Rajasthan Political Crisis: खेमे बाजी, गुटबाजी और नाराजगी इसी के इर्द-गिर्द राजस्थान की सियासत जारी है, सीएम गहलोत का जादू कुर्सी के बंटवारे में फीका पड़ने लगा है. आलाकमान की बातें गहलोत खेमे के विधायकों को न मानना आफ्त खड़ी कर सकता है. ऐसे में विधायक दिव्या मदेरणा ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि मैं आज तक किसी भी गुट में शामिल नहीं रही हूं. मैं पार्टी और आलाकमान के साथ हूं.


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जो भी घटनाक्रम हुआ वह बिल्कुल अनुशासनहीनता है, जिस मुख्य सचेतक ने हमें विधायक दल की बैठक में आने को कहा वह खुद ही बैठक में नहीं आए, 1998 में जब परसराम मदेरणा के चेहरे पर चुनाव हुआ, तब भी हमने आलाकमान का ही फैसला माना था और आगे भी आलाकमान का ही फैसला मानेंगे.


 ऐसे में राजनीतिक जानकारों की मानें तो  दिव्या मदेरणा ने अपने आपको खेमे बाजी से दूर रखते हुए आलाकमान के साथ रखा है. खेमे बाजी के दौरान  दिव्या मदेरणा का ये बयान राजस्थान की सियासत में कितना मायनें रखता है ये आलाकमान के फैसले से पता चलेगा.


वहीं, सियासी ड्रामा के बीच  खिलाड़ी लाल बैरवा ने भी बयान देकर मामले को तूल दिया. उन्होंने कहा कि अब अध्यक्ष नहीं बन पाएंगे सीएम अशोक गहलोत. खैर राजस्थान का रिमोट अब आलाकमान के पास है. आलाकमान के फाइनल फैसले को राजस्थान समेत पूरे देश को बेसब्री से इंतजार है.


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