नहीं रहे ओजस्वी वाणी के रामानंदी संत आचार्य धर्मेंद्र, SMS अस्पताल में ली अंतिम सांस, 20 दिन से थे भर्ती
आज विश्व हिंदू परिषद और राजस्थान के संत समाज समेत देश के कई हिस्सो में रामानंदी संत आचार्य धर्मेंद्र के निधन से शोक की लहर है. आचार्य धर्मेंद्र 20 दिनों से SMS अस्पताल में भर्ती थे. वहीं उन्होंने अंतिम सांस ली.
Jaipur: विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल में शामिल रहे 80 वर्षीय आचार्य धर्मेंद्र का देवलोकगमन हो गया है. बीमारी के कारण वह करीब 20 दिन से जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती थे. जहां अस्पताल के मेडिकल आईसीयू में वह उपचाराधीन थे. 1966 के गोरक्षा आंदोलन में, श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन में और कई जनजागरण यात्राओं में आचार्य का अहम योगदान रहा है. आचार्य धर्मेंद्र ने जयपुर के तीर्थ विराट नगर के पार्श्व पवित्र वाणगंगा के तट पर मैड गांव में अपना जीवन व्यतीत किया. गृहस्थ होते हुए भी उन्हें साधू संतों के समान आदर और सम्मान प्राप्त था.
हिंदी, हिंदुत्व और हिन्दुस्थान के उत्कर्ष के लिए समर्पित रहा जीवन
श्रीपंचखण्ड पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी धर्मेंद्र महाराज सनातन धर्म के अद्वितीय व्याख्याकार, प्रखर वक्ता और ओजस्वी वाणी के रामानंदी संत थे, विश्व हिंदी परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल में शामिल रहे,1965 के गोहत्या बंद करवाने के आंदोलन के नेतृत्व कर्ता थे, आचार्य महाराज का पूरा जीवन हिंदी, हिंदुत्व और हिन्दुस्थान के उत्कर्ष के लिए समर्पित रहा है.
रामजन्म भूमि आंदोलन के अग्रणी संत थे, उन्होंने अपने पिता महात्मा रामचंद्र वीर महाराज के समान उन्होंने भी अपना संपूर्ण जीवन भारतमाता और उसकी संतानों की सेवा में, अनशनों, सत्याग्रहों, जेल यात्राओं, आंदोलनों और प्रवासों में संघर्षरत रहकर समर्पित किया है. राजस्थान के विराटनगर में उनका मठ और पावनधाम आश्रम है, जहां उनका विधी-विधान पूर्वक उनके शिष्यों और अनुयायियों के बीच अंतिम संस्कार किया जाएगा.
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