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जयपुर: राजस्थान का बजट तैयार हो रहा है. यह बजट चुनावी रंगत लिए हुए होगा. आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ संभावना जता रहे हैं कि बजट में खर्च का आकार तीन लाख करोड़ के स्तर को पार करेगा. सरकार अपने वित्तीय संसाधनों का अधिकतम इस्तेमाल इस बजट में जन हितैषी योजनाओं पर खर्च करती दिखाई देगी. बजट के केंद्र में युवा और विद्यार्थी रहेंगे, लेकिन प्रोफेशनल, टैक्सपेयर्स, उद्यमी और प्रोफेशनल पर भी गहलोत सरकार पूरी निगाह रखेगी. राजस्थान बजट में विधायकों से मिले इनपुट भी चुनावी धरातल पर जमीन तलाशते हुए दिखाई देंगे. 


राजस्थान का आगामी बजट सत्र वर्ष 2023 की शुरुआत में ही आहूत होने की संभावना है. बजट की फाइलें सचिवालय के गलियारों में सरपट दौड़ रही हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बैठके लेकर बजट के भावी प्रावधानों पर चर्चा कर चुके हैं. वहीं सचिवालय और वित्त विभाग से जुड़े अधिकारी भी विभिन्न संगठनों के साथ बैठक कर भावी बजट का खाका तैयार कर रहे हैं.


यह बजट कई मायनों में खास बनाने की तैयारी है. इसकी सबसे बड़ी वजह बजट का चुनावी वर्ष में आना है. युवा और किसान आगामी बजट में पहली वरीयता लिए हुए हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी कह चुके हैं कि बजट में उन तमाम संभावनाओं को स्थान दिया जाएगा जो राजस्थान के युवा और किसान को आगे बढ़ाएं.


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चुनावी वर्ष का बजट होने से उम्मीदें अपार


प्रदेश की गहलोत सरकार के वर्तमान कार्यकाल का अंतिम बजट होगा. इसके लिए वित्त विभाग की बजट फाइनलाइजेशन कमेटियों की बैठक हो रही है. सीएम अशोक गहलोत इस चुनावी बजट में कई बड़े ऐलान कर सकते है. पिछले बजट की फ्री मोबाइल, लैपटॉप जैसी घोषणाओं को पूरा करने के लिए सैकड़ों करोड़ रुपए इस बजट में भी खर्च होंगे. मोबाइल वितरण पर करीब 5 हजार करोड़ रुपए का शुरुआती खर्च अनुमानित है.


बढ़ रही है सरकार की कमाई


SGST संकलन 16 हजार करोड़ रुपये
स्टाम्प ड्यूटी कलेक्शन 4500 करोड़ रुपये
बिक्रीकर 11,500 करोड़ रुपये


राजस्थान सरकार की आय के आंकड़े उम्मीदें जता रहे है. सरकार के खजाने में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी जीएसटी में हुई है. पिछले वित्त वर्ष में सितंबर तक जीएसटी कलेक्शन 11,963 करोड़ रुपए था, जो इस वित्त वर्ष में 16 हजार करोड़ रुपए को पार कर चुका है.


पिछले वित्त वर्ष में सितंबर तक स्टांप-रजिस्ट्रेशन से 2850 करोड़ रुपए मिले थे जो इस वित्त वर्ष की समान अवधि में 4500 करोड़ रुपए पहुंच गए हैं. बिक्री कर का आंकड़ा भी 11,500 करोड़ के ऊपर है. ऐसे में सरकार की कोशिश है कि चुनावी वर्ष में योजनाओं की घोषणा में कंजूसी नहीं हो. गहलोत सरकार जनघोषणा पत्र के प्रत्येक वाले को सरकारी फाइलों पर उतारने की तैयारी बजट में करने वाली है. साथ ही मतदाताओं के दरवाजे पर चुनाव से पहले दस्तक देने का खाका भी बजट में होगा.