Rajasthan News: अटक सकता है मेला प्राधिकरण विधेयक!विरोध में जयपुर में जुटेंगे देशभर के धर्मगुरु
Rajasthan News: राजस्थान विधानसभा में पास हुए राजस्थान मेला प्राधिकरण विधेयक में किए सख्त प्रावधानों पर दूसरे राज्यों के धर्मगुरुओं में बढ़ती नाराजगी को देखते हुए कुछ नए संकेत मिल रहे हैं.
Rajasthan News: अटक सकता है मेला प्राधिकरण विधेयक!विरोध में जयपुर में जुटेंगे देशभर के धर्मगुरु.जानकार सूत्रों के मुताबिक जनविरोध के कारण मेला प्राधिकरण विधेयक के अटक सकता हैं.बताया जा रहा है कि विधानसभा से पारित यह विधेयक अभी राजभवन की चौखट तक नहीं पहुंचा है, और जानकारी ये भी हैं की राज्य सरकार भी इसे लागू करने के मूड में नजर नहीं आ रही है.
राज्यपाल विधेयक को मंजूरी देने के बजाय इसे लौट भी सकते हैं और यदि राजभवन से मंजूरी मिल भी गई तो सरकार इसके लागू करने में ज्यादा रूचि नहीं दिखाएगी या फिर तारीख तय नहीं करेगी.क्योंकि इस विधेयक के विरोध की चिंगारी दूसरे राज्यों में पहुंच गई हैं.
चुनावी साल में सरकार नाराजगी जैसा कोई कदम नहीं उठाएगी.दरअसल मेला प्राधिकरण विधेयक में सभी धर्मों के धार्मिक स्थलों के व्यवस्थापकों को आयोजक कहकर संबोधित किया है.साथ ही प्रदेश के बड़े मंदिरों और दरगाह पर लगने वाले मेलों में निजी ट्रस्टों को जिम्मेदार बनाए जाने से धर्म गुरु,महंत और निजी ट्रस्ट संचालक भी विधेयक के विरोध में हैं.
हरिद्वार स्थित जूना अखाड़ा के आचार्य अवधूत बाबा अरुण गिरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,गृह मंत्री अमित शाह,राज्यपाल कलराज मिश्र और सीएम अशोक गहलोत पत्र लिखा.उन्होंने बताया कि विधेयक में कई विसंगतियां हैं.
राजस्थान सरकार इसे वापस नहीं लेती है तो संत समाज आंदोलन करेगा.अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष संत रविंद्रपुरी ने कहा कि विधेयक के विरोध में जल्द ही जयपुर में बड़ी तादाद में साधु-संत जुटेंगे.संतों ने पत्र में लिखा है कि राजस्थान एक धार्मिक स्थान है.यहां हर साल अनेक धार्मिक व सांस्कृतिक मेले आयोजित होते हैं.
इनमें स्थानीय लोगों के साथ ही देसी-विेदशी पर्यटक शामिल होते हैं.इन कार्यक्रमों की पूरी जिम्मेदारी आयोजन प्रबंधन पर डालना सही नहीं है.इसमें आयोजकों को प्रशासन का भी साथ मिले ताकि व्यवस्था बनी रहे.
बड़े पर्व,जयंती सहित उत्सवों पर मंदिर,मस्जिद,दरगाह में लोग अपनी आस्था के साथ आते हैं.धर्मगुरुओं ने भी इन्ही कारणों से विरोध जताया था.इससे पहले विधानसभा में विपक्ष ने भी विधेयक को जनविरोधी बताते हुए इसे पारित नहीं करने का आग्रह किया था.
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