Bhajanlal government: राजस्थान गहरे कर्ज में डूबा हुआ है, जैसा कि भारतीय रिजर्व बैंक( RBI) की रिपोर्ट से पता चलता है. 2022-23 में राज्य का कर्ज 5,37,013 करोड़ रुपये तक बढ़ गया है, और इसके बाद पंजाब के बाद राजस्थान देश का दूसरा सबसे ज्यादा कर्ज वाला राज्य बन गया है.


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कांग्रेस को हराने के बाद, राजस्थान की नई भाजपा सरकार के सामने विभिन्न चुनौतियां हैं, . सूत्रों के अनुसार, गृह और वित्त विभागों में विलंबित घोषणाओं के चलते भी चुनौतियां हैं. यह भी स्पष्ट है कि राजस्थान सरकार कैसे इस वित्तीय कठिनाई का सामना करेगी, क्योंकि सरकार की वित्तीय प्रबंधन में कमजोरियां हैं.


पिछली सरकार द्वारा शुरू की गई जनकल्याणकारी योजनाओं का क्या होगा, यह भी एक सवाल है जिसका उत्तर अभी तक स्पष्ट नहीं है. मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने यह दावा किया है कि जनकल्याणकारी योजनाएं रद्द नहीं की जाएंगी, लेकिन इसका विवरण अभी तक प्रस्तुत नहीं किया गया है कि यह सब कैसे पूरा होगा. 


बता दें कि चुनाव प्रचार के दौरान PM नरेंद्र मोदी ने मरूधरा के लोगों के लिए कई गारंटी की घोषणाएं की. उन्होंने कहा कि राजस्थान में डबल इंजन की सरकार सभी समस्याओं से अधिक कुशलता से निपटेगी.


मुफ्त बिजली योजना और पेट्रोल-डीजल के दाम में कमी के वादे भी हैं, लेकिन इनमें कई आलोचनाएं हैं क्योंकि ये सरकार के वित्तीय स्वास्थ्य पर बोझ डाल सकते हैं. इसके अलावा, प्रतियोगी परीक्षाओं के आयोजन और सांप्रदायिक सौहार्द को बनाए रखना भी मुख्यमंत्री के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है.
सीएम गहलोत के जरिए चुनाव से कुछ महीने पहले राज्य में मुफ्त बिजली योजना शुरू की , जिसके तहत घरेलू ग्राहकों को 200 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाती है, जबकि किसानों को हर माह 2,000 यूनिट बिजली फ्री दी जाती है. जो अभी जारी है.


फिलहाल, मुफ्त बिजली योजना से भजनलाल सरकार के खजाने पर इससे हर साल 7,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ता है. मिली जानकारी के अनुसार नए सीएम ने पिछली कांग्रेस सरकार की हर सरकारी योजनाओं को जारी रखने का वादा किया है, इसलिए राजस्व के घाटे को पूरा करना वर्तमान सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रहा है.


गौरतलब है कि PM मोदी ने विधानसभा के चुनाव प्रचार के समय प्रदेश  की जनता के सामने महंगे पेट्रोल और डीजल का मुद्दा उठाया था. उन्होंने राज्य में इनकी कीमतें कम करने का वादा किया था क्योंकि  उनका कहना था कि अन्य बीजेपी शासित राज्यों की तुलना में राजस्थान में पेट्रोल और डीजल 10-11 रुपये प्रति लीटर महंगे हैं.


हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने प्रदेश की जनता के 76 लाख परिवारों को उज्ज्वला योजना के तहत 450 रुपये में गैस सिलेंडर देने का वादा किया है. इस योजना के बाद राज्य सरकार पर 626.40 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, जैसा कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा है. इन वित्तीय संकटों के अलावा, कानून और व्यवस्था भाजपा सरकार के लिए एक और बड़ी परीक्षा है, यही वह मुद्दा है जिसे पार्टी ने विधानसभा चुनाव अभियानों के दौरान सबसे अधिक उठाया था. यह मुफ्त बिजली योजना भाजपा सरकार को महंगी पड़ रही है और बिजली कंपनियां आर्थिक तौर पर बर्बादी के कगार पर हैं. घाटा 1.20 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का आंकड़ा छू चुका है.


दूसरा, नई सरकार को प्रतियोगी परीक्षाओं के आयोजन के लिए भी ठोस योजना बनानी होगी क्योंकि राजस्थान पेपर लीक के लिए बदनाम है. नए मुख्यमंत्री के लिए सांप्रदायिक सौहार्द बनाना भी बड़ा मुद्दा होगा, क्योंकि पिछले पांच सालों में करौली, भीलवाड़ा और जोधपुर समेत कई शहरों में सांप्रदायिक हिंसा हुई है. फिलहाल बीजेपी 100 दिन के एक्शन प्लान की बात कर रही है.


ऐसा लगता है कि लोकसभा चुनाव खत्म होने तक पुरानी सरकार की योजनाएं ही चलती रहेंगी. छह महीने बाद भाजपा सरकार का विजन स्पष्ट हो जाएगा. पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह भी साफ हो जाएगा कि वह जनता की उम्मीदों पर किस हद तक खरा उतरेंगे. यह चुनौतीपूर्ण समय है जब नई सरकार को विभिन्न क्षेत्रों में ठोस योजनाएं बनानी होंगी ताकि राजस्थान को विकास की दिशा में आगे बढ़ाया जा सके.