Rajasthan Taste : आम तौर पर काजू-बादाम और पिस्ता के रेट आसमान छूते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनसे भी ज्यादा महंगी एक मारवाड़ी सब्जी है. जो मिलती भी मुश्किल से हैं और उगती भी खुद ही है.


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जी हां हम बात कर रहे हैं. केर-सांगरी और फोग कुमटिया की. एक राजस्थानी के लिए ये नाम आम हो सकते हैं. लेकिन जो लोग नहीं जानते उनकी जानकारी के लिए बता दें. कि प्राकृतिक रूप से उगने वाली ये सब्जियां बाजार में बहुत मंहगे दाम पर बिकती हैं.


ये सब्जियां ना सिर्फ खाने में स्वादिष्ट होती हैं, बल्कि इसके औषधीय गुण इन्हे और खास और मंहगा बना देते हैं. चलिए बताते हैं इन मंहगी सब्जियों को खाने के क्या फायदे होते हैं और आखिर क्यों ये इतनी मंहगी बिकती हैं.


केर : केर का  वैज्ञानिक नाम करील है और ये Capparis decidua फैमिली का पौधा है.  केर के फलों का चूर्ण पेट से जुड़ी परेशानी, जोड़ों का दर्द, दांत का दर्द, गठिया, दमा, खांसी, सूजन, बुखार होना, मलेरिया, डायबिटीज, एसिडिटी, दस्त और कब्ज जैसी बीमारियों में मददगार हैं. आपको यहां ये भी बता केर के फलों में कैल्शियम, आयरन, विटामिन A और कार्बोहाइड्रेट्स भी खूब होता है.


सांगरी : सांगरी को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, कॉलेस्ट्रॉल कम करने और पाचन तंत्र दुरुस्त करने के साथ ही हड्डियों को भी मजबूत करता है. कई शोध में सांगरी के औषधिय गुणों को साबित किया जा चुका है. 


फोग : फोग को राजस्थान का मेवा भी कहा जाता है.  ये Calligonum polygonoides फैमिली का पौधा है. जिससे रायता भी बनता है और सब्जी बी बनाकर खायी जाती है .फोग से जुड़ी एक कहावत मारवाड़ी में खूब कही जाती है और वो है फोगले रो रायतो, काचरी रो साग. बाजरी री‌ रोटड़ी, जाग्या म्हारा भाग, यानि की फोग का रायता, काचरी की सब्जी और बाजरी की रोटी अगर किसी को मिल जाते तो उसके भाग्य जाग जाते हैं.


मारवाड़ी में ये कहावत उपलब्धिता पर आधारित है. जिस काचरी को यूपी में जगंली सब्जी मानकर फेंक दिया जाता है. उस काचरी की सब्जी को मरूधरा में बहुत सम्मान मिलता है. रेत से भरी जमीन में उगने वाली ये तीनों सब्जियां ना सिर्फ स्वाद के मामले में सबसे अलग हैं, साथ ही सेहत ही देती हैं.


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