Rajasthan Politics : राजस्थान में विधानसभा चुनावों की तैयारियों में बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां जुट गई है. पीएम मोदी के भीलवाड़ा और दौसा में दौरे हुए. अब अमित शाह भरतपुर आ रहे है. पार्टी किसी भी हाल में ये चुनाव जीतना चाहती है. उधर कांग्रेस अशोक गहलोत सरकार के बजट के सहारे है. पार्टी को उम्मीद है कि जिस तरह से 100 यूनिट मुफ्त बिजली की घोषणा की है. एक लाख सरकारी नौकरियों का ऐलान किया है. उससे प्रदेश में सत्ताधारी पार्टी को फायदा होगा. तो गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाने के बाद बीजेपी में भी आमूलचूल परिवर्तन की चर्चाएं है. वसुंधरा राजे समेत कई नेताओं की भूमिका भी तय होना है.


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विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी एक एक सीट पर रणनीति बनाने जा रही है. लेकिन प्रदेश की 19 विधानसभा सीटें ऐसी है. जहां पार्टी के लिए सबसे टफ लड़ाई है. इन सीटों को जीतने के लिए पार्टी ने अलग से रणनीति तैयार की है. 


राजस्थान BJP की यहां मुश्किलें


जालोर जिले की सांचौर विधानसभा और बाड़मेर जिले की बाड़मेर शहर सीट पर पिछले तीनों चुनाव बीजेपी हारी है. इसके अलावा जोधपुर की सरदारपुरा सीट से भी बीजेपी को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा शेखावाटी इलाके की सीटों में दांतारामगढ़,  फतेहपुर, खेतड़ी, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़,  झुन्झुनूं, लक्ष्मणगढ़, नवलगढ़ सीटों पर भी बीजेपी पिछले 15 साल से लगातार हार रही है. जयपुर की बस्सी और कोटपुतली सीट भी बीजेपी के लिए टफ लड़ाई में शामिल है. पूर्वी राजस्थान में दौसा जिले की लालसोट, सिकराय सीट, करौली जिले की टोडाभीम, सपोटरा और धौलपुर के बाड़ी से पिछले तीनों चुनाव बीजेपी हारी है. इसके अलावा मेवाड़ में उदयपुर की वल्लभनगर सीट और बांसवाड़ा की बागीदोरा सीट पर पिछले तीनों चुनाव भाजपा हारी है. 


बीजेपी बना रही ये रणनीति


जिन 19 सीटों पर बीजेपी लगातार हार रही है. वहां जातीय समीकरणों और स्थानीय मुद्दे सबसे बड़ी वजह है. अब इन सीटों को जीतने के लिए बीजेपी जातीय गणित की स्टडी कर रही है. कैंडिडेट सलेक्शन में इस बात का पूरा ध्यान रखा जाएगा. पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए केंद्रीय नेताओं के साथ साथ राजस्थान के सीनियर बीजेपी नेताओं के दौरे कराने की भी तैयारी हो रही है.