Jaipur News: राजस्थान के विश्वविद्यालय अभी राजभवन के निर्देशों के अनुपालन में संचालित होते हैं. विश्वविद्यालयों का प्रशासनिक नियंत्रण भी राज्यपाल कलराज मिश्र के पास है, लेकिन ताजा मामला बीकानेर के राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय का है, जहां राजभवन ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी, लेकिन आदेश के 2 दिन बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन अभ्यर्थियों के इंटरव्यू लेता रहा. क्या है पूरा मामला, क्यों छिड़ा है विश्वविद्यालय की इस भर्ती को लेकर विवाद, पढ़ें, जी मीडिया की खबर.


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12 सितंबर को राज्यपाल कलराज मिश्र के प्रमुख सचिव सुबीर कुमार ने एक आदेश जारी किया है. आदेश में लिखा है कि राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर में शैक्षणिक संवर्ग की भर्ती प्रक्रिया में धांधली व अनियमितता के चलते भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई जाती है. इसमें चांदपोल निवासी रमेश कुमार की शिकायत और राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर की सिविल रिट याचिका 9951/2023 में पारित आदेश 24 अगस्त 2023 का हवाला दिया गया है.


आदेश में कहा गया है कि विश्वविद्यालय में गतिमान नियुक्ति प्रक्रिया पर अग्रिम आदेश तक रोक लगाई गई है. राजभवन ने इस बारे में विश्वविद्यालय प्रशासन से जवाब भी मांगा है. दरअसल इस भर्ती प्रक्रिया को लेकर कई तरह की अनियिमितताओं की बात सामने आ रही थी.


भर्ती प्रक्रिया को लेकर यह हैं आरोप


- भर्ती प्रक्रिया में बड़ी धांधली होने, अभ्यर्थियों के नाम पहले से फिक्स होने के आरोप


- डेयरी कॉलेज में पति का चयन, एनिमल बायोटेक्नोलॉजी में पत्नी के चयन का आरोप


- असिस्टेंट डायरेक्टर रिसर्च पर पत्नी, AD एक्सटेंशन पद पर पति के चयन का आरोप


- PHD अभ्यर्थी होते हुए भी केवल PG अभ्यर्थी चयनित होंगी, ऐसे आरोप


- आरोप यह कि ऐसी एक महिला अभ्यर्थी रिटायर्ड प्रोफेसर की पुत्रवधू


- चहेतों के स्कोर कार्ड में अंक कम थे, तो उन्हें इंटरव्यू में अधिक अंक देने के आरोप


- कई अभ्यर्थियों को इंटरव्यू की लेट सूचना दी, इंटरव्यू देने ही नहीं पहुंच सके


- अच्छे रिकॉर्ड वाले अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में कम अंक दिए जाने के आरोप


- इन आरोपों के आधार पर राजभवन ने 12 सितंबर को भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई


- लेकिन फिर भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने 14 सितंबर तक अभ्यर्थियों के इंटरव्यू लिए


72 पदों की सहायक प्रोफेसर की भर्ती प्रक्रिया को लेकर पहले से भी विवाद रहे हैं. दरअसल इन्हीं 72 पदों पर पिछले वर्ष जुलाई में भर्ती निकाली गई थी. इसमें नंवबर 2022 में इंटरव्यू कर लिफाफे बंद कर दिए गए थे, लेकिन अनियमितताओं को लेकर जब राज्य सरकार के पास शिकायतें पहुंची तो राज्य सरकार ने एक कमेटी गठित कर दी थी. जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में 3 बिन्दुओं को लेकर कड़ी आपत्ति जताई थी. इसे लेकर अब राजस्थान यूथ बोर्ड के सदस्य सुनील शर्मा ने राजभवन को एक पत्र लिखा है और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है.


जांच कमेटी ने 4 अप्रैल 2023 को 3 गड़बड़ियां मानी


1- आवेदन की अंतिम तिथि के बाद स्कोर कार्ड के अंकों में फेरबदल


- 18 जुलाई 2022 को अंतिम तिथि बाद VO के अनुभव के अंक जोड़े गए


2- असिस्टेंट लाइब्रेरियन के पद को असिस्टेंट प्रोफेसर के रोस्टर में शामिल किया


- पद है अशैक्षणिक संवर्ग में, जबकि भर्ती में इसे शैक्षणिक संवर्ग में माना


3- राेस्टर पंजिका में मानी जांच कमेटी ने बड़ी गड़बड़ी


- फरवरी 2021 व जून 2022 के रोस्टर में पदों की संख्या अलग-अलग
- एससी-एसटी के बैकलॉग के पद कम करने का कमेटी ने किया जिक्र


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7 जुलाई 2023 से दूसरी बार की जा रही इस भर्ती प्रक्रिया में सबसे बड़ी अनियमितता यह है कि जिन गड़बड़ियों के आधार पर भर्ती प्रक्रिया को पहले रद्द किया गया था. विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन गड़बड़ियों में से एक भी कमी को नहीं सुधारा है. रोस्टर में सुधार किए बगैर ही दूसरी बार भर्ती का विज्ञापन जारी कर आनन-फानन में इंटरव्यू ले लिए गए हैं. इसी आधार पर अब राजभवन ने पूरी भर्ती प्रक्रिया रोक दी है. बड़ी बात यह है कि दो-दो बार अभ्यर्थियों से फीस वसूलने वाले विश्वविद्यालय के कुलपति और रजिस्ट्रार पर राजभवन क्या कड़ी कार्रवाई करता है.


Reporter- kashiram Chaudhary