Rajasthan Pride: राजस्थान के नागौर में एक ऐसा धार्मिक स्थान है, जहां 6 देवी-देवता विराजमान हैं. इस मंदिर से हजारों श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ हुई है. बताया जाता है, कि इस मंदिर की स्थापना 50 साल पहले संत रविदास (Sant Ravidas) जी महराज द्वारा अपने गुरु गोरखनाथ (Baba Gorakhnath) के धूणे के साथ की गई थी. इस मंदिर में शिवपंचायत (Shiv Panchayat), जगदम्बा कलकी माता (Jagdamba Kalki Mata), माता गंगा, पशुपतिनाथ महादेव (Pashupatinath Mahadev), बालाजी (Balaji) और रामदेवजी (Ramdevji) के स्थान बने हुऐ है. बताया जाता है कि यहां पर धूणे से जोत खुद-ब-खुद जलती है.


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क्या है नागौर के मंदिर की महिमा


बताया जाता है कि नागौर का डेह रोड़ स्थित गुरु गोरखनाथ (Guru Gorakhnath) धूणे की बहुत बड़ी महिमा है. मंदिर में सांप की जोड़ी साथ मे रहती है. इस मंदिर की ऐसी महिमा है, कि यहां इसके निर्माण के बाद, 50 साल से ही कोई ना कोई काम चलता रहता है. यहां के देवी-देवताओं के दर्शन करने दूर-दूर से भक्त पहुंचते हैं.



दर्शन से दूर हो जाती हैं बीमारियां


नागौर के इस दिव्य मंदिर के पुजारी सूरजनाथ बताते हैं, कि मंदिर के देवी-देवताओं के दर्शन से कई लोगों की बीमारियां दूर हो जाती हैं. उन्होंने बताया, कि साड़ोकन गांव के रहने वाले मूलाराम को बहुत गंभीर बीमारी थी. उन्हें डॉक्टर ने भी हॉस्पिटल से विदा कर दिया था, और बोले कि इनकी घर पर ही सेवा करिए. जिसके बाद मूलाराम ने मंदिर की परिक्रमा लगाई, और उनकी बीमारी ठीक हो गई. हाल ही में एक वक्ति का बहुत बड़ा एक्सीडेंट हो गया, जिसके बाद उन्होंने मंदिर की परिक्रमा की और वो भी ठीक हो गए. ऐसी ही कई मामलों में लोगों की बीमारियां दूर हुई हैं. 


मन्नत होती हैं पूरी


यहां के लोगों की मान्यता है कि मंदिर में दर्शन करने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है. यहां लगातार परिक्रमा करने से लोगों को बीमारियों से छुटकारा मिलता है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है, कि अगर सच्चे मन से, बिना किसी द्वेश के मन्नत मांगी जाए, तो यहां से कोई खाली हाथ नहीं लौटता. बताया जाता है, कि सांप का एक जोड़ा बीते कई सालों से मंदिर में साथ ही रहता है. 


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