Rajasthan Politics : राजस्थान कांग्रेस के अंदर जारी उथल पुथल किसी से छिपी नहीं है. सचिन पायलट ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर कथित भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की मांग को लेकर मंगलवार को  सांकेतिक अनशन कर किया. खासबात ये रही कि सचिन पायलट के पीछे लगे पोस्टर में सिर्फ गांधी जी की फोटो लगी थी. सोनिया गांधी और राहुल गांधी जैसे कांग्रेस के आलाकमान की फोटो गायब थी. 


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पोस्टर से कांग्रेस आलाकमान की फोटो का गायब होना क्या संदेश दे रहा था. क्या सच में सचिन पायलट दूसरी राय चुनने वाले हैं. सियायी गलियारे में ये चर्चा भी आम हो चुकी है कि पायलट मुख्य रूप से वसुंधरा राजे का विरोध कर रहे हैं और साथ ही गहलोत सरकार को कटघड़े में खड़ा कर रहे हैं. वहीं हनुमान बेनीवाल की पेशकश और राजस्थान में केजरीवाल की एंट्री भी किसी से छुपी नहीं है.


इधर राजस्थान कांग्रेस प्रभारी रंधावा भी कह चुके हैं कि सचिन पायलट का मुद्दा ठीक है लेकिन तरीका गलत है. ऐसे में आज दिल्ली में होने वाली मीटिंग खास होगी. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन  खड़गे के घर पर बुलाई गयी ये बैठक सुबह 10.30 बजे से शुरू होगी . जिसमें रंधावा  समेत  समेतच कई नेता मौजूद रहेंगे. माना ये जा रहा है कि एआईसीसी की इस बैठक में राजस्थान के मुद्दो पर चर्चा होगी. 


मामले पर रंधावा ने कहा कि कार्रवाई अतीत में की जानी चाहिए थी, फिर भी नहीं की गई लेकिन इस बार कार्रवाई होगी. आपको बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने सुखजिंदर रंधावा से रिपोर्ट लेने के बाद इस मामले को लेकर राहुल गांधी से मुलाकात की थी और रंधावा से रिपोर्ट लेने के बाद खड़गे ने राहुल गांधी से भी चर्चा की है. अब राहुल गांधी और  सोनिया गांधी की चर्चा के बाद आखिरी फैसला खड़गे करेंगे.


अनशन के बाद से सचिन पायलट खामोश हैं. मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट कहती है कि राजस्थान में विधानसभा चुनाव में गहलोत का आखिरी चुनाव होने का इमोशनल कार्ड कांग्रेस को फायदा पहुंचा सकता है. वहीं पायलट को केंद्रीय स्तर लाकर पार्टी और पायलट दोनों का फायदा हो सकता है. जिससे कांग्रेस को राष्ट्रीय स्तर पर एक चेहरा मिलेगा जो लोकप्रिय है. वहीं पायलट को गांधी परिवार और आलाकमान के साथ रहकर काम करने का मौका मिल जाएगा. 


सचिन पायलट राजस्थान कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय नेता हैं इसमें कोई दो राय नही हैं. सचिन ना सिर्फ राजस्थान बल्कि देश में पसंद किये जाने वाले युवा नेता में शामिल है. छोटी सी उम्र में केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा रह चुके सचिन पायलट की अगुवाई में 2018 में चुनाव कांग्रेस ने जीता लेकिन सत्ता अशोक गहलोत के हाथ गई.


तभी से जारी पायलट और गहलोत गुट की ये रस्साकशी क्या आज खत्म होगी या फिर सचिन पायलट पर पार्टी की तरफ से कोई बड़ा एक्शन लिया जा सकता है ? फिलहाल इतना तय है कि  सचिन पायलट के पास विकल्पों की कमी नहीं होगी...


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