Jaipur News : राजस्थान हाईकोर्ट  के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और न्यायाधीश रेखा बोराणा की खंडपीठ ने दिल्ली मुम्बई इंडस्ट्रीयल कॉरीडोर के तहत जोधपुर-पाली-मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्र को जमीन आवंटन मामले में राहत दी है.


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हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए कहा कि इंडस्ट्रीयल डवलपमेंट के लिए गोचर भूमि को परिवर्तित किया जा सकता है. बशर्त है कि उसके बदले में उतनी ही भूमि अन्यत्र आरक्षित करनी होगी.


पाली जिले के निवासी पप्पापुरी और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने ये निर्णय सुनाया है. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने याचिका पेश कर बताया था कि पाली जिले की रोहट तहसील के राजस्व ग्राम डूंगरपुर,सिणगारी,ढूंढली,दूदली,निम्बली पटेलान,निम्बली ब्राहम्णान,दानासनी,रोहट और दलपतगढ के आसपास की ओरण,गोचर व आगौर की भूमि जोधपुर पाली मारवाड औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण को दी गई है.


इसको लेकर पाली जिला कलेक्टर ने 16 दिसम्बर 2020 को आदेश जारी किया है, उसे निरस्त किया जाए, याचिका में यह भी कहा गया कि गोचर भूमि प्रतिबंधित है और पंचायतों के नाम राजस्व रिकार्ड में दर्ज है. उसे जेपीएमआईए के लिए नहीं दी जा सकती है.


राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल एमएस सिंघवी ने कहा कि दिल्ली मुम्बई इंडस्ट्रीयल कॉरीडोर केन्द्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना है जिसमें दिल्ली से मुम्बई के बीच राजस्थान में पांच स्थानों पर हब बनाए जाएंगे तो राजस्थान में रोजगार सहित सभी क्षेत्रों में राहत मिलेगी.


राजस्थान में पहले चरण में जोधपुर पाली मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्र यानी जेपीएमआईए का नाम दिया गया है. जिसके विकास के लिए 12 अक्टूबर 2020 को जोधपुर पाली मारवाड औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है, जिसमें समस्त शक्तिया निहित होगी.


याचिका में कहा गया कि गोचर की भूमि प्रतिबंधित है लेकिन कानून में ऐसा कही प्रावधान नहीं है, कि गोचर की भूमि को विकास के लिए परिवर्तित नहीं कर सकते है.


प्रदेश में औद्योगिक विकास आवश्यक है ऐसे में गोचर की जितनी भूमि का उपयोग या परिवर्तन किया जाएगा उतनी ही भूमि सरकार आरक्षित करने की कार्यवाही शुरू कर चुकी है.


महाधिवक्ता ने ये भी कहा कि ओरण और आगौर की भूमि का ना तो उपयोग किया जा रहा है, ना ही इस प्रोजेक्ट के लिए उसका परिवर्तन किया गया है, ये गलत और भ्रामक तथ्य पेश किया गया है याचिका में.


महाधिवक्ता सिंघवी ने कहा कि कानून के अनुसार वेस्टिंग लैंड प्राधिकरण की प्रोपर्टी रहेगी और वो उसका उपयोग कर सकते है.औद्योगिक विकास के लिए सरकार ने प्राधिकरण का गठन किया है और प्राधिकरण को जिला कलेक्टर पाली द्वारा जो भूमि आवंटित की गई है.


उसमें किसी प्रकार से कानून का उल्लंघन या अति नहीं की गई है. 28 अप्रैल को हाईकोर्ट ने अपना निर्णय सुनाते हुए याचिका को खारिज कर दिया.


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