Rajasthan: राजस्थान हाईकोर्ट ने एफएसएल और डीएनए रिपोर्ट में देरी से जुड़े मामले पर गंभीर टिप्पणी की है. अदालत ने कहा है कि देरी के कारण केसों में न्याय नहीं हो पाता है. कई एनडीपीएस के मामलों में एफएसएल रिपोर्ट नेगेटिव आती है, जिससे आरोपी बरी हो जाते हैं, लेकिन उन्हें कई दिनों तक जेल में बंद रहना पड़ता है. यह अनुच्छेद 21 के हनन का उदाहरण है.


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जस्टिस समीर जैन ने एक पॉक्सो केस में एफएसएल की रिपोर्ट के आने के बिना ही चालान पेश किए जाने से जुड़े मामले में विनोद की जमानत अर्जी पर सुनवाई को एक सप्ताह टाला.


सुनवाई के दौरान एफएसएल निदेशक अजय शर्मा भी पेश हुए. लोक अभियोजक शेरसिंह महला ने अदालत को बताया कि राजस्थान में दैनिक 35 सैंपलों की जांच करने के लिए प्रतिदिन 10 अधिकारी हैं, जबकि अन्य राज्यों (गुजरात, मध्य प्रदेश, उतर प्रदेश और महाराष्ट्र) में इसका औसत 20 से 30 सैंपल है.


कोर्ट ने कहा कि इसके बावजूद भी एफएसएल रिपोर्ट से फैसलों में देरी होती है. पिछली सुनवाई पर अदालत ने मुख्य गृह सचिव से कहा था कि उन्हें इस संबंध में शपथ पत्र पेश करने के लिए कि एफएसएल और डीएनए रिपोर्ट आने में हो रही देरी को कैसे दूर किया जाए.


मामले से जुड़े अधिवक्ता प्रहलाद शर्मा ने बताया कि सवाईमाधोपुर के खंडार पुलिस थाने में अगस्त 2023 में पॉक्सो का मामला दर्ज हुआ था, लेकिन एफएसएल रिपोर्ट के आने के बिना ही पुलिस ने आरोपी के खिलाफ चालान पेश कर दिया. अब केस का ट्रायल शुरू हो चुका है, इसलिए आरोपी को जमानत दी जाए.


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