Rajasthan News: राजस्‍थान ACB की रेड में IAS अधिकारी राजेंद्र विजय धनकुबेर निकला है, उसके पास करोड़ों की सम्‍पत्ति मिली है. एसीबी के छापे के बाद आईएएस राजेंद्र विजय को कोटा संभागीय आयुक्‍त पद से हटा दिया गया है. राजस्‍थान की भजनलाल शर्मा सरकार ने IAS राजेंद्र विजय के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्‍हें APO कर दिया है. इस अवधि में राजेंद्र विजय को मुख्‍यालय पर हाजिरी देनी होगी. 


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साथ ही दौसा में स्थित राजेंद्र विजय के पैतृक घर को सील कर दिया गया है. ACB डीजी डॉ. प्रकाश मेहरड़ा ने बताया कि IAS राजेंद्र विजय के खिलाफ लंबे समय से आय से अधिक संपत्ति की शिकायतें मिल रही थीं. बुधवार 2 अक्टूबर सुबह करीब 7 बजे से राजेंद्र विजय के 4 ठिकानों पर ACB ने सर्च शुरू की थी.


 



IAS विजय के ठिकानों पर ACB की छापेमारी में 13 व्यावसायिक और आवासीय भूखंड के पेपर्स मिले हैं. इसके अलावा नगद, बैंक खातों में लाखों रुपये और बैंक लॉकर भी मिला है. IAS राजेंद्र विजय के ठिकानों से 335 ग्राम सोने, 11 किलो 800 ग्राम चांदी के आभूषण और 3 चार पहिया वाहन भी मिली है. 


 



बीमा पॉलिसियों में भी निवेश किया गया है. साथ ही बैंक लॉकर भी मिला है, जिसकी अभी तक तलाशी नहीं ली गई है. एसीबी के डीजी डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा ने बताया कि IAS राजेंद्र विजय का टोंक रोड पर आलीशान मकान है. Zudio व्यावसायिक शो रूम नंबर 7 ग्राउंड फ्लोर, जीटी गलेरिया अशोक मार्ग, सी-स्कीम भी राजेंद्र विजय का है. 


 



परिजनों के नाम से बनाई संपत्ति 


ACB डीजी डॉ. प्रकाश मेहरड़ा के अनुसार जयपुर, कोटा और दौसा स्थित 4 अलग-अलग ठिकानों पर तलाशी की कार्रवाई के दौरान सामने आया कि राजेंद्र विजय ने भ्रष्‍टाचार के जरिए अपने और परिजनों के नाम से अथाह संपत्ति बनाई है, जिनकी वर्तमान बाजार कीमत करोड़ों रुपए है. IAS राजेंद्र विजय के ठिकानों पर सर्च की कार्रवाई सुबह 7 से दोपहर 3 बजे तक करीब 8 घंटे तक चली.



IAS राजेंद्र विजय का जीवन परिचय प्रमोटी आईएएस राजेंद्र विजय मूलरूप से दौसा जिले के गांव दुब्‍बी का रहने वाला है. राजेंद्र विजय ने साल 1991 में टोंक, दौसा व नागौर में ACM पद पर अंडर ट्रेनिंग रहते सेवाएं दीं. इसके बाद साल 1992 में उनियारा में विकास अधिकारी, 1993 में सुजानगढ़ में ACEM रहे. 25 सितंबर को कोटा संभागीय आयुक्‍त पद से पहले RUIDP में प्रोजेक्‍ट डायरेक्‍टर भी रहे.