RU Election: राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव को लेकर  अपने पूरे परवान पर है. 26 अगस्त को होने वाले छात्रसंघ चुनाव को लेकर एक बार फिर से प्रदेश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी यानी राजस्थान विश्वविद्यालय पर सबकी नजरें टिकी हुई है. चुनावी माहौल हो या टिकट वितरण या फिर चुनावी नतीजे. इनका इंतजार छात्र नेताओं को ही नहीं, बल्कि प्रमुख राजनीतिक पार्टियां और आलाकमान को भी है.


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राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्र राजनीति में गहरी दिलचस्पी रहती है. एनएसयूआई की ओर से आज अध्यक्ष पद पर प्रत्याशी की घोषणा कर दी गई है. एनएसयूआई ने महारानी कॉलेज की पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रितु बराला को राजस्थान विश्वविद्यालय अपेक्स पदों पर अध्यक्ष पद पर टिकट दिया है. लेकिन रितु बराला को टिकट की घोषणा होने के साथ ही एनएसयूआई में अब विरोध के स्वर मुखर होने लगे हैं.


उम्मीदवार रितु का रास्ता मंत्री की बेटी निहारिका ने रोका


राजस्थान विश्वविद्यालय के मुख्य गेट पर करीब 1 बजे एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक चौधरी ने रितु बराला के नाम की घोषणा की. रितु बराला के नाम की घोषणा होने के साथ ही एनएसयूआई की छात्र नेता और मुरारी लाल मीणा की बेटी निहारिका जोरवाल ने सबसे पहले अपने विरोध के स्वर मुखर किए. जब रितु बराला की रैली राजस्थान विश्वविद्यालय के मुख्य गेट से अंदर आ रही थी. तो इस दौरान निहारिका जोरवाल और उनके समर्थकों ने उनका रास्ता बीच में ही रोक लिया गया. जिसके बाद मौके पर मौजूद पुलिस-प्रशासन को मशक्कत करते हुए इन समर्थकों को हटाना पड़ा. निहारिका जोरवाल ने इसके साथ ही रितु बराला के खिलाफ निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है.


इन नेताओं ने भी की बगावत


वहीं दूसरी ओर एनएसयूआई के छात्र नेता राजेंद्र गोरा, महेश चौधरी और संजय चौधरी सहित कई एनएसयूआई छात्र नेताओं ने भी विरोध के स्वर मुखर कर दिए. अपना विरोध जताते हुए छात्र नेताओं ने यूनिवर्सिटी के मुख्य गेट पर ही धरना शुरू कर दिया. जिसके चलते यूनिवर्सिटी के एक गेट को बंद करना पड़ा. इस दौरान छात्र नेताओं ने एनएसयूआई और एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक चौधरी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.


एनएसयूआई छात्र नेताओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि "एनएसयूआई की ओर से पैसे लेकर टिकट का वितरण किया गया है. इसके साथ ही पिछले 4 से 6 सालों तक ग्राउंड लेवल पर मेहनत करने वाले छात्र नेताओं की अनदेखी की गई. इसके साथ ही टिकट वितरण से पहले किसी भी प्रकार से किसी छात्र नेता से कोई चर्चा नहीं की गई. एनएसयूआई पिछले चार चुनाव में हारती आई है और इसकी प्रमुख कारण यह है कि एनएसयूआई की ओर से हर बार पैसे लेकर टिकट दी जाती है और इस बार हम सब मिलकर एनएसयूआई के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरेंगे और एनएसयूआई को सबक सिखाएंगे.


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