Rajastha News: नौकरियों के कम अवसर, प्राइवेट नौकरियों में जॉब सुरक्षा का अभाव और खुद को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए अब युवाओं की पसंद स्वयं का स्टार्टअप शुरू करने पर अधिक हो गई है.स्टार्टअप कार्यक्रम के तहत युवाओं की नई सोच ऐसी ही कई चीजें लेकर आ रही है,जिससे लोगों का जीवन आसान होने की उम्मीद है.


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स्टार्टअप सिर्फ बिजनेस नहीं है.आपका एक इनोवेटिव आइडिया आपके साथ-साथ देश में कई बदलाव आ सकता है.बस उसको जमीन पर उतारने से पहले फील्ड स्टडी, एक्सपर्ट एडवाइज बेहद जरुरी हैं.


प्रदेश में सुरक्षित पानी, खेती में पानी की बचत, बीमारियों की शीघ्र पहचान, बंजर भूमि को उपयोगी बनाने और गांवों को स्मार्ट बनाने, एआई से बीमारियों की पहचान, सड़कों पर ब्लैक स्पॉट मैनेजमेंट सिस्टम जैसे उपायों से राजस्थान की समस्याओं को हल करने में स्टार्टअप आगे आ रहे है.



स्टार्टअप इसके लिए अपने आइडिया दे रहे हैं..प्रदेश में स्टार्टअप के प्रति युवाओं का रुझान लगातार बढ़ रहा है...राज्य सरकार की ओर से 2017 से अब तक 400 से ज्यादा स्टार्टअप को 25 करोड़ से ज्यादा की वित्तीय सहायता दी जा चुकी हैं.ऐसे युवाओं को प्रोत्साहित करने, उन्हें बढ़ावा देने और स्टार्टअप को बूस्ट करने के लिए इस साल हाल ही में राज्य सरकार ने 155 स्टार्टअप को छह करोड़ रुपए की फंडिंग दी है.


ताकि वे तेजी से आगे बढ़ सकें, अब ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को स्टार्टअप्स के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है..डीओआईटी कमिश्नर इंद्रजीत सिंह ने बताया की राजस्थान में युवा नवाचार कर रहे हैं.नवाचारों को धरातल पर उतार रहे हैं.अलग-अलग क्षेत्रों में नए-नए स्टार्टअप शुरू कर लोगों के जीवन को आसान बना रहे हैं.यूथ के कई आइडिया को सरकार ने वायबिलिटी स्तर पर सटीक पाया है.



सरकार की ग्रांट में इस बार कई ऐसे स्टार्टअप हैं, जो आइडिएशन से एक कदम आगे बढ़ गए और अब बाजार में प्रोडक्ट लॉन्च करने की स्थिति में आ गए हैं.इन्हें तीन से लेकर सात लाख तक ग्रांट मिली है.खास बात यह है कि राजस्थान में टेक्नोलॉजी बेस्ड स्टार्टअप की संख्या बढ़ी है और इनमें भी कुछ युवा एआइ सेक्टर में काम कर रहे हैं, जिनको ग्रांट देकर सरकार प्रमोट कर रही है.यह युवाओं को आगे बढ़ाने का अच्छा अवसर है.


स्टार्टअप को सरकार दो प्रकार से ग्रांट देती है...पहली ग्रांट मिलती है आइडिएशन स्तर पर जिसमें दो लाख 40 हजार रुपए की निश्चित राशि मिलती है. प्रोडक्ट बाजार में आने को तैयार होता है तो अगली वायबिलिटी ग्रांट मिलती है जो 60 लाख रुपए तक हो सकती है.उन्होने बताया की प्रदेश में 4762 स्टार्टअप रजिस्टर्ड हैं.उन्होने बताया की 950 करोड का राजस्थान में निवेश हो चुका हैं.



ये स्टार्टअप्स ने 33 हजार लोगों को जॉब मुहैया करवा रहे हैं.अभी 50 अलग-अलग सेक्टर में स्टार्टअप पर काम चल रहा है.. इनमें मुख्य रूप से एग्रीकल्चर, एजुकेशन, हेल्थकेयर, आईटी, फाइनेंस, फूड, ट्रेवल-ट्यूरिज्म से जुड़े स्टार्टटप हैं. इसके अलावा विज्ञापन, मार्केटिंग, एयरोनॉटिक्स, एनीमेशन, ऑटोमोबाइल, खेल, सोशल, टेलीकम्यूनिकेशन, ट्रांसपोर्ट, केमिकल, कंस्ट्रक्शन, मेट्रोमोनियल, पैट्स एन्ड एनिमल व अन्य से भी युवा जुड़े हैं..


आइए आपको रूबरू करवाते हैं स्टार्टअप से जिन्होने सरकार से मिली वित्तीय सहायता के बाद अपने आईडिया पर किस तरह काम किया..जिनकी ऑफिस का बंदोबस्त करने की हैसियत नहीं है उन्हे सरकारी टेक्नो हब में बैठने की जगह दी. फेमीज़ स्टार्टअप के फाउंडर ज्योति शर्मा और वैभव त्रिपाठी ने बताया की राज्य सरकार से दो तरह की मदद मिली.



पहली मदद फंडिंग और दूसरी मदद बैठने की जगह दी.उन्होने कहा की फेमीज़ स्टार्टअप का मकसद सभी महिलाओं के लिए उनकी स्वास्थ्य की देखभाल, स्वच्छता और पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए वन-स्टॉप समाधान है. महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान की दिशा में एक नई शुरुआत की है.उनका उद्देश्य न केवल महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करना हैं.बल्कि मातृ-शिशु दर को कम करना है. इस प्लेटफॉर्म पर पीरियड और गर्भावस्था ट्रैकिंग, कैंसर रिकवरी को लेकर भी सुविधा दी गई हैं.


जयपुर के बस्सी के रहने वाले स्टार्टअप ड्राइवोमेट के फाउंडर हुतैश गौतम बताते हैं की राज्य सरकार ने ओर से उन्हे फंडिंग से बहुत सपोर्ट मिला हैं..साथ में उनके आइडिया पर काम करने के लिए टेक्नो हब में जगह दी गई हैं.जहां उनकी टीम के साथ एक साथ बैठकर आईडिया पर काम किया जा रहा हैं.


उन्होने स्टार्टअप शुरू करने की वजह बताते हुए कहा की कुछ सालों पहले मेरी गाडी के पीछे तेजी से एक ट्रक आ रहा था लेकिन स्पीड ज्यादा थी उससे नजदीक से निकली तो मेरा बेलेंस बिगड सकता था.उसी दिन आइडिया आया की कुछ ऐसा किया जाए जिससे सटीक पता चल सके तो आसपास से निकलने वाली वाहन की स्पीड कितनी हैं.किस तरह से एक्सीडेंट्स से बचा जा सकता हैं.


देश में प्रतिदिन 272 लोगों की डेथ एक्सीडेंट से होती हैं.उसके बाद काफी रिसर्च के बाद हमने लॉ कास्ट टेक्नोलॉजी बनाई, जो छोटी गाडियों में सेफ्टी फीचर एड करने में मदद करेगी.हमारी पेटेंटेड टेक्नोलॉजी, कैमरा आधारित हैं. रडार जैसी महंगी टेक्नॉलोजी से भी बेहतर काम कर रही हैं.ऑटोनामस व्हीकल बनाने में हम आगे बढ रहे हैं. 


कार कंपनीज अब कम बजट में इसे लगा सकेगी.इसी तरह लॉजिक क्लच स्टार्टअप विक्रम जैन ने बताया की उनके स्टार्टअप के जरिए लाइव वीडियो के माध्यम से घटनाओं की पहचान की जा सकती हैं.स्टार्टअप में फंडिंग तो हैं लेकिन ज्यादा जरूरी है रिसर्च,बिना रिसर्च स्टार्टअप फेल होगा.


बहरहाल, राजस्थान के युवाओं के इनोवेटिव आइडिया स्टार्टअप्स की शक्ल में उड़ान भर रहे हैं.एक-दो नहीं बल्कि सैकड़ों स्टार्टअप्स न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी धाक जमा रहे हैं.इतना ही नहीं ये स्टार्टअप्स आइटी सेक्टर के साथ-साथ चिकित्सा और शिक्षा जैसे पब्लिक सेक्टर्स में भी लोगों का जीवन आसान कर रहे हैं.


यहीं कारण है कि कुछ वर्षों में ही प्रदेश स्टार्टअप्स आइडिया में छलांग लगाई हैं..जर्मनी, यूएस, ऑस्ट्रिया सरकार ने राजस्थान में स्टार्टअप्स पर काम कर रहे युवाओं को अपने यहां भेजने का न्योता दिया है.


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