती होगी. 


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बीजेपी के हमलों का जवाब


यात्रा की राजस्थान में एंट्री से सीएम गहलोत का पायलट पर हमला करने से बीजेपी को बैठे बिठाए मुद्दा हाथ लग गया है. अब तक भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया से लेकर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ समेत बीजेपी के तमाम नेताओं ने इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरा है. इधर बीजेपी जनआक्रोश यात्रा भी निकाल रही है. ऐसे में बीजेपी की राजनीतिक बढ़त को कैसे कम किया जाए ये भी कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती होगा.