Rajasthan News: राजस्थान विधानसभा में आज राजस्थान विश्वविद्यालयों के अध्यापक (अस्थायी अध्यापकों का आमेलन) (संशोधन) विधेयक – 2023 रखा गया.विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष में इसी एक व्यक्ति के फायदे के लिए लाने का आरोप लगाया.
 
नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि 2008 में यह मूल बिल आया था, उस समय वहां पढ़ाई करा रहे अध्यापक नियमितीकरण करने की मांग कर रहे थे. सरकार ने विदेश जाने के बाद सब को नियमित कर दिया, लेकिन कुछ अध्यापकों का नियमितीकरण नहीं हो पाया. वर्ष 2008 के बाद सरकार ने अंतराल में विधेयक लेकर आई है ,इसका कोई विरोध नहीं है.


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योगा टीचर और इंस्ट्रेक्टर के लिए लाने का भी कोई विरोध नहीं है हमारा. इनको नियमित करने का वादा लिया था, उसे पूरा करें.नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि आज के बाद राजस्थान में 29 विश्वविद्यालय हो जाएंगे,लेकिन उनमें 27 विश्वविद्यालय नेक को रिकॉग्नाइज नहीं कर रहे हैं. सरकार उसको लेकर खिलवाड़ नहीं करें.


राठौड़ ने कहा कि आप गवर्नमेंट बनो और इस बात पर गौर करो. सरकार होती है जो सरक सरक कर चलती है. योगा टीचर इंस्ट्रक्टर को नियमितीकरण का प्रस्ताव लाए  लेकिन पहले उनको भी बाकी लोगों के साथ भेदभाव नहीं करें.


बहस के जवाब में उच्च शिक्षा राज्य मंत्री राजेन्द्र सिंह यादव ने कहा कि  विधेयक के माध्यम से स्क्रीनिंग कर पात्र अस्थायी अध्यापकों को नियमित किया जा सकेगा.  चर्चा के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया.


 यादव ने बताया कि इससे पूर्व वर्ष 2008 में राजस्थान विश्वविद्यालयों के अध्यापक (अस्थायी अध्यापकों का आमेलन) अध्यादेश लाया गया था. बाद में इसे अध्यादेश का प्रतिस्थापक विधेयक विधान सभा में पारित कराया गया.


इस अध्यादेश एवं अधिनियम के अंतर्गत विश्वविद्यालयों में अस्थायी रूप से कार्यरत 300 से अधिक शिक्षकों को स्क्रीनिंग कमेटी के माध्यम से पात्र पाये जाने पर सम्बन्धित विश्वविद्यालयों की सेवा में स्थायी किया गया था.


 उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के ध्यान में लाया गया कि वर्ष 2008 से पूर्व विश्वविद्यालय में कार्यरत कुछ अस्थायी शिक्षक/योग प्रशिक्षक 2008 के अध्यादेश में कवर होने से रह गए. अत: राज्य सरकार ने ऐसे शिक्षकों एवं योग प्रशिक्षकों को स्क्रीनिंग कमेटी के माध्यम से पात्र पाये जाने पर स्थायी किये जाने का निर्णय लिया है.


इसके लिए 2008 के आमेलन अधिनियम में अस्थायी शिक्षक की परिभाषा को संशोधित करने व मूल अधिनियम के द्वारा आमेलन हेतु निर्धारित 180 दिवस की अवधि में छूट देते हुए राजस्थान विश्वविद्यालयों के अध्यापक (अस्थायी अध्यापकों का आमेलन) (संशोधन) विधेयक – 2023 लाया गया है.



राजस्थान विधानसभा में सोमवार को राजीव गांधी फिनटेक डिजिटल संस्थान विधेयक-2023 पारित किया गया। इसके बाद प्रदेश के युवाओं को डिजिटल ट्रेनिंग मिलेंगी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. राजीव गांधी फिनटेक डिजिटल संस्थान वित्तीय प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्वस्तरीय मानक स्थापित करेगा. 


 गुणवत्ता पर  सवाल उठाए


विधानसभा में विपक्ष की टोका टोकी के बीच विधेयक पारित किया गया. बहस के दौरान बीजेपी विधायक अनीता भदेल ने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर  सवाल उठाए. राज्य सरकार ने स्कूलों को कॉलेज, पीजी कॉलेज को यूजी बना दिया, संस्थानों में न पर्याप्त कोर्स है, न ही संसाधन कॉलेजों के पास 2000 करोड़ में कोई कॉलेज नहीं चलने वाला है। सरकारी कॉलेजों में पांच साल पहले जो नामांकन था, वो ही आज भी है.


विश्वस्तरीय मानक स्थापित करेगा


विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने कहा कि जोधपुर में स्थापित किया जा रहा राजीव गांधी फिनटेक डिजिटल संस्थान वित्तीय प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्वस्तरीय मानक स्थापित करेगा. उन्होंने कहा कि वित्तीय प्रौद्योगिकी वर्तमान में दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रहे सेक्टर्स में से एक है. राज्य के युवाओं को इस क्षेत्र में प्रशिक्षित करने के लिए इस संस्थान की स्थापना की जा रही है.


 नई क्रांति साबित होगा


शिक्षा मंत्री ने कहा कि जोधपुर में स्थापित किया जा रहा यह विश्वस्तरीय संस्थान डिजिटल वर्ल्ड में एक नई क्रांति साबित होगा.इससे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसे तकनीकी क्षेत्र के विशेषज्ञ तैयार होंगे, जिन्हें दुनिया भर में रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकेंगे. संस्थान आईटी क्रांति के सूत्रधार भारत रत्न स्व.राजीव गांधी के नाम से स्थापित किया जा रहा है.


 672.45 करोड़ की राशि का प्रावधान


शिक्षा मंत्री ने कहा कि वर्तमान दौर में जहां साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं और निवेश व बीमा जैसे कार्यों के लिए लोगों को विशेषज्ञ सलाह की आवश्यकता बढ़ रही है, इस संस्थान से डिजिटल ज्ञानयुक्त वित्तीय प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञ तैयार होंगे.उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अपने वित्तीय संसाधनों से संस्थान के लिए 672.45 करोड़ की राशि का प्रावधान किया है, जिसमें से 130 करोड़ की राशि व्यय भी की जा चुकी है. इसके लिए 97 बीघा भूमि आवंटित की जा चुकी है, जिस पर निर्माण कार्य जारी है.


डिग्री कोर्सेज उपलब्ध हो सकेंगे


डॉ. कल्ला ने कहा कि संस्थान में यूजीसी और एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त डिप्लोमा, डिग्री कोर्सेज उपलब्ध हो सकेंगे. यह संस्थान डिजिटल स्टेट यूनिवर्सिटी के रूप में विकसित होगा जहां सायबर एक्सपर्ट और डिजिटल एक्सपर्ट तैयार किए जाएंगे. साथ ही, संस्थान आईआईटी, एम्स के मानकों के अनुरूप विकसित किया जाएगा. यहां का प्रबंधन पूर्ण रूप से स्वायत्तशासी होगा.


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