Jaipur News: राजस्थान हाईकोर्ट ने आजीवन सजा वाले कैदियों को ही ओपन जेल का लाभ देने और कम सजा वाले कैदियों को इससे वंचित रखने सहित ओपन जेल नियम के प्रोविजो 6ए को चुनौती देने के मामले में प्रमुख गृह सचिव, डीजी जेल व चेयरमैन ओपन जेल से जवाब देने के लिए कहा है. सीजे एजी मसीह व जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह निर्देश जितेन्द्र उर्फ जीतू की याचिका पर दिए.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

याचिका में अधिवक्ता अंशुमान सक्सैना ने बताया कि ओपन जेल नियमों में एक तिहाई सजा काट चुके कैदियों को ओपन जेल में भेजने की पात्रता है. वहीं ओपन जेल में भेजने के लिए पूरे प्रदेश के कैदियों की वरिष्ठता सूची बनती है और उसके अनुसार ही उन्हें वहां पर भेजा जाता है. अधिकतर उम्रकैद की सजा भुगत रहे कैदियों को ही उनकी भुगती हुई सजा के आधार और वरिष्ठता से ओपन जेल में भेजा जाता है.


ये भी पढ़ें- Rajasthan: स्पीकर के अयोग्यता नोटिस विवाद मामला, राजस्थान हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार मांगा जबाव


वहीं कम सजा वाले कैदियों को इस वरिष्ठता सूची में पीछे जगह मिलती है चाहे उन्होंने आधी से ज्यादा सजा भुगत ली हो. ऐसे में कम सजा वाले कैदी ओपन जेल में नहीं जा पाते. याचिका में कहा कि साल 2021 व 2022 की ओपन जेल में भेजने के लिए बनाई गई लिस्ट में याचिकाकर्ता का नाम बहुत पीछे है, इसलिए कम सजा वाले और ज्यादा सजा वाले कैदियों को ओपन जेल में भेजने के लिए उनका वर्गीकरण होना चाहिए और उसके अनुसार ही उन्हें वहां पर भेजना चाहिए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार व जेल प्रशासन से जवाब देने के लिए कहा है.