Rajasthan Politics: टिकट के साथ ही BJP में बहने लगी बगावत की बयार, पार्टी के सामने मुश्किल- कैसे करेंगे डेमेज कंट्रोल ?
Rajasthan Politics: दौसा विधानसभा सीट से सामान्य वर्ग की बजाय किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को उम्मीदवार बनाया गया है. वहीं सलूंबर से दिवंगत अमृत लाल मीणा की पत्नी शांता देवी मीणा तथा खींवसर से रेवंतराम डांगा पर फिर से भरोसा जताया गया है.
Rajasthan by election 2024: प्रदेश में उपचुनाव के लिए भाजपा के 6 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर चुकी है. इसी के साथ ही बगावत की बयार भी शुरू हो गई है. टिकट की उम्मीद लगाए बैठे कुछ नेता बगावत पर उतर आए हैं. कुछ जगह तो नेता खुद बगावत के सुर अलापने लगे हैं, तो कहीं नेताओं के समर्थकों ने मोर्चा खोल दिया है. अब भाजपा नेतृत्व के सामने मुश्किल ये है कि इस बगावत का कैसे डेमेज कंट्रोल करेगी?
प्रदेश में 13 नवम्बर को विधानसभा की 7 सीटों पर उपचुनाव होगा. BJP ने सात में से 6 सीटों पर प्रत्याशित घोषित कर बाजी मार ली है, लेकिन पार्टी में बगावत के सुर भी उठने लगे हैं. 6 में से 2 सीटों पर भाजपा ने पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ने वालों पर ही भरोसा जताया है.
रामगढ़ सीट पर 2023 में बागी होकर चुनाव लड़ने वाले सुखवंत सिंह को टिकट दिया है. हालांकि सुखवंत 2018 में बीजेपी प्रत्याशी रह चुके है, लेकिन 2023 टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़े थे.
इसी तरह झुंझुनूं में भी 2023 के प्रत्याशी को बदलते हुए बागी होकर चुनाव लड़ने वाले राजेंद्र भामू को टिकट दिया है. हालांकि भामू भी 2018 में बीजेपी प्रत्याशी रह चुके है, जबकि 2023 टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़े थे. ऐसे में 2023 में टिकट पाने वाले नेता बगावत पर उतर आए हैं.
वहीं दूसरी ओर पार्टी ने देवली - उनियारा सीट पर पूर्व में विधायक रहे राजेंद्र गुर्जर भरोसा जताया है, यहां 2023 में गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के पुत्र विजय बैंसला को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वो चुनाव हार गए थे.
दौसा विधानसभा सीट से सामान्य वर्ग की बजाय किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को उम्मीदवार बनाया गया है. वहीं सलूंबर से दिवंगत अमृत लाल मीणा की पत्नी शांता देवी मीणा तथा खींवसर से रेवंतराम डांगा पर फिर से भरोसा जताया गया है.
डांगा 2023 के चुनाव में RLP को छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए थे, डांगा एक जमाने में हनुमान बेनीवाल की सबसे करीबी माने जाते थे, लेकिन 2023 के चुनाव में हनुमान बेनीवाल को कड़ी चुनौती दी थी और करीब 2056 वोट से हारे थे.
बबलू चौधरी ने बगावत कर ठोंकी ताल
झुंझुनूं विधानसभा सीट पर ज्यादातर कांग्रेस का कब्जा रहा, लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा काे हर बार अपने ही नेताओं की बगावत और भीतरघात के कारण चुनाव हारना पड़ा है.
वर्ष 2018 के चुनाव में जब राजेन्द्र भामू को टिकट दिया गया तो, दूसरे टिकट के मजबूत दावेदार बबलू चौधरी ने बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा और नतीजा भाजपा को इस सीट से हाथ धोना पड़ा.
इसके बाद 2023 के चुनाव में भाजपा ने पूर्व के चुनाव में बागी रहे बबलू चौधरी को प्रत्याशी बनाया तो राजेन्द्र भामू ने पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा,नतीजा भाजपा के वोट एक बार फिर बंट गए और कांग्रेस प्रत्याशी बृजेन्द्र ओला को इसका लाभ मिला, लेकिन इस बार फिर उपचुनाव में भी भाजपा इसी बगावत का सामना कर रही है.
2023 प्रत्याशी बबलू चौधरी ने टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है,जिससे एक बार फिर यह सीट भाजपा के लिए मुश्किल होने जा रही है.
बबलू चौधरी ने कहा कि मेरे ऑफिस में फॉर्म तैयार पड़ा है. वोटर जनता जनार्दन जो आदेश करेंगे वो करूंगा, थांकी नजरां नीचै कोनी होने दूंगा. जिस तरह की गदंगी पार्टी में आई उसे बबलू चौधरी हटाने के लिए तैयार है. पार्टी के प्रभारी मंत्री को लेकर भी बबलू चौधरी ने नाराजगी जताई.
रामगढ़ विधानसभा सीट
रामगढ़ से बीजेपी ने 2023 में बगावत करने वाले सुखवंत सिंह को चुनावी मैदान में उतारा तो टिकट कटने से नाराज पिछली बार के भाजपा प्रत्याशी जय आहूजा ने बगावत कर दी. आहूजा के समर्थन में भाजपा के रामगढ़ क्षेत्र के सभी पांच मंडल अध्यक्षों ने इस्तीफे दे दिए हैं. आहूजा ने बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ पंचायत कर आगे का निर्णय समाज पर छोड़ दिया.
आहूजा के तेवर साफ बता रहे हैं कि वो इस बार पीछे हटने वाले नही. ऐसे में पहले से ही कांग्रेस के खाते में रही इस सीट पर भाजपा डेमेज कंट्रोल नहीं करती है तो खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.
सलूंबर विधानसभा सीट -
सलूंबर से दिवंगत विधायक अमृत लाल मीणा की पत्नी शांता देवी मीणा को टिकट देकर बीजेपी को सहानुभूति लहर की उम्मीद है, लेकिन यहां एक अन्य दावेदार नरेंद्र मीणा ने बगावत कर दी है. मीणा ने कहा कि 20 साल धैर्य रखा, लेकिन पार्टी परिवारवाद की परिपाटी पर चल रही है. अब जो भी फैसला होगा वो समर्थकों की राय से होगा.
समर्थकों बीच पहुंचे नरेंद्र मीणा फूट-फूट कर रोने लगे. नरेंद्र ने अब समाज के लोगों का निर्णय लेकर उसे आलाकमान को भेजेंगे. मीणा ने चेताया कि पार्टी को टिकट पर पुनर्विचार करना चाहिए. जिन 7 सीटों पर उपचुनाव होने है उनमें से सिर्फ सलूम्बर ही वो विधानसभा सीट है जो बीजेपी के खाते में है, लेकिन अगर यहां पर मीणा बगावत कायम रखते हैं और निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं तो पार्टी के सामने मुश्किलें खड़ी हो सकती है.
देवली उनियारा विधानसभा सीट -
देवली उनियारा में भाजपा ने अपने पूर्व विधायक और 2018 के प्रत्याशी रहे राजेंद्र गुर्जर को मैदान में उतारा है, लेकिन 2023 में विधानसभा चुनाव लड़ चुके विजय बैंसला का टिकट कटने से उनके समर्थक विरोध में उतर आए.
समर्थक बैंसला को टिकट देने की मांग को लेकर पानी की टंकी और मोबाइल टावर पर चढ़ गए. समर्थकों की नाराजगी है कि जिन्होंने पिछले चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी को हराने का काम किया, उन्हें पार्टी ने टिकट दिया.
हालांकि विजय बैंसला का अभी तक कोई बयान सामने नहीं आया है. वैसे ये सीट दो बार से कांग्रेस के खाते हैं, इस सीट पर पार्टी नाराजगी को खत्म नहीं करती है तो इस बार भी नुकसान होना तय है.