सचिन पायलट की राह में रोड़ा है गहलोत कैंप की ये तिकड़ी, कांग्रेस आलाकमान को दे रहे हैं चुनौती
राजस्थान का सियासी पारा गर्म है और गहलोत खेमा बगावत कर चुका है. ऐसे में अब कांग्रेस आलाकमान कड़े कदम भी उठा सकते हैं.
Rajasthan Politics Crisis : राजस्थान का सियासी पारा गर्म है और गहलोत खेमा बगावत कर चुका है. ऐसे में अब कांग्रेस आलाकमान कड़े कदम भी उठा सकते हैं. अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे की लिखित रिपोर्ट के बाद बगावती विधायकों पर एक्शन और राजस्थान में सीएम पद के लिये नाम फाइनल हो सकता है, हालांकि इस बीच कई विधायक और मंत्री सुर बद रहे हैं, जिसमें प्रमुख है प्रताप सिंह खाचरियावास.
आपको बता दें की प्रताप सिंह खाचरियावास, शांति कुमार धारीवाल, महेश जोशी ये तीन वो चेहरे रहे हैं, जो राजस्थान में जारी सिसायी घमासान में योद्धा की तरह, हर जगह अशोक गहलोत की पैरवी करते और कांग्रेस आलाकमान की नाफरमानी करते दिखे थे. जिसका जिक्र अजय माकन कर चुके हैं.
माना जा रहा है कि गहलोत खेमे की ये तिकड़ी प्रताप सिंह खाचरियावास, शांति कुमार धारीवाल, और महेश जोशी ही दरअसल सचिन पायलट के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचने में रोड़ा बने हैं. ऐसे में इन तीनों के सियासी कद को भी समझ लेना जरूरी हो जाता है.
प्रताप सिंह खाचरियावास : मुखर बयान बाजी के लिये जाने जाने वाले प्रताप सिंह खाचरियावास ही कांग्रेस विधायकों के धारीवाल के घर पर बैठक के बाद इस्तीफे देने के लिए स्पीकर सीपी जोशी के घर लेने जाने वालों में सबसे आगे थे. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री वही होगा, जिसको आलाकमान हमारे 102 विधायकों में से राय लेकर तय करेंगे. खाचरियावास के मुताबिक बीजेपी राजस्थान में सरकार गिराने का षड्यंत्र कर रही है. जिसे हम कामयाब नहीं होने देंगे. खाचरियावास भी सीएम गहलोत के करीबी नेताओं और राजपूत समुदाय से आने के चलते सियासत में ऊंचा कद रखते हैं. ये ये बताया जरूरी है कि खाचरियावास पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत के भतीजे हैं. छात्र राजनीति से निकले खाचरियावास बीजेपी युवपा मोर्चा के अध्यक्ष रह चुके हैं और 2004 में कांग्रेस में शामिल हो गये थे. 2020 में सचिन पायलट की बगावत से पहले तक खाचरियावास पायलट कैंप का हिस्सा थे, लेकिन बाद में गहलोत गुट में शामिल हो गये.
शांति कुमार धारीवाल : राजस्थान नए सीएम बनाने की प्रक्रिया में सीधे सीधे पार्टी आलाकमान को चुनौती देने वालों में सबसे आगे शांति कुमार धारीवाल रहे हैं. जो ना सिर्फ अशोक गहलोत के करीबी है वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता भी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी तीनों ही सरकार में उन्हें जगह दी और मंत्रिमंडल में नंबर दो की हैसियत पर रखा है. साल 2020 में सचिन पायलट गुट की बगावत के वक्त भी शांति कुमार धारीवाल गहलोत के लिए संकट मोचक साबित हो चुके हैं. धारीवाल कोटा उत्तर से तीन बार विधायक और कोटा लोकसभा से सांसद रहे चुके है. धारीवाल को राजस्थान में कांग्रेस के फंड मैनेजर की रुप में जाना जाता है.
महेश जोशी : दिल्ली से आये पर्यवेक्षकों के कहने पर महेश जोशी ने विधायक दल की बैठक के लिए पहले विधायकों को फोन किया और फिर उसके बाद शांति कुमार धारीवाल के घर पर बैठक के लिए विधायकों को बुलाया था. इस बार महेश जोशी ने कहा कि हमारा मकसद था कि विधायक दल की बैठक में तरह-तरह की बातें नहीं हो और इसलिये हमने आपस में बात करने का फैसला लिया. जोशी के मुताबिक जो सरकार गिराने की कोशिश कर चुका है उनमें से कोई सीएम न चुना जाए. छात्र राजनीति से सियासी सफर की शुरुआत करने वाले महेश जोशी सीएम गहलोत के मजबूत नुमाइंदे माने जाते हैं और फिलहाल मुख्य सचेतक की भूमिका में हैं.
इस बीच बड़ी खबर आ रही है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का अगला कदम क्या होगा ये कांग्रेस आलाकमान के फैसले के बाद तय हो पाएगा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पार्टी आलकमान के अगले संदेश का इंतजार कर रहे हैं. आलाकमान के फैसले बाद ही ये तय होगा कि अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव के लिए नामाकंन करेंगे या नहीं.