Rajasthan Congress : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने पंजाब के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा को राजस्थान कांग्रेस का नया प्रभारी नियुक्त किया है. जबकि कांग्रेस ने कुमारी शैलजा को छत्तीसगढ़ का महासचिव, शक्ति सिंह गोहिल को हरियाणा के अलावा दिल्ली का प्रभार दिया है.


दो साल में बदले तीन प्रभारी


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राजस्थान कांग्रेस की सियासत में साल 2018 से ही खड़ा हुआ सियासी तूफान थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जारी सियासी वर्चस्व की लड़ाई की आंच से प्रभारी भी नहीं बच पाते हैं. लिहाजा ऐसे में पिछले दो साल में तीन प्रभारी बदल गए. साल 2020 के सियासी संकट के बाद अविनाश पांडे को प्रभारी पद गवाना पड़ा था और अब इसी साल 25 सितम्बर को हुए सियासी ड्रामे के बाद अजय माकन ने प्रभारी पद से इस्तीफा दे दिया था.   


 



 


पायलट की नाराजगी पड़ी थी पांडे को भारी


साल 2020 पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के पार्टी में वापसीके साथ ही 34 दिन तक चला सियासी संकट थम गया था लेकिन उनकी वापसी कुछ शर्तों के साथ हुई थी. दरअसल पायलट ने कांग्रेस आलाकमान से मांग की थी कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे को राजस्थान के प्रभारी पद से हटा देना चाहिए. उनकी इस मांग पर अमल करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अविनाश पांडे को पद से मुक्त कर दिया था.


34 दिन तक चले सियासी संग्राम का अंत करने के लिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ हुई मुलाकात में सचिन पायलट ने अविनाश पांडे पर पक्षपात का आरोप लगाया था. सचिन पायलट ने कहा था कि अविनाश पांडे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मर्जी से ही फैसले करते हैं. गहलोत के अलावा पांडे दूसरे किसी नेता की बात सुनने को तैयार नहीं है. पायलट ने कहा था कि कांग्रेस में जो सियासी संकट आया उसका मूल कारण भी पांडे ही है, क्योंकि उन्होंने प्रदेश की सही रिपोर्ट पार्टी नेतृत्व तक नहीं पहुंचाई. जिसके बाद यह जिम्मेदारी राहुल गांधी के विश्वसनीय लोगों में शुमार अजय माकन को दी गई थी. 


25 सितंबर के ड्रामे से नाराज माकन ने भी दिया इस्तीफा


राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान में प्रवेश से पहले ही अजय माकन ने 25 सितंबर के घटनाक्रम से नाराज होकर प्रदेश प्रभारी पद से इस्तीफा दे दिया था. अजय माकन ने अपने पद से यह कहते हुए इस्तीफा दिया था कि जब आलाकमान के निर्देश की अवहेलना के मामले में जिम्मेदार नेताओं के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, तो नैतिक आधार पर उन्हें इस पद पर रहने का अधिकार नहीं है. उनके इस फैसले को दबाव की राजनीति के रूप में भी देखा जा रहा है. विधायकों के एक गुट ने माकन पर दिल्ली से ही मन बना कर एक लाइन का प्रस्ताव पेश करने का आरोप लगाया था. जिसमें पायलट को मुख्यमंत्री बनाने जाने की बात कही थी. जिसके बाद इन विधायकों ने CLP की बैठक का बहिष्कार कर दिया था. 


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