Jaipur News:राजधानी जयपुर में बढ़ते अपराधों की रोकथाम और राजधानी में रहने वाली किराएदारों, दुकान पर काम करने वाले हेल्पर और नौकरों का डेटाबेस तैयार करने के लिए जयपुर पुलिस द्वारा नजर सिटीजन ऐप लॉन्च की गई है.


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हालांकि यह एप पहले केवल पुलिसकर्मी ही इस्तेमाल कर सकते थे और बीट कांस्टेबल घर-घर जाकर इसमें लोगों की जानकारी को अपलोड कर रहे थे.लेकिन अब इसे आमजन की सहूलियत को देखते हुए मॉडिफाई करने के बाद आमजन के लिए लॉन्च किया गया है.अब तक तकरीबन 3000 लोग इस एप को डाउनलोड कर चुके हैं और 400 से अधिक लोग उसमें किराएदार, हेल्पर और नौकरों की जानकारी भी अपलोड कर चुके हैं.



राजधानी जयपुर में बाहरी राज्यों से आकर बदमाश किराए का मकान लेकर रहते हैं.कुछ समय तक यह बदमाश अपने नाम पते छुपा कर अपराधिक घटनाओं को अंजाम देते हैं.विगत दिनों जयपुर शहर में दर्जनों चोरी, लूट, मारपीट, डकैती, हत्या जैसी घटनाओं को बदमाशों ने अंजाम दिया.



बदमाशों ने दहशत मचाने से पहले किराए पर होटल लिया या फिर फ्लैट लिया.मौका मिलते ही बदमाश खून खराबा कर रफू चक्कर हो जाते हैं.ऐसे बदमाशों पर शिकंजा कसने के लिए जयपुर पुलिस की ओर से नजर सिटिजन एप और नजर पुलिस ऑफिसर्स एप्लीकेशन लॉन्च की गई है.



इस एप्लीकेशन में नौकर और किराएदारों का सर्वे कर उनका डाटा अपलोड किया गया है.आम आदमी को सुरक्षा प्रदान करने के लिए नौकर व किराएदार की डिटेल्स डिजिटल रूप से इस एप्लीकेशन में डाली गई है.इस एप्लीकेशन के जरिए घर बैठे ही नौकर, किराएदारों की संपूर्ण जानकारी आसानी से जयपुर पुलिस के साथ साझा की जा सकेगी.



मकान मालिक के पास पूर्व में रहने वाले किराएदार और नौकरों का डिजिटल डाटा भी इस एप्लीकेशन में संग्रहित किया गया है.इस एप्लीकेशन के जरिए जयपुर में छिप कर रहने वाले बाहरी उपद्रवियों की पहचान आसानी से हो सकेगी.एप्लीकेशन में मकान, दुकान, होटल, ऑफिस, हॉस्टल के ओनर और उनकी प्रॉपर्टी का ब्यौरा अपलोड किया जाएगा.



आमजन इस एप का प्रयोग कर अपने मकान में रहने वाले किराएदार, दुकान में रखे गए हेल्पर और नौकर का तमाम डाटा अपलोड करेगा.आमजन द्वारा अपलोड किए गए ब्यौरे को बीट कांस्टेबल वेरीफाई करेगा.अगर डाटा गलत अपलोड किया गया है तो मोबाइल के जरिए संबंधित शख्स को जानकारी एसएमएस के जरिए दी जाएगी.


आमजन द्वारा एप्लीकेशन में अपलोड किया गया डाटा संबंधित थाने के बीट अधिकारी द्वारा डोर टू डोर पहुंचकर वेरिफाई किया जाएगा.यह एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर आसानी से उपलब्ध है, जिसे आम आदमी प्ले स्टोर के जरिए अपने मोबाइल में अपलोड कर सकता है.


नजर सिटिजन एप और नजर पुलिस ऑफिसर्स एप्लीकेशन के लिए पांच स्तर पर मॉनिटरिंग की जा रही है.यह मॉनिटरिंग बीट अधिकारी, थाना अधिकारी, सर्कल, जिला और पुलिस आयुक्तालय स्तर पर की जा रही है.


जयपुर पुलिस पिछले 6 महीने से नजर एप्लीकेशन का प्रयोग कर रही है.जिसमें बीट कांस्टेबल के द्वारा हजारों लोगों का डाटा अपलोड कर चुकी है.नजर एप्लीकेशन के जरिए अब पुलिस दूसरे राज्यों से आने वाले बदमाशों को भी चिन्हित कर सकेगी.देखना होगा की जयपुर पुलिस की यह नई पहल कितनी कारगर साबित होती है.


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