Rajasthan Paper Leak Case: राजस्थान में सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती बिना पेपर लीक हुए प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन कराना बनी हुई है. बीते 10 साल में प्रदेश में 15 प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक हुए. पेपर लीक में आरपीएससी सदस्यों की भूमिका पाई गई. तो वही कुछ पेपर लीक में परीक्षा कंडक्ट कराने वाली कंपनी के लोगों की मिली भगत उजागर हुई.


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 हाल ही में राजस्थान में बनी भजनलाल सरकार ने प्रदेश में लीक हुए तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं की जांच के लिए एक SIT का गठन किया. एडीजी एटीएस/एसओजी वी.के.सिंह को इस SIT की कमान सौंप गई है. SIT द्वारा लगातार पेपर लीक प्रकरणों में वांछित चल रहे आरोपियों की गिरफ्तारी की जा रही है.



 यदि बात राजस्थान में वर्ष 2013 से लेकर 2022 तक हुई विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की करें तो इन 10 सालों में 15 परीक्षाओं के पेपर लीक हुए. कुछ परीक्षाओं के पेपर महज एक केंद्र पर या सिर्फ एक जिले तक लीफ होना ही सीमित रहे लेकिन उसके चलते पूरी परीक्षा को ही रद्द कर दिया गया. जिसका खामियाजा लाखों युवाओं को उठाना पड़ा. 



10 सालों में प्रदेश में इन 15 प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर हुए लीक–
– RAS प्री परीक्षा 2013
– राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2017


– लाइब्रेरियन भर्ती परीक्षा 2018
– JEN सिविल डिग्री भर्ती परीक्षा 2018


– कनिष्ठ अभियंता भर्ती परीक्षा 2020
– वनरक्षक भर्ती परीक्षा 2020


– रीट भर्ती परीक्षा 2021
– चिकित्सा अधिकारी भर्ती परीक्षा 2021


– SI संयुक्त भर्ती परीक्षा 2021
– वरिष्ठ अध्यापक प्रतियोगी परीक्षा 2022


– कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2022
– हाईकोर्ट LDC भर्ती परीक्षा 2022


– SI भर्ती परीक्षा 2022
– CHO भर्ती परीक्षा 2022


बिजली विभाग तकनीकी हेल्पर भर्ती परीक्षा 2022
एडीजी एटीएस/एसओजी वी.के.सिंह का कहना है कि इन सभी पेपर लीक प्रकरणों की लगातार जांच जारी है और फरार चल रहे आरोपियों को गिरफ्तार किया जा रहा है. जिन भी लोगों की इन पेपर लीक प्रकरण में संलिप्त है उनको किसी भी कीमत पर नहीं बख्शा जाएगा.



 इन सभी पेपर लीक प्रकरणों में सबसे ज्यादा हाइलाइटेड अगर कोई प्रकरण रहा तो वह है रीट भर्ती परीक्षा 2021 पेपर लीक प्रकरण. इस पेपर लीक प्रकरण में RPSC के सदस्य बाबूलाल कटरा को भी गिरफ्तार किया गया. अब तक इस पूरे प्रकरण में 105 से अधिक आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है. जिसमें पेपर लीक करने वाले माफिया और परीक्षा से पहले पेपर प्राप्त करने वाली अभ्यर्थी शामिल हैं. SOG को अभी रीट पेपर लीक प्रकरण में फरार चल रहे कई आरोपियों की तलाश है और एडीजी वी.के.सिंह के सुपरविजन में SOG की अनेक टीम लगातार प्रदेश के अलग-अलग जिलों में दबिश दे रही है.


रीट भर्ती परीक्षा 2021 पेपर लीक प्रकरण की केस स्टडी कि यदि बात करें तो 26 सितंबर 2021 को राजस्थान में रीट भर्ती परीक्षा 2021 का आयोजन किया गया. परीक्षा से ठीक 2 दिन पहले जयपुर के शिक्षा संकुल के स्ट्रांग रूम से पेपर लीक किया गया. स्ट्रांग रूम की सुरक्षा में तैनात राम कृपाल मीणा ने ही स्ट्रांग रूम से पेपर लीक किया और 1.25 करोड रुपए में डील करते हुए उदाराम विश्नोई को बेच दिया. 


 


उसके बाद उदाराम विश्नोई ने यह पेपर आगे भजनलाल विश्नोई सहित गैंग के अन्य सदस्यों को भेज दिया. इसके बाद यह प्रश्न पत्र प्रदेश के अलग-अलग जिलों में परीक्षा से पहले ही अभ्यर्थियों तक पहुंच गया. जिनको प्रश्न पत्र उपलब्ध कराने की एवज में मोटी राशि गैंग के सदस्यों के द्वारा वसूली गई. 


 



जब प्रकरण की जांच शुरू की गई तो परीक्षा का आयोजन कराने वाली आरपीएससी के सदस्य बाबूलाल कटरा की भूमिका उजागर हुई. जिसने अपने आदमियों को न केवल शिक्षा संकुल में लगाया बल्कि अलग-अलग जिलों में भी उन्हें कई जिम्मेदारियां दी गई और उन्हें लोगों ने पेपर लीक को अंजाम दिया.


आरपीएससी की ओर से वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा 2022 का आयोजन किया गया और परीक्षा से महज कुछ घंटे पहले ही पेपर लीक हो गया. 24 दिसंबर को परीक्षा का आयोजन होना था और परीक्षा से कुछ घंटे पहले उदयपुर जिले की बेकरिया पुलिस ने एक चलती हुई बस में पेपर सॉल्व करते हुए और सॉल्व करवाते हुए 55 लोगों को गिरफ्तार कर लिया.



 पेपर लीक का मास्टरमाइंड आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटरा निकला, जिसने परीक्षा का पेपर 60 दिन पहले अक्टूबर में ही लीक कर दिया. दरअसल कटरा को विशेषज्ञों से पेपर सेट करने की जिम्मेदारी दी गई थी और उसका गलत फायदा उठाते हुए उसने पेपर तैयार होते ही सभी सेट की मूल प्रति अपने सरकारी आवास पर ले जाकर सभी सवाल दूसरे कागज पर अपने भांजे विजय को लिखवा दिए.


 


 विजय द्वारा कागज पर लिखे गए प्रश्नों की फोटो शेर सिंह ने अपने मोबाइल से क्लिक की और फिर सुरेश बिश्नोई को यह फोटो भेजी गई. सुरेश बिश्नोई सरकारी शिक्षक था और उसने परीक्षा से 15 दिन पहले पूरा नकल गिरोह खड़ा किया. ज्यादातर ऐसे अभ्यर्थी चुने गए जो किसी न किसी के पहचान में या रिश्तेदारी में थे. उसके बाद सभी लोगों से 5 से 15 लाख रुपए में डील तय की गई और परीक्षा से पहले आधा पेमेंट एडवांस लिया गया. इसके बाद चलती बस में पेपर सॉल्व करवाया गया और पुलिस द्वारा पकड़े जाने पर पेपर लीक का भंडाफोड़ हुआ.



 राजस्थान में हाल ही में BJP की सरकार बनी है और पेपर लीक जैसे मुद्दे को अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी बीजेपी ने शामिल किया था. अब देखना होगा कि आखिर कैसे राजस्थान में पेपर लीक की यह दास्तान रुक पाती है.


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