चौराहों पर गुब्बारे बेचते-भीख मांगते नहीं दिखेंगे बच्चे, SCPCR चलाएगा बाल श्रम-बाल भिक्षावृत्ति मुक्त अभियान
बाल श्रम और भिक्षावृत्ति से मुक्ति का यह अभियान जयपुर से शुरू होकर अन्य शहरों में भी शुरू किया जाएगा. आयोग इसमें सभी सम्बंधित विभागों से सहयोग लेगा. रा
Jaipur: शहर के चौराहों पर अब भीख मांगते या खिलौने-गुब्बारे बेचते बच्चे नजर नहीं आएंगे. राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (State Commission for Protection of Child Rights) बाल श्रम और बाल भिक्षावृत्ति मुक्ति के लिए 19 जुलाई से अभियान चलाएगा. भिक्षावृत्ति से मुक्त कराने के बाद ऐसे बच्चों का पुनर्वास भी किया जाएगा.
बाल श्रम और भिक्षावृत्ति से मुक्ति का यह अभियान जयपुर से शुरू होकर अन्य शहरों में भी शुरू किया जाएगा. आयोग इसमें सभी सम्बंधित विभागों से सहयोग लेगा. राज्य बाल अधिकार आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल की अध्यक्षता में सोमवार को विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक कर अभियान को सफल बनाने पर चर्चा की. खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने बाल श्रम निषेध दिवस पर बाल श्रम मुक्त प्रदेश बनाने का विजन साझा किया था. इसके बाद बाल अधिकार आयोग ने अभियान शुरू करने का निर्णय लिया.
'जिन हाथों में कलम होनी चाहिए, मांग रहे भीख'
शहर को बाल श्रम और भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने के लिए विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने अपने अपने सुझाव दिए. सभी विभागों के समन्वय के साथ ही स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से अभियान को सफल बनाया जा सकता है. बेनीवाल ने कहा कि यह देखकर दुख होता है कि जिन हाथों में कलम होने चाहिए, वो भीख मांग रहे हैं या गुब्बारे बेच रहे हैं या फिर अन्य कोई काम कर रहे हैं. इनको इससे मुक्ति दिलाने के लिए पुनर्वास की पुख्ता व्यवस्था की जाएगी.
CM गहलोत ने दिया था विजन
संगीता बेनीवाल ने कहा कि 12 जून को बाल श्रम निषेध दिवस पर आयोजित वेबिनार में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश को बाल श्रम मुक्त बनाने का विजन सभी से साझा किया था. इसी कड़ी में आयोग ने पहल करते हुए इस पर काम शुरू कर दिया है. बेनीवाल ने कहा कि बच्चे हमारा भविष्य इसलिए उन्हें बाल मजदूरी और भिक्षावृत्ति के दलदल से मुक्त करवाना जरूरी है जिससे बच्चों के अधिकारों की रक्षा हो सके. ये तब ही संभव हो सकता है जब हम सभी साथ मिलकर कार्य करेंगे .
कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों से होगा जोड़ना
सचिव श्रम विभाग नीरज के. पवन ने कहा कि शहरों को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने के लिए भिखारियों का सर्वे कर उन्हें कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों से जोड़कर रोजगार उपलब्ध करवाया जाएगा,जिससे उनकी आर्थिक समस्या का समाधान हो सकेगा और भिक्षावृत्ति उन्मूलन में मदद मिलेगी. भिखारियों की पहचान और सर्वे का कार्य पुलिस एवं प्रशासन द्वारा मिलकर किया जाएगा.
सम्बंधित विभागों से संवाद जरूरी
आयुक्त, बाल अधिकारिता विभाग महेश शर्मा ने इस दिशा में विभाग द्वारा किए गए कार्यों की जानकारी दी. उन्होंने ग्रामीण स्तर पर सूचना तंत्र को और अधिक मजबूत करने और जागरूकता बढ़ाने के लिए कहा. साथ ही हर महीने सभी संबंधित विभागों के साथ संवाद कार्यक्रम करने का सुझाव दिया .
3 चरणों में करना होगा अभियान पूरा
पुलिस उपायुक्त अमृता दुहान ने कहा कि हमें तीन फेज में योजना बनाकर कार्य करना होगा, जिसमें प्रथम चरण में शॉर्ट टर्म में तुरंत भिखारियों को चिन्हित कर उनका पुनर्वास किया जाए. साथी ही मिड टर्म और लॉन्ग टर्म रणनीति भी बनाई जाए. पुलिस अधीक्षक मानव तस्करी विरोधी इकाई कल्याणमल मीणा ने कहा कि बाल श्रमिकों को स्रोत राज्यों से समन्वय स्थापित किया जाए .
बाल पुलिस थाने का भी आया सुझाव
बैठक में मौजूद एनजीओ के प्रतिनिधियों ने कहा कि बाल श्रम मुक्त उत्पाद को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दिया जाना चाहिए . साथ ही उन्होंने सुझाव दिया की महिला थाने की तर्ज पर बाल पुलिस थाना भी स्थापित होना चाहिए.
जागरूकता और सतर्कता है जरूरी
बेनीवाल ने कहा अन्य राज्यों से आने वाले बाल मजदूरों को लिए राजस्थान डेस्टिनेशन बन गया है.वहीं, दक्षिणी राजस्थान से बच्चे कपास , बीटी कॉटन आदि कार्यों के लिए पलायन करते हैं. इसके लिए हमें अत्यंत जागरूक और सतर्क रहने की आवश्यकता है.