Jaipur- मालपुरा से मालामाल होने वाले 223 करोड़ टैंडर को PHED ने निरस्त कर दिया है.  मीडिया ने इस खबर को प्रमुखता से प्रसारित किया था, जिसके बाद जलदाय विभाग ने टैंडर को निरस्त कर दिया है. अब एक बार फिर से मालपुरा के लिए टैंडर प्रक्रिया की जाएगी.


फर्म प्रमाण पत्र,फिर भी वर्क ऑर्डर की अनुशंसा-


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 जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी के विधानसभा क्षेत्र मालपुरा से मालामाल होने वाले 223 करोड़ के टैंडर को जलदाय विभाग ने निरस्त कर दिया है. मालपुरा में पाइप लाइन बिछाने और 10 साल के ओ. एंड. एम के 223.86 करोड़ के टैंडर में कावेरी इंफ्रा फर्म ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र लगाए थे, लेकिन तत्कालीन एडिशनल चीफ इंजीनियर मुकेश गोयल ने निविदा प्रक्रिया से बाहर करने की बजाय वर्क आर्डर देने के लिए कहा था. अब जल जीवन मिशन चीफ इंजीनियर दलीप कुमार गौड़ ने टैंडर को निरस्त कर दिया,अब फिर से टैंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी.


RTPP नियम 57 (e) की धज्जियां उडाई-


केवल, प्रमाण पत्र ही फर्जी नहीं था, बल्कि पॉवर ऑफ अटार्नी में पावर होल्डर का नाम ही नहीं था. यह पॉवर कंपनी की तरफ से कौन व्यक्ति? किस कैपेसिटी में दे रहा है? कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के किसी प्रस्ताव का इसमें उल्लेख ही नहीं था. जो कि RTPP नियम 57 (e) का उल्लघंन है. क्योंकि नियमों के तहत बिड प्रस्तुत करते समय पॉवर ऑफ अटार्नी होनी चाहिए थी. इतना ही नहीं कावेरी इंफ्रा फर्म ने पारदर्शिता को भी तार-तार किया है. 5 सितंबर को तकनीकी बिड खोली गई थी,लेकिन ईप्रोक पर बिड का स्टेटस अपडेट नहीं किया गया.


क्या फर्म और एसीई पर गिरेगी गाज?


फिलहाल विवादित टैंडर तो निरस्त कर दिए गए है, लेकिन क्या दोषी इंजीनियर्स और फर्म पर कार्रवाई होगी? क्योंकि इतने सारे विरोधाभास के बावजूद मुकेश गोयल ने मैसर्स कावेरी इंफ्रा के अनुभव प्रमाण पत्र पर वर्क ऑर्डर मांगने की अनुशंसा की थी. यानी बिड दाताओं के मध्य पक्षपातपूर्ण व्यवहार करते हुए किसी एक फर्म के तथ्यों का उल्लेख नहीं किया गया.जो कि RTPP एक्ट सेक्शन 4,11 और नियम 60 और 80 का उल्लंघन है.